छठ महापर्व पर सौरा नदी किनारे सजता है आस्था का मेला

मनोरम और अलौकिक होता है सौरा नदी छठ घाट का दृश्य

By AKHILESH CHANDRA | October 26, 2025 5:54 PM

मनोरम और अलौकिक होता है सौरा नदी छठ घाट का दृश्य

घाट पर व्रतियों को होते हैं माता काली भगवान शिव के दर्शन

पूर्णिया. जिला मुख्यालय से महज पांच किलोमीटर दूर पूर्णिया सिटी स्थित सौरा नदी के किनारे आस्था का मेला लगता है. शहर से सटी यही वह ऐतिहासिक नदी है जहां छठ महापर्व के अवसर पर व्रती नदी में श्रद्धा की डुबकी लगाते हैं और भगवान भुवन भाष्कर को अर्घ्य अर्पित करते हैं. श्रद्धा तब और बढ़ जाती है जब नदी के तट पर माता पूर्णेश्वर काली मंदिर में देवी और शिवालय में भगवान शिव के दर्शन हो जाते हैं. गौरतलब है कि पूर्णिया और आसपास के रहने वाले सौरा नदी को गंगा की तरह पवित्र मानते हैं. ऐतिहासिक तथ्यों को मानें तो सौरा प्राचीन नदी है जिसे पहले सक्रीनन्दी नदी के नाम से जाना जाता था जिसकी चर्चा विष्णु पुराण में भी मिलती है. उसमें कहा गया है कि इस नदी में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं और यही वजह है कि लोक आस्था के इस महापर्व पर पूर्णिया और आस पास के लोग नदी में स्नान कर छठी मैया की पूजा करते हैं और सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करते हैं.

सिटी में पूर्णिया अररिया सड़क मार्ग पर बना पुल सौरा नदी को दो भागों में बांटता है. छठ के अवसर पर यहां अलग अलग घाट बनाए जाते हैं. इसमें प्रमुख है काली घाट जो काली मंदिर से सटकर है. इसमें नदी तक चौड़ी सीढ़ियां बनी हुईं हैं. इसके ठीक सामने नदी के दूसरे किनारे पर ऐसी ही व्यवस्था है. इस लिहाज से अलग घाट बनाने की जरुरत नहीं पड़ती है. घाट को बजाप्ता रिजर्व कराना होता है और इसके लिए कमिटी बनी हुईं है जो रौशनी के साथ अर्घ्य के लिए दूध एवं पुष्पादि की व्यवस्था रखती है. इसके अलावा पुल के दूसरे तरफ भी नदी के दोनों किनारे पर घाट रहते हैं जिसे पर्व के पहले तैयार किया जाता है. यहां नदी का एक किनारा आम नागरिकों के लिए है तो दूसरे किनारे पर प्रशासनिक अधिकारियों के घाट सजते हैं. सभी घाटों की सज्जा कुछ इस तरह से की जाती है कि यहां का दृश्य मनोरम और अलौकिक होता है. इस दौरान एहतियाती तौर पर एनडीआरएफ की टीम के साथ पुलिस के साथ तैनात रहती है.

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