खुदा की याद में डूब कर इबादत करने का महीना है रमजान

पूर्णिया : रमजान मुबारक का महीना बहुत ही बरकत और रहमत का महीना होता है. खुदा की याद में डूब कर इबादत करना ही रमजान का महीना है. अल्लाह त आला भी इस मुबारक महीने में अपने बंदों पर मेहरबान रहते हैं. जन्नत के दरवाजे खोल दिये जाते हैं और जहन्नम के दरवाजे बंद कर […]

By Prabhat Khabar Print Desk | May 28, 2017 5:23 AM

पूर्णिया : रमजान मुबारक का महीना बहुत ही बरकत और रहमत का महीना होता है. खुदा की याद में डूब कर इबादत करना ही रमजान का महीना है. अल्लाह त आला भी इस मुबारक महीने में अपने बंदों पर मेहरबान रहते हैं. जन्नत के दरवाजे खोल दिये जाते हैं और जहन्नम के दरवाजे बंद कर दिये जाते हैं. उक्त बातें खजांची हाट स्थित जामा मसजिद के इमाम मौलाना वहीदुज्जमा कासमी ने रमजान के पाक महीना के आरंभ होने की पूर्व संध्या पर चांद के दीदार के बाद कही.

रोजा रखना हर मुसलमान का फर्ज : श्री कासमी ने बताया कि इस महीने में रोजा रखना फर्ज है. मुसलमानों को चाहिए कि मुकम्मल महीने का पाबंदी से रोजा रखे और नमाज पाबंदी से पढ़े. इस महीने में एक फर्ज नमाज का शबाब सत्तर फर्ज नमाज के बराबर मिलता है. एक नफल नमाज का शबाब एक फर्ज के बराबर मिलता है. इस महीने में आपस में प्यार और मोहब्बत के साथ मिल कर रहना चाहिए. इस महीने में गरीबों को इफ्तारी और खाना वगैरह खिलाना चाहिए. जकात और सदका भी देना चाहिए.
अपने रिश्तेदार और दोस्तों को भी खिलाने-पिलाने का खूब एहतमाम करना चाहिए. मौलाना ने कहा कि सभी मुसलमानों को समय पर इफ्तार करना चाहिए और तरावी का खास एहतमाम होना चाहिए. कहा कि इस बार रमजान में चार जुम्मा है, जिसकी अपनी खासियत है.
रमजान का कोई भी लम्हा बेकार नहीं जाता : श्री कासमी ने रमजान के महीने की अहमियत बताते हुए कहा कि इस महीने का कोई भी लम्हा बेकार नहीं जाता है. चूंकि बंदा अपने रब की खुशी के लिए तकलीफें उठाता है, लिहाजा खुदा भी अपने बंदों की हर दुआ को कबूल फरमाता है. बताया कि रमजान को तीन अशरे में बांटा गया है. पहले 10 दिनों की अवधि रहमत का आशरा, दूसरा 10 दिनों की अवधि मगफिरत आशरा और आखिरी 10 दिनों की अवधि निजात आशरा होता है. कहा कि रमजान का रोजा बिना किसी माफी के हर मुसलमान औरत और मर्द पर फर्ज है.

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