गरीबों के लिए अब दाल रोटी पर भी आफत के आसार

पूर्णिया : आमतौर पर दाल रोटी खाओ प्रभु के गुण आओ जैसा जुमला काफी चर्चित रहा है पर महंगाई के इस दौर में दाल रोटी पर भी आफत के आसार नजर आने लगे हैं. आलम यह है कि पिछले तीन महीनों में आटा और दाल के दाम में काफी इजाफा हुआ है जबकि तेल के […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 22, 2020 8:09 AM

पूर्णिया : आमतौर पर दाल रोटी खाओ प्रभु के गुण आओ जैसा जुमला काफी चर्चित रहा है पर महंगाई के इस दौर में दाल रोटी पर भी आफत के आसार नजर आने लगे हैं.

आलम यह है कि पिछले तीन महीनों में आटा और दाल के दाम में काफी इजाफा हुआ है जबकि तेल के भाव भी आसमान छूने लगे हैं. महज तीन माह के अंदर रोजमर्रे के इन खाद्य पदार्थों के भाव में आयी तेजी से आम आदमी परेशान है. खुदरा दुकानदार आटा और दाल के बढ़ते दाम से खुद भी हैरान हैं.
उपलब्ध जानकारी के अनुसार, पिछले अक्तूबर माह में गेहूं का आटा खुदरा बाजार में 22 से 24 रुपये प्रतिकिलो बिक रहा था. मगर अभी यह 28 से 30 रुपये प्रति किलो बेचा जा रहा है. इधर, सरसों तेल के दाम में भी इसी तरह इजाफा हुआ है.
अक्तूबर में सरसों का तेल 95 रुपये प्रति लीटर के भाव से उपलब्ध हो रहा था. जनवरी में इसके दाम बढ़ कर 115 रुपये प्रति लीटर हो गये हैं. इसी तरह सोयाबिन तेल तीन माह पहले 90 रुपये प्रति लीटर बिक रहा था जबकि जनवरी में यह 105 रुपये प्रति लीटर बेचा जा रहा है.
भट्ठा और मधुबनी बाजार के कई खुदरा दुकानदारों ने आशंका जतायी कि आने वाले दिनों में इनके भाव और तेज हो सकते हैं. दुकानदारों का कहना है कि वे थोक विक्रेताओं से सामान खरीदते हैं और उसी भाव में खर्च निकालते हुए दुकानदारी करते हैं. महंगाई की मार दाल के आइटमों पर भी पड़ी है.
रुपये माह में अरहर की दाल आमतौर पर 80 रुपये प्रति किलो मिल जाती थी. महज तीन माह के अंदर इसके दाम में दस से पंद्रह रुपये तक का उछाल आ गया. अभी अरहर की दाल कहीं 90 तो कहीं 95 रुपये प्रति किलो मिल रही है. इसी तरह मूंग की दाल के दाम भी चढ़ गये हैं.
तीन माह पहले मूंग की दाल 80 रुपये प्रति किलो था जबकि जनवरी में इसके दाम चढ़ कर 95 से 100 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गये हैं. वैसे मसूर की दाल में बहुत अंतर नहीं आया है जबकि कलाई दाल का डिमांड बहुत नहीं है. अगर देखा जाये तो तेल के बढ़े हुए दाम का बहुत असर नहीं है पर आटा और दाल की बढ़ती कीमत ने गरीब और मध्यमवर्गीय लोगों को चिंता में डाल दिया है.
गरीबों का कहना है खाने के लिए बहुत कुछ नहीं भी मिला तो वे दाल-रोटी खाकर पेट भर लिया करते थे पर जिस तरह आटा और दाल के दामों में उछाल आ रहा है उससे तो दाल रोटी पर भी आफत आती दिख रही है. मध्यमवर्गीय लोगों को भी यह चिन्ता सता रही है कि आटा और दाल का दाम बढ़ना खतरे का संकेत है.
दाम में दो माह बाद ही मिलेगी राहत
पॉम ऑयल पर आयात शुल्क बढ़ने के कारण तेलों के दाम में बढ़ोत्तरी हुई है. इसमें अभी और वृद्धि की संभावना है. जहां तक दलहन के भाव की बात है उसके दाम में दो माह बाद ही राहत मिलने की गुंजाइश है क्योंकि तब तक नयी फसल का आवक बाजार में शुरू हो जायेगा. जिंसों के भाव में तेजी पूरे देश में है जिसका असर यहां भी है.
सत्यनारायण गुप्ता, मंत्री, खुदरा विक्रेता संघ

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