बगैर अनुमति की निजी जमीन पर लगाये गये बिजली पोल

पूर्णिया : बिजली बिभाग की मनमानी ने आमलोगों की परेशानी को और अधिक बढ़ा दिया है. किसी भी व्यक्ति की निजी जमीन पर मनमाने ढ़ग से बिजली पोल गार दिये जाते है. जब जमीन मालिक द्वारा अगर आपत्ति की जाती है तो विभाग व कार्य एजेंसी दोनों की सहमति से पोल न हटाकर लोगों को […]

By Prabhat Khabar Print Desk | June 22, 2019 7:36 AM

पूर्णिया : बिजली बिभाग की मनमानी ने आमलोगों की परेशानी को और अधिक बढ़ा दिया है. किसी भी व्यक्ति की निजी जमीन पर मनमाने ढ़ग से बिजली पोल गार दिये जाते है. जब जमीन मालिक द्वारा अगर आपत्ति की जाती है तो विभाग व कार्य एजेंसी दोनों की सहमति से पोल न हटाकर लोगों को परेशान किया जा रहा है. बजाज कंपनी (कार्य एजेंसी ) के कर्मचारी अपनी भूल को सुधार न कर सीधे कोर्ट जाने की बात करते है.

शहरी क्षेत्र में ऐसे कई घटना पूर्व में भी सामने आ चुके है. ऐसा ही घटना शुक्रवार को सिपाही टोला निवासी शंभू प्रसाद सिंह के खाली जमीन पर करीब चार दिन पहले बिजली विभाग ने वगैर अनुमति लिए ही बिजली पोल लगाने की बात प्रकाश में आया है.
जब पीड़ित शंभू प्रसाद सिंह ने इसकी शिकायत प्रोजेक्ट कार्यपालक अभियंता पूर्णिया रौशन कुमार से किया तो उन्होंने भी वगैर अनुमति के पोल लगाने की बात को गलत बताया तथा बजाज कंपनी के कर्मचारी का नंबर उपलब्ध करा बात करने की सलाह दी. जब वे कर्मचारी से बात किये तो पोल हटाना तो दूर इसके विरुद्ध कोर्ट जाने की बात कही गयी है. पीड़ित शंभू प्रसाद सिंह ने जिलाधिकारी से निजी जमीन से बिजली पोल हटाने के दिशा में कार्रवाई की मांग की है.
कटा पोल बना खतरनाक . पूर्णिया. गंगा-दार्जिलिंग रोड पर बिजली पोल हटाने के क्रम में उसे जड़ से उखाड़कर हटाया नहीं गया है. इससे उस होकर लोग चल नहीं पा रहे हैं. अगर भूले भटके लोग चले भी जाते हैं तो उसका चोटिल होकर घायल होना तय है. हालांकि पोल जड़ से उखाड़ने की जरूरत थी लेकिन उसे रोड से सटाकर काट दिया गया है. यह पोजिशन शंकर चौक के पास है.
सुविधाओं का अभाव . पूर्णिया. शहरी क्षेत्र होने के बावजूद रहमत नगर में सुविधाओं का अभाव बना हुआ है. आलम यह है कि आज के गांव ज्यादा विकसित हैं पर रहमतनगर की हालत उससे भी खराब है. नगर निगम के वार्ड नंबर चार के तहत बसे इस शहरी मुहल्ले की आबादी बीस हजार से अधिक है.
अलग-अलग चार टोलों में बंटे इस मुहल्ले में पक्का मकान भी हैं पर झुग्गी-झोंपड़ियों की संख्या ज्यादा है. कहने के लिए यहां एक मिड्ल स्कूल भी है पर उपस्थति नगण्य रहती है. बच्चे अक्सर खेत की तरह दिखने वाली सड़क पर खेलते-दौड़ते नजर आते हैं. पीने के लिए शुद्ध पेयजल के अलावा बरसात में घर से बाजार तक जाने के लिए सड़क तक नहीं है.

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