ठंड पर हावी है जवाबदेही, ठिठुर कर भी कर रहे हैं ड्यूटी चलने का नाम हैं जिंदगी

पूर्णिया : ठंड के बावजूद भी जिम्मेदार लोगों के ऊपर जवाबदेही हावी है. पिछले एक सप्ताह से ठंड का प्रकोप काफी ज्यादा है. अभी अगले सात दिनों तक कोल्ड डे बने रहने का अनुमान मौसम विभाग ने कहा है. हालात ऐसे हैं लोगों का घर से निकलना मुश्किल है. दोपहर में थोड़े बहुत लोगों की […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 12, 2018 6:15 AM

पूर्णिया : ठंड के बावजूद भी जिम्मेदार लोगों के ऊपर जवाबदेही हावी है. पिछले एक सप्ताह से ठंड का प्रकोप काफी ज्यादा है. अभी अगले सात दिनों तक कोल्ड डे बने रहने का अनुमान मौसम विभाग ने कहा है. हालात ऐसे हैं लोगों का घर से निकलना मुश्किल है. दोपहर में थोड़े बहुत लोगों की आवाजाही होती है लेकिन सुबह और शाम में लोग घर से बाहर नहीं हो पाते हैं.

अधिकांश लोगों ने यात्रा बंद कर दी है. वैसी स्थिति में कुछ ऐसे पेशे के जिम्मेदार लोग ठंड में भी अपनी ड्यूटी बखूबी पूरा कर रहे हैं. ऐसे लोगों के लिए दिन और रात एवं सुबह शाम एक समान है. आज ऐसे लोगों पर ही एक नजर के माध्यम से बताने जा रहे हैं कि किस तरह से लोग घरों में दुबके हैं और एक वर्ग ऐसा भी है जो ड्यूटी और सेवा को धर्म समझ रहा है.

नियत समय पर पाठकों तक अखबार पहुंचाना जवाबदेही
अखबार विक्रेता केदार चौधरी कहते हैं कि अखबार हर सुबह लोगों के घर पहुंच जानी चाहिए. क्योंकि अखबार के बिना लोगों की चाय भी फीकी लगती है. भीषण ठंड में भी नियत समय पर ही पाठकों तक अखबार पहुंचाना है. यह उनकी जवाबदेही है. इससे ही रोजी रोटी भी जुड़ी हुई है. इसलिए हर सूरत में अखबार पहुंचाना बड़ी जवाबदेही है. श्री चौधरी बताते हैं कि अगर समय पर अखबार नहीं पहुंचा सका तो पाठक एसे पढ़ ही नहीं पायेंगे. देश विदेश के समाचारों के साथ लोकल घटना एवं दुर्घटना से वे वंचित रह जायेंगे.
यात्रियों को गंतव्य तक पहुंचाना कर्तव्य
स्टेट बस में कार्यरत बस चालक विपिन कुमार कहते हैं कि जाड़ा हो या हो गर्मी व बरसात यात्रियों को जाना ही है और उन्हें गंतव्य तक पहुंचाना ही उनका कर्तव्य है. वे कर्तव्य को बखूबी समझते हैं. अगर समय पर यात्रियों को गंतव्य तक नहीं पहुंचा पाते तो उनकी ड्यूटी किसी मायने की नहीं रह जायेगी. उन्होंने बताया कि वे ड्यूटी से कभी न तो पीछे रहे और न ही कभी यात्रियों अथवा विभाग के लोगों का भरोसा ही तोड़ा. इसलिए उनके बस के टाइम की लोग चर्चा करते हैं और सबसे ज्यादा भरोसा भी.
ड्यूटी तो धर्म है, ड्यूटी से समझौता नहीं
सीमांचल ट्रेन के ड्राइवर एके मल्लिक कहते हैं कि ड्यूटी तो धर्म है. ठंड रहे या बरसात, ट्रेन कभी नहीं रुकती. जब ट्रेन नहीं रुकती तो ड्राइवर कैसे रुकेंगे. खासकर अपने काम के प्रति निष्ठावान लोग अपनी जवाबदेही से नहीं भागते. उन्होंने कहा कि अगर ड्यूटी में आनाकानी करेंगे तो विभाग तो संज्ञान ले ही, ऊपर से लोगों का भरोसा टूट जायेगा और पूरा सिस्टम ही डिस्टर्ब हो जायेगा. ड्यूटी के आगे ठंड की कोई जगह नहीं है. ठंड में सिग्नल देखने में परेशानी होती है मगर उसमें सावधानी बरतनी पड़ती है.
पेट की भूख जब जोर मारता है, तो ठंड नहीं लगती
गुलाबबाग मंडी में मोटिया मजदूर के रूप में काम कर रहे डगरूआ के मो इब्राहिम एवं रानीपतरा के अशोक यादव कहते हैं कि वे ड्यूटी करने अपने-अपने घरों से सवेरे ठंड में आते हैं. दोनों ही मोटिया मजदूर कहते हैं कि घर परिवार चलाने के लिए काम करना जरूरी है. ठंड के कारण काम नहीं करेंगे तो परिवार ही नहीं चलेगा. परिवार को चलाना भी एक बड़ी जवाबदेही है. इतना ही नहीं अगर काम नहीं करेंगे तो मंडी में आनेवाले व्यवसायियों की भी उलझन लगी रहेगी.
अकेले कमाने वाले हैं, बेटी की शादी भी करनी है
गुलाबबाग मंडी में ठेला चलाने वाले 60 साल के ठेला चालक रोहित पासवान कहते हैं कि ठंड उनके लिए बाधा नहीं बन सकती. क्योंकि उन्हें घर चलाने के हर हाल में काम करना है. एक बेटा है भी तो वह विकलांग है. अगर वह काम करने के लायक रहता तो थोड़ा आराम भी कर लेता. अब तो घर में एक ठेला ही आमदनी का श्रोत है. उपर से घर में जवान बेटी है. उसकी शादी भी करनी है. ऐसे में एक दिन भी बैठना गंवारा नहीं है. साथ ही मंडी में ठेला की सुविधा सुलभ कराना भी जरूरी है.
हरी सब्जी है हर घर की जरूरत
सब्जी विक्रेता राजेंद्र मेहता कहते हैं कि हरी सब्जियां हर घर की जरूरत है. अहले सुबह के नाश्ता से लेकर खाना तक हरी सब्जियों की जरूरत सबको को है. सुबह से ही गृहिणियां उनका इंतजार करती हैं. उन्हें भी काफी ठंड लगती है. अगर वे ठंड के बहाने नहीं निकलेंगे तो लोगों का भरोसा टूट जायेगा. वे करीब नौ किलोमीटर की यात्रा तयकर अपने गांव ठरहा से पूर्णिया शहर आते हैं और 11 बजे तक सब्जियों बेच कर चले जाते हैं. भीषण ठंड में भी वे खेत से हरी सब्जियां लेकर शहर में लोगों को आपूर्ति करते हैं.

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