बिहार पंचायत चुनाव: पहले वार्ड सदस्य के पद रह जाते थे खाली, इस बार मुखिया से भी अधिक उम्मीदवार, जानें कारण…

बिहार पंचायत चुनाव 2021 का बिगुल बज चुका है. नामांकन का दौर जारी है. इस बार पंचायत चुनाव में एक बड़ा परिवर्तन सामने दिख रहा है. पिछले पंचायत चुनाव की तुलना में इस बार मुखिया से अधिक क्रेज वार्ड सदस्य बनने का दिख रहा है. मुखिया पद से अधिक वार्ड सदस्य पद के दावेदार मैदान में उतरे हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 10, 2021 9:39 AM

बिहार पंचायत चुनाव 2021 का बिगुल बज चुका है. नामांकन का दौर जारी है. इस बार पंचायत चुनाव में एक बड़ा परिवर्तन सामने दिख रहा है. पिछले पंचायत चुनाव की तुलना में इस बार मुखिया से अधिक क्रेज वार्ड सदस्य बनने का दिख रहा है. मुखिया पद से अधिक वार्ड सदस्य पद के दावेदार मैदान में उतरे हैं.

हिंदुस्तान समाचार पत्र के अनुसार, 2016 के बिहार पंचायत चुनाव(Bihar Panchayat Chunav 2021) में जितने उम्मीदवार मैदान में उतरे थे उससे कम इस बार 2021 के पंचायत चुनाव में देखने को मिल रहा है. पहले चरण में विभिन्न पदों के लिए कुल 15,328 उम्मीदवारों ने नॉमिनेशन किया है. बुधवार यानी 8 सितंबर को पहले चरण के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि थी.

पिछली बार के पंचायत चुनाव के तुलना में इस बार प्रत्येक प्रखंड से करीब 240 उम्मीदवार कम खड़े हुए हैं. चुनाव आयोग ने पहले चरण में 10 जिलों के 12 प्रखंडों के उम्मीदवार से जुड़े आंकड़े जारी किये हैं. इस बार 12 प्रखंडों में पहले चरण के लिए 15,325 प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किया है. प्रति प्रखंड औसतन 1277 प्रत्याशियों ने नामांकन किया है. जबकि 2016 के पंचायत चुनाव में पहले चरण के 37 जिलों के 58 प्रखंडों में सभी छह पदों पर करीब 88 हजार नामांकन पत्र दाखिल किये गये थे.

इस बार मुखिया पद से अधिक वार्ड सदस्य पद पर उम्मीदवारों का उतरना सरकारी योजना में वार्ड सदस्यों की भागिदारी बढ़ाने से देखा जा सकता है. 2016 में मुखिया पद की दावेदारी अधिक थी. जबकि इसबार वार्ड सदस्य बनने की होड़ अधिक है. 2016 के पंचायत चुनाव में वार्ड सदस्य के कई पद खाली ही रह गये थे जिसके कारण उपचुनाव भी कराना पड़ गया था.

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बता दें कि राज्य सरकार ने निश्चय योजना के क्रियान्वयन में वार्ड सदस्यों की भागिदारी पंचायतों में बढ़ा दी है. पिछले चुनाव के दौरान पंचायत में मुखिया की मजबूती और भूमिका अधिक होती थी. तब मुखिया को ही ग्राम सभा की सहमति व नइ योजनाओं को लागू कराने समेत कई अन्य अधिकार प्राप्त थे. इसलिए वार्ड सदस्य के पद पर कोइ विशेष रुचि नहीं लेता था.

POSTED BY: Thakur Shaktilochan

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