एक झटके में टूट गई थी लालू-रघुवंश की दोस्ती, पहली पुण्यतिथि पर याद करते भावुक हुए लालू

पूर्व केंद्रीय मंत्री और राजद के कद्दावर नेता डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह की पहली पुण्यतिथि पर सोमवार को राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव याद कर भावुक हो गये.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 13, 2021 4:02 PM

लालू प्रसाद यादव (lalu Prasad Yadav) के संकटमोचक रहे रघुवंश प्रसाद सिंह (Raghuvansh Prasad Singh) की पहली पुण्यतिथि पर लालू ने उनको अपनी श्रद्धांजलि देते हुए ट्वीट कर लिखा संघर्षों के साथी हमारे प्रिय ब्रह्म बाबा रघुवंश बाबू को उनकी प्रथम पुण्यतिथि पर नमन और विनम्र श्रद्धांजलि. लालू और रघुवंश बाबू की दोस्ती करीब 32 साल पुरानी थी. लेकिन जीवन के अन्तिम दिनों में एक झटके में वो टूट गई थी. उन्‍होंने लालू व आरजेडी से नाता तोड़ने का कोई कारण तो नहीं बताया, लेकिन सवाल तो खड़ा हो ही गया कि आखिर क्यों आखिर इतनी लंबी व गहरी दोस्‍ती टूट गई?

अब और नहीं, मुझे क्षमा करें

74 साल की उम्र में बीमार रघुवंश प्रसाद सिंह ने लालू प्रसाद यादव को पत्र भेजकर आरजेडी से अपना इस्तीफा दे दिया था. पत्र में उन्‍होंने कर्पूरी ठाकुर (Karpoori Thakur) के निधन के बाद 32 वर्षों तक लालू प्रसाद यादव के पीछे-पीछे खड़े रहने की बात लिखी, साथ हीं पार्टी व आमजनों से मिले स्नेह को भी याद किया. अपने इस्तीफा में उन्होंने लिखा कि अब और नहीं, मुझे क्षमा करें. हालांकि, लालू प्रसाद यादव ने रघुवंश प्रसाद सिंह के इस्‍तीफा को स्‍वीकार नहीं किया. लालू ने रघुवंश बाबू को पत्र लिखकर कहा था कि आप कहीं नहीं जा रहे हैं. ठीक हो जांए फिर हम बात करेंगे. यह संभव है कि अगर उनका तुरंत निधन नहीं हो जाता, तो लालू उन्‍हें मनाने में सफल हो जाते, लेकिन रघुवंश प्रसाद सिंह के निधन के साथ यह संभावना खत्‍म हो गई.

तेज प्रताप की हरकतों पूरी कर दी कसर

लालू प्रसाद यादव के परिवार से रघुवंश प्रसाद सिंह जुड़े हुए थे. यही कारण था कि वे लालू प्रसाद के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव के तलाक खुश नहीं थे. इसके बाद भी वे चाहते थे कि चंद्रिका राय और लालू परिवार के रिश्ते बने रहे. रघुवंश प्रसाद सिंह के इस स्‍टैंड से तेज प्रताप यादव सहमत नहीं थे. संभवत: यही कारण था कि तेज प्रताप यादव निरंतर रघुवंश प्रसाद सिंह के खिलाफ हमला किया करता था. तेजप्रताप ने उनकी तुलना पार्टी में आरजेडी के समंदर में एक लोटा पानी से कर दी. कहा जाता है कि इस बयान के बाद ही रघुवंश बाबू ने राजद से अपना रिश्ता तोड़ लिया था.

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