बिहार के निजी आइटीआइ में अब भी खाली है एक लाख सीटें, नहीं मिल रहा है छात्रों का नया ट्रेड

आइटीआइ पास करने के बाद सबसे अधिक रेलवे में छात्र नौकरियां किया करते थे. पिछले कई वर्षों से रेलवे की ओर से आइटीआइ के लिए उपयुक्त संख्या में बहाली नहीं की गयी. इस कारण आइटीआइ के प्रति छात्रों की दिलचस्पी कम होते जा रही है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 10, 2022 6:07 AM

बिहार के निजी आइटीआइ में सुविधाओं व प्लेसमेंट का अभाव होने के कारण छात्र नामांकन कराने नहीं पहुंच रहे है. 30 अक्तूबर तक निजी आइटीआइ में नामांकन कराने की आखिरी तारीख है, लेकिन अब तक मात्र 30 प्रतिशत सीटों पर ही नामांकन हो सका है. अब भी 70 प्रतिशत सीटों पर नामांकन होना है. इस तरह नामांकन लेने की रफ्तार रही, तो आधी सीटों पर ही नामांकन हो पायेगा और लगभग एक लाख से अधिक सीटें खाली रह जायेंगी. सितंबर से नामांकन हो रहा है.

हर साल दो लाख से अधिक होता है नामांकन

श्रम संसाधन विभाग के मुताबिक राज्य में 1197 निजी एवं 150 सरकारी आइटीआइ हैं. हर साल दो लाख 37 हजार 748 एवं 55 हजार 256 सीटों पर नामांकन हुआ करता है. निजी आइटीआइ में मुख्य रूप से इलेक्ट्रिशियन में एक लाख 46 हजार 760 सीटें, फिटर ट्रेड में 75 हजार 380 सीटें हैं. इस साल प्रशिक्षण महानिदेशालय ने देश के आइटीआइ में 2022 – 24 में नामांकन लेने की अंतिम तारीख दूसरी बार बढ़ाते हुए 30 अक्तूबर तय किया गया है.

रेलवे में अब नहीं है रोजगार

आइटीआइ पास करने के बाद सबसे अधिक रेलवे में छात्र नौकरियां किया करते थे. पिछले कई वर्षों से रेलवे की ओर से आइटीआइ के लिए उपयुक्त संख्या में बहाली नहीं की गयी. इस कारण आइटीआइ के प्रति छात्रों की दिलचस्पी कम होते जा रही है. वहीं, बिहार के निजी आइटीआइ में पढ़ाई करने के बाद रोजगार का अवसर नहीं मिल रहा है. निजी आइटीआइ में छात्रों के लिए सबसे अधिक प्रैक्टिकल की दिक्कत है.

20 प्रतिशत से अधिक सीटें रह गयी थीं खाली

कोरोना के कारण 2021-23 में नामांकन की आखिरी तारीख प्रशिक्षण महानिदेशालय ने 15 फरवरी 2022 तक बढ़ाया था, लेकिन राज्य सरकार का पोर्टल नहीं होने के कारण अप्रैल तक नामांकन जारी रहा. यानी 2022-24 के लिए मात्र चार महीने ही समय बच सका है. जिन छात्रों को नामांकन लेना था, उन्होंने अप्रैल के पहले ही ले लिया. हालांकि , अप्रैल तक नामांकन जारी रहने के बावजूद आइटीआइ में 20 प्रतिशत से अधिक सीटें खाली रह गयी थीं.

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