पटना के शिवपुरी स्थित फिजियोथेरेपी सेंटर में लगी भीषण आग, गैस सिलिंडर हुआ ब्लास्ट

Bihar news: पटना के शिवपुरी सांईं मंदिर रोड में भीषण अगलगी में सेराजेम फिजियोथेरेपी सेंटर, दो लाइब्रेरी व हॉस्टल में रखे सामान जल कर खाक हो गये. अगलगी की इस घटना में लगभग एक करोड़ से अधिक की संपत्ति का नुकसान हुआ है.

By Prabhat Khabar Print Desk | November 15, 2022 11:17 PM

पटना: शास्त्रीनगर थाने के शिव मंदिर सांईं मंदिर राेड के कपिला पैलेस मार्केट के फर्स्ट फ्लोर और सेकेंड फ्लोर पर स्थित सेराजेम फिजियोथेरेपी सेंटर, इथिक्स लाइब्रेरी, इन्फिनिटी लाइब्रेरी व ब्वायज हॉस्टल में रखे करीब एक करोड़ से अधिक के सामान भीषण अगलगी में जल कर खाक हो गये. इस दौरान आग लगने के कारण सिलिंडर ब्लास्ट कर गया. हालांकि, दूसरे सिलिंडर को दमकल के कर्मियों ने जान पर खेल कर बाहर निकाल लिया.

इलाके में कायम हुआ दहशत का माहौल

आग लगने के बाद पूरे इलाके में दहशत फैल गयी. करीब दो दर्जन दमकल की गाड़ियों ने पांच-छह घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया. इसकी जानकारी मिलने पर शास्त्रीनगर थानाध्यक्ष रामशंकर सिंह के साथ ही अग्निशमन विभाग के अधिकारी भी पहुंचे. मौके पर मौजूद फायर ब्रिगेड अधिकारियों के मुताबिक आग लगने का कारण फिलहाल शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा है. हालांकि, जांच के बाद ही स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट हो सकती है.

मंगलवार की शाम की घटना

बताया जाता है कि पहले सेराजेम फिजियोथेरेपी सह मेडिकल सेंटर के पिछले हिस्से से मंगलवार की शाम करीब 4:10 बजे अचानक ही धुआं निकलने लगा. उस समय फिजियोथेरेपी सेंटर, लाइब्रेरी व हॉस्टल में करीब 130 लाेग मौजूद थे. आग लगते ही वे लोग सीढ़ियों से नीचे उतर गये. हालांकि, बाद में आग तेजी से आगे बढ़ने लगी और पूरे सेराजेम सेंटर में फैल गयी. एक बुजुर्ग महिला सीढ़ियों से नीचे नहीं उतर पायी, क्योंकि उन्हें पैर में समस्या थी. लेकिन स्थानीय युवकों की टीम ने महिला को पकड़ कर किसी तरह से नीचे उतार लिया.

समय रहते दमकल टीम ने आग पर पाया काबू

इसी बीच पांच से 10 मिनट के अंदर दमकल की गाड़ियां पहुंच गयीं और पानी की बौछार शुरू कर दी गयी. हालांकि, आग ने भीषण रूप ले लिया था और सेकेंड फ्लोर पर स्थित दो लाइब्रेरी और ब्वायज हॉस्टल तक पहुंच गयी. लाइब्रेरी में किताबें, फर्नीचर व अन्य सामान थे, जबकि हॉस्टल में छात्रों के बेड व अन्य सामान थे, जो जलने लगे. हालांकि, आग की लपटों पर लगातार पानी की बौछार होने के कारण आग रुक गयी और इसी बीच एक सिलिंडर ब्लास्ट कर गया, जिसके कारण फिर से आग ने विकराल रूप ले लिया. इसके बाद सेराजेम सेंटर के बाहर के शीशे को तोड़ा गया और पानी की बौछार की गयी. इसके बाद एक के बाद एक कर करीब 14 दमकल की गाड़ियों से पानी की बौछार की गयी तो आग पूरी तरह शांत हुई. लाइब्रेरी में जो पुस्तकें आग में नहीं जली थीं, वह पानी की बौछार के कारण खराब हो गयीं.

बड़ी दमकल की गाड़ियों को मार्केट में आने में हो रही परेशानी

शिवपुरी सांईं मंदिर रोड में दमकल की बड़ी गाड़ियों को घुसने में परेशानी हो रही थी. रोड की चौड़ाई ठीक-ठाक थी, लेकिन कॉर्नर संकरा था, जिसके कारण गाड़ी मुड़ नहीं पा रही थी. इसके साथ ही उस गली में बिजली व केबल के तार इतने नीचे थे कि बड़ी गाड़ियां उसमें फंस जा रही थीं. खास बात यह है कि उस मार्केट में आग बुझाने का एक भी उपकरण नहीं था.

आधा दर्जन से अधिक दुकानों का सामान बचा

दमकल की गाड़ियों के पहुंचने के कारण ग्राउंड फ्लोर पर स्थित आधा दर्जन से अधिक दुकानों का सामान बच गया. ग्राउंड फ्लोर में टी-कॉफी की दुकान, गिफ्ट-टॉयज एंड शृंगार कॉर्नर, पर्ल लेडीज ब्यूटी पार्लर, जनता भोजनालय आदि दुकानें थीं, जिनमें रखे सामान बच गये. टी-कॉफी दुकान के दुकानदार परशुराम राय ने बताया कि जिस समय घटना हुई, वह उस समय दुकान पर थे. इसके बाद जब आग बढ़ी, तो सभी ने अपनी-अपनी दुकानें बंद कर दीं और बाहर निकल गये. सामान तक निकालने का समय नहीं था.

लोगों बना रहे थे वीडियो

आग लगने के बाद लोगों को जहां समझदारी का परिचय देना चाहिए, वहीं वे लोग घटनास्थल पर ही भीड़ लगा कर खड़े थे और वीडियो बना रहे थे. ट्रैफिक पुलिस व स्थानीय थाने की पुलिस लगातार उन लोगों को पीछे करने में ही परेशान थी, क्योंकि आग लगने के कारण शीशे फूट कर नीचे गिर रहे थे. इसके कारण चार दमकल कर्मी आंशिक रूप से जल गये. साथ ही दमकल की गाड़ियों को आने के लिए रास्ता बनाने में लोगों को हटाने में पुलिसकर्मियों को पसीने छूट रहे थे. एक तरह से पुलिस व ट्रैफिक पुलिसकर्मी लोगों काे समझाते-समझाते परेशान थे.

आग लगते ही काटी गयी बिजली

आग लगने की घटना के बाद सबसे पहले इलाके की बिजली गुल कर दी गयी. इसके बाद आग बुझाने का काम शुरू किया गया. उक्त बिल्डिंग के थर्ड फ्लोर पर हाल के दिनों में ही छत बनी थी और उसे बांस-बल्ला का सहारा देकर मजबूत किया जा रहा था. आग लगने के कारण बांस-बल्लों को अगर क्षति पहुंचती, तो छत भी गिर सकती थी.

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