बिहार चुनाव 2020 : 35 करोड़ रुपये से ज्यादा का कालाधन, शराब समेत अन्य अवैध वस्तुएं जब्त : निर्वाचन आयोग

Black Money Seized Before Bihar Chunav चुनावी राज्य बिहार में 35 करोड़ रुपये से ज्यादा मूल्य की नकदी और मतदाताओं को लुभाने के लिये इस्तेमाल की जाने वाली शराब आदि जब्त की गयी हैं. निर्वाचन आयोग के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक यह 2015 में हुए पिछले विधानसभा चुनावों के दौरान सतर्कता दलों द्वारा की गयी जब्ती से भी ज्यादा है.

By Agency | October 20, 2020 9:58 PM

नयी दिल्ली : चुनावी राज्य बिहार में 35 करोड़ रुपये से ज्यादा मूल्य की नकदी और मतदाताओं को लुभाने के लिये इस्तेमाल की जाने वाली शराब आदि जब्त की गयी हैं. निर्वाचन आयोग के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक यह 2015 में हुए पिछले विधानसभा चुनावों के दौरान सतर्कता दलों द्वारा की गयी जब्ती से भी ज्यादा है.

बिहार में पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान 23.18 करोड़ रुपये मूल्य की नकदी और सामान जब्त किया गया था. सोमवार तक के उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, निर्वाचन आयोग (EC) द्वारा खर्च पर नजर रखने के लिये नियुक्त दलों ने 35.26 करोड़ रुपये मूल्य की नकदी और शराब जैसे दूसरे अवैध सामान जब्त किये हैं. जिनका इस्तेमाल मतदाताओं को लुभाने के लिये किये जाने की आशंका थी.

आंकड़ों के मुताबिक इसके अलावा राज्य से अब तक 79.85 लाख रुपये मूल्य की नेपाली मुद्रा भी जब्त की गयी है. बिहार की 243 सदस्यीय विधानसभा के लिये तीन चरणों में 28 अक्टूबर, तीन नवंबर और सात नवंबर को मतदान होगा. जबकि, 10 नवंबर को मतों की गणना की जायेगी.

आयोग ने आयकर विभाग के दो उच्च पदस्थ सेवानिवृत्त अधिकारियों को विशेष व्यय पर्यवेक्षक के तौर पर तैनात करने के अलावा राज्य में 67 व्यय पर्यवेक्षकों की तैनाती की है. खर्च के लिहाज से 91 विधानसभा सीटों को ‘संवेदनशील’ घोषित किया गया है और आयोग द्वारा उन पर ध्यान केंद्रित कर नजर रखी जा रही है जिससे सभी उम्मीदवारों के लिये समान अवसर रहे और मतदाताओं को रिश्वत न दी जा सके.

निर्वाचन आयोग ने कहा, “बिहार विधानसभा चुनावों में चुनाव खर्च निगरानी कार्य के लिये 881 उड़न दस्तों के अलावा 948 स्थिर निगरानी दलों का गठन किया गया है.” चुनाव प्रक्रिया के दौरान नकदी और उपहार के वितरण पर कानूनन प्रतिबंध है. रुपयों के अलावा शराब या अन्य कोई भी सामान जो मतदाताओं को प्रभावित करने के उद्देश्य से दिया जाए उस पर भी प्रतिबंध रहता है. आयोग ने कहा कि यह खर्च “रिश्वत” की परिभाषा के दायरे में आता है जो भारतीय दंड संहिता और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम दोनों के तहत अपराध है.

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