चारा घोटाला : लालू पर चलेगा आपराधिक साजिश का केस, नौ माह में पूरा होगा ट्रायल

सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाइकोर्ट का फैसला रद्द किया अलग-अलग धाराओं में चलते रहेंगे मुकदमे, लालू समेत 45 आरोिपतों के िखलाफ चलेंगे केस सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है कि लालू प्रसाद के खिलाफ चारा घोटाले से संबंधित अलग-अलग मामलों में केस चलेगा. नौ माह में विशेष कोर्ट को सुनवाई पूरी करनी होगी. नयी दिल्ली/रांची […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 9, 2017 7:58 AM
सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाइकोर्ट का फैसला रद्द किया
अलग-अलग धाराओं में चलते रहेंगे मुकदमे, लालू समेत 45 आरोिपतों के िखलाफ चलेंगे केस
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है कि लालू प्रसाद के खिलाफ चारा घोटाले से संबंधित अलग-अलग मामलों में केस चलेगा. नौ माह में विशेष कोर्ट को सुनवाई पूरी करनी होगी.
नयी दिल्ली/रांची : राजद प्रमुख लालू प्रसाद को बड़ा झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उन्हें चारा घोटाले से जुड़े हर उस मामले में अलग सुनवाई का सामना करना होगा, जिसमें वह आरोपित हैं. कोर्ट ने कहा कि अगर वह दोषी पाये जाते हैं, तो उन्हें अलग-अलग सजा हो सकती है.
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को चारा घोटाले से जुड़े देवघर कोषागार से अवैध निकासी के मामले में झारखंड हाइकोर्ट के करीब ढाई साल पुराने (नवंबर, 2014) फैसले को रद्द करते हुए राजद प्रमुख लालू प्रसाद पर आपराधिक साजिश का मुकदमा चलाने को मंजूरी दी. पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र और पूर्व आइएएस अधिकारी सजल चक्रवर्ती पर भी इन धाराओं के तहत मुकदमा चलेगा. न्यायाधीश अरुण मिश्रा और न्यायाधीश अमिताव राय की खंडपीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि प्रत्येक अपराध के लिए पृथक सुनवाई होनी चाहिए. खंडपीठ ने निचली अदालत को इस मामले की सुनवाई नौ महीने में पूरी करने का आदेश भी दिया है.
घोटाले से जुड़े 64 मामलों में से लालू पांच मामलों में आरोपित हैं और एक अप्रैल, 1994 से 31 जनवरी, 1995 के बीच झारखंड के चाईबासा कोषागार से 37.70 करोड़ रुपये धोखाधड़ी से निकालने से जुड़े एक मामले में पहले ही दोषी ठहराये जा चुके हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को देवघर कोषागार से जुड़े मामले में लालू प्रसाद को आरोपमुक्त करने के झारखंड हाइकोर्ट के आदेश को निरस्त किया, जहां 1991 से 1994 के बीच 250 वाउचरों और 17 फर्जी आवंटन पत्रों की मदद से 85 लाख रुपये का गबन किया गया. राजद प्रमुख के अलावा इस मामले में 37 अन्य आरोपित हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में झारखंड हाइकोर्ट के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि अदालत को फैसला देते वक्त यह देखना चाहिए कि एक तरह के मामले में आरोपितों के पक्ष में दिया गया फैसला एक समान हो. झारखंड हाइकोर्ट ने नवंबर, 2014 में लालू प्रसाद को राहत देते हुए लालू के खिलाफ चारा घोटाले के दूसरे मामले में इन्हीं धाराओं के तहत मुकदमा चल चुका है.
ऐसे में दोबारा इन्हीं धाराओं के तहत अन्य मुकदमा नहीं चल सकता है. झारखंड हाइकोर्ट ने लालू प्रसाद के खिलाफ एक, जगन्नाथ मिश्रा के खिलाफ चार और चक्रवर्ती के खिलाफ दो मामले निरस्त किये थे. वहीं, सीबीआइ का यह कहना था कि दोनों मामले अलग-अलग हैं. दोनों मामलों में अलग साजिश रची गयी, अलग कोषागार से साजिश करके पैसे निकाले गये. इसलिए दोनों मामले अलग-अलग चलने चाहिए. झारखंड हाइकोर्ट के फैसले को सीबीआइ ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
लालू प्रसाद की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी ने इस केस को खारिज करने की मांग की. सीबीआइ की तरफ से पेश एसजी रंजीत कुमार ने कहा कि लालू के खिलाफ छह अलग-अलग मामले दर्ज हैं, जिनमें से एक मामले में वह दोषी करार दिये गये है.
पीठ ने लालू प्रसाद की इस दलील को खारिज किया कि समान तथ्यों और परिस्थितियों वाले हर मामले की अलग सुनवाई नहीं हो सकती. पीठ ने कहा कि अपराध का तरीका समान होना, इसे एक अपराध नहीं बनाता, जबकि अपराध अलग-अलग हैं. मालूम हो कि सीबीआइ ने चारा घोटाले के संंबंध में कुल 64 मामले दर्ज किये थे.
बढ़ेगी परेशानी
लालू प्रसाद व डॉ जगन्नाथ मिश्र के खिलाफ चार मुकदमे अलग-अलग चलेंगे और उनमें अलग-अलग धाराएं भी होंगी. ट्रायल के दौरान सभी धाराओं में अपनी बेगुनाही के लिए उन्हें तर्क देने होंगे.
लालू प्रसाद के खिलाफ चार मुकदमे (आरसी 64ए/96, आरसी 38/96, आरसी 68ए/96 और आरसी 47 ए/96)अलग-अलग चलेंगे. अलग-अलग धाराएं भी होंगी. इनमें आपराधिक साजिश, अमानत में खयानत, धोखाधड़ी, जालसाजी आदि की धाराएं हैं.
लालू को चारा घोटाले के सबसे बड़े मामले आरसी 20ए/96 में पांच साल की सजा हो चुकी है. वे जमानत पर हैं. उनके लिए यह अलग परेशानी है.
झारखंड के सेवानिवृत्त मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती पर 20ए/96, आरसी 68/96 में मुकदमा चलेगा.
फैसले का असर 45 अभियुक्तों पर चल रहे मुकदमों पर भी. उन्हें सभी मामलों में ट्रायल फेस करना होगा.
झारखंड हाइकोर्ट
नवंबर, 2014
एक ही अपराध के लिए किसी व्यक्ति को दो बार सजा नहीं दी जा सकती है. कोर्ट ने घोटाले की साजिश रचने और भादवि 420ठगी, 409 क्रिमिनल ब्रीच आफ ट्रस्ट और प्रिवेंशन आफ करप्शन के आरोप हटा दिये थे.
जगन्नाथ िमश्र
आरसी 64ए/96, आरसी 38/96,आरसी 68ए/96 और आरसी 47 ए/96 मामले में केस चलेगा.
सुप्रीम कोर्ट
आठ मई, 2017
झारखंड हाइकोर्ट के निष्कर्षों में समरूपता होनी चाहिए थी. मामले में विभिन्न आरोपितों पर अलग-अलग राय नहीं देनी चाहिए. चारा घोटाले के प्रत्येक मामले में अलग-अलग मुकदमा चलेगा.
सजल चक्रवर्ती
झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती के खिलाफ चारा घोटाले के 20ए/96, आरसी 68/96 में मुकदमा चलेगा.
कोर्ट ने पूछा
देर से अपील के लिए
कौन जिम्मेवार?
सुप्रीम कोर्ट ने हाइकोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील में देरी के लिए सीबीआइ की खिंचाई करते हुए कहा कि जांच एजेंसी के निदेशक को इस अहम मामले को देखना चाहिए था.
मामले की तह तक जाने के लिए किसी अधिकारी को लगाना चाहिए था. इसकी जिम्मेवारी तय होनी चाहिए. पीठ ने कहा, इस असहनीय देरी से सीबीआइ के मकसद पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं. साथ ही झारखंड हाइकोर्ट को भी कानून के तय नियमों का पालन नहीं करने पर लताड़ लगायी. दरअसल, झारखंड हाइकोर्ट ने नवंबर, 2014 में लालू पर लगे घोटाले की साजिश रचने और आइपीसी 420 ठगी, 409 क्रिमिनल ब्रीच आॅफ ट्रस्ट और प्रिवेंशन आॅफ करप्शन के आरोप हटा दिये थे. इस फैसले के आठ महीने बाद सीबीआइ ने झारखंड हाइकोर्ट के फैसले के खिलाफ जुलाई, 2015 में सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की थी.