दवाओं की चोरी व एक्सपायरी रोकने के अब क्या हुए उपाय

सख्ती. हाइकोर्ट ने लगायी सरकार को फटकार पटना : पटना उच्च न्यायालय ने बुधवार को स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव, निदेशक प्रमुख, स्वास्थ्य, प्रशासन, एवं राज्य ड्रग कंट्रोलर को सरकारी अस्पतालों से दवाओं की चोरी और एक्सपायर होने को लेकर कड़ी फटकार लगायी है. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस राजेंद्र मेनन और जस्टिस सुधीर सिंह की कोर्ट […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 27, 2017 6:06 AM
सख्ती. हाइकोर्ट ने लगायी सरकार को फटकार
पटना : पटना उच्च न्यायालय ने बुधवार को स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव, निदेशक प्रमुख, स्वास्थ्य, प्रशासन, एवं राज्य ड्रग कंट्रोलर को सरकारी अस्पतालों से दवाओं की चोरी और एक्सपायर होने को लेकर कड़ी फटकार लगायी है.
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस राजेंद्र मेनन और जस्टिस सुधीर सिंह की कोर्ट ने मेडिकल कॉलेजों व उनके अस्पतालों से दवाओं की चोरी और दवाओं के एक्सपायर होने की वजह को रोकने और अबतक की गयी कार्रवाई के विषय में हलफनामा दायर करने को कहा. कोर्ट ने पीएमसीएच एवं दरभंगा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (डीएमसीएच) के सुपरिटेंडेंट के उन हलफनामों को अस्वीकार किया. इसमें सरकार के द्वारा दी गयी दावों की चोरियों का स्पष्ट रूप से हवाला नहीं दिया था. याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि पीएमसीएच से हुए दवाओं की चोरी पर पुलिस ने तीन एफआइआर की थी.
कॉलेज के प्रिंसिपल की जानकारी में और डीएमसीएच से दवाओं की चोरी की घटना पर वहां के प्रिंसिपल ने एफआइआर करने का कोई प्रयास नहीं किया. जबकि, सीआरपीएफ ने डीएमसीएच से चोरी हुए दवाओं को जयनगर पुलिस स्टेशन के पास बरामद किया था. इस संबंध में थाने में रपट भी लिखवाया.
पटना : पटना के दवा गोदामों में अगर छापेमारी कर दवाओं की जांच की जाये तो कई तरह की नकली व एक्सपायरी दवाएं मिलने की उम्मीद है. 2015 से पहले औषधि विभाग की ओर से गोमादों में की गयी छापेमारी में कई तरह की नकली व मिस ब्रांड दवाएं मिली हैं.
औषधि विभाग ने कुछ दुकानों को सील भी किया था. लेकिन 2016 के बाद कई ऐसे दवा गोदाम हैं जहां औषधि विभाग की टीम पहुंच नहीं पायी है. सूत्रों का कहना है कि औषधि विभाग की टीम अधिकांश दवा गोमादों में क्यों नहीं गयी छापेमारी की यह भी एक सवाल उठा रहा है, तो दूसरी ओर अगर वहां छापेमारी होती है तोकई तरह के खुलासे होंगे.
जिले में 600 से अधिक हैं दवा गोदाम
पटना और आसपास में करीब छह सौ से अधिक दवा कंपनियों के गोदाम हैं. प्रत्येक डिपो की जांच एवं छापेमारी की जिम्मेदारी संबंधित ड्रग इंस्पेक्टर की है. लेकिन जून 2016 के बाद औषधि नियंत्रण विभाग की टीम ने दवाओं के गोदामों में छापेमारी नहीं की. मजे की बात तो यह है कि डिपो में एक्सपायरी दवाएं कितनी है इसकी सूची भी ड्रग विभाग के पास नहीं है.
सूत्रों की माने तो एक्सपायरी दवाओं पर नया रैपर लगाकर पुन: बाजार में बेचने का खेल गोदामों से ही संचालित हो रहा है.वहीं सितंबर 2015 से जून 2016 के बीच औषधि विभाग की टीम ने पटना और आसपास के इलाकों के दवा गोदामों में छापेमारी की थी. उस समय काफी मात्रा में एक्सपायरी दवाएं मिली थी. सूत्रों का कहना है कि आइजीआइएमएस के इनिसिनरेटर में भी दवा नष्ट होने के लिए नहीं भेजा जा रहा है. एेसे में यह भी बड़ा सवाल खड़ा हो गया है.