शराबबंदी का एक साल : बदले नशेड़ी, कोई बना टीचर तो कोई व्यापारी

पटना: नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एनएमसीएच) के उत्तरी छोर पर व पीएमसीएच के नेत्र विभाग की बिल्डिंग में बनाये गये नशामुक्ति केंद्रों में अब शराबियों का पता नहीं है. शराबबंदी के एक साल पूरा होने के बाद जब शहर में संचालित हो रहे नशामुक्ति केंद्रों का जायजा लिया गया, तो एक भी नशेड़ी नहीं मिले. […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 2, 2017 7:20 AM

पटना: नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एनएमसीएच) के उत्तरी छोर पर व पीएमसीएच के नेत्र विभाग की बिल्डिंग में बनाये गये नशामुक्ति केंद्रों में अब शराबियों का पता नहीं है. शराबबंदी के एक साल पूरा होने के बाद जब शहर में संचालित हो रहे नशामुक्ति केंद्रों का जायजा लिया गया, तो एक भी नशेड़ी नहीं मिले.

हालांकि, शराबबंदी के बाद गांजा, भांग, सोल्यूशन जैसे नशा को कई ने अपना लिया. नशा छुड़ाने के लिए पहुंच रहे इकाई केंद्र में जब नशेड़ियों को गंजा, भांग नहीं मिल रहा तो वह हंगामा भी कर रहे हैं. एक साल में 1330 नशेड़ियों का हुआ इलाज : एनएमसीएच के नशामुक्ति केंद्र में पिछले एक साल में 1330 मरीज नशा छुड़ाने के लिए पहुंचे. इनमें 333 मरीज को अस्पताल में भरती कर इलाज किया गया. इन नशेड़ियों में सबसे अधिक शराब के लती पहुंचने वाले मरीज थे. हालांकि, सभी मरीजों को सफलता पूर्वक इलाज कर नशा छुड़ा दिया गया. वहीं, वर्तमान समय में एनएमसीएच के नशामुक्ति केंद्र में 16 नशेड़ियों का इलाज चल रहा है. इनमें एक भी शराब के नहीं बल्कि गंजा, भांग, सोल्यूशन जैसे नशा से पीड़ित हैं.

1330 मरीजों का हुआ इलाज, 333 मरीज हुए भरती

केस : 1 शराब की लत में टेलीकॉम की नौकरी छोड़ बरबादी के कगार पर पहुंचे अजीत कुमार आज एक प्राइवेट स्कूल में नौकरी कर रहे हैं. गुलजारबाग के रहनेवाले अजीत का इलाज एनएमसीएच के नशामुक्ति केंद्र में हुआ. इलाज करनेवाले डॉक्टरों ने बताया कि 35 साल का अजीत काफी पढ़ा लिखा था, तकनीकी शिक्षा के बाद टेलीकॉम कंपनी में काम कर रहा था. शराबबंदी के बाद जैसे ही उसका नशा छूटा वह बच्चों को पढ़ाने का काम कर रहा है. परिवार के साथ वह अपनी खुशहाल जिंदगी बिता रहा है.

केस : 2 बिहटा के रहनेवाला लाल बाबू चौधरी शराब के नशे में पूरी तरह से बरबाद हो चुका था. नशामुक्ति केंद्र में पिछले साल अप्रैल में करीब 15 दिन भरती कर इलाज चला. जैसे ही नशा छूटा वह अपनी जिंदगी में लौटा. इलाज कर रहे डॉक्टरों को परिवार वालों ने बताया कि बिहटा में ही दुकान कर वह व्यापार में जुट गया है.

एक साल में 1330 मरीज ऐसे पहुंचे

जो नशे से पीड़ित थे. इनमें 333 मरीजों को भरती कर इलाज किया गया. अभी 16 मरीज भरती हैं, लेकिन इनमें से एक भी मरीज शराब के नशे से पीड़ित नहीं हैं. गंजा, भांग व सोल्यूशन का नशा करनेवाले मरीज आ रहे हैं. पहले शराबी थे वह उन्हें नशा पूरी तरह से छूट गयाहै और वह अच्छा जीवन व्यतीत कर रहे हैं.डॉ संतोष कुमार, नोडल अधिकारी नशामुक्ति केंद्र एनएमसीएच

Next Article

Exit mobile version