चैत्र नवरात्र : नौका पर आयेंगी मां दुर्गा अश्व पर होगी विदाई
29 मार्च से शुरू होगा चैत्र नवरात्र शुभ फलदायी है मां का अागमन और गमन इस बार भी चैत्र नवरात्र होगा आठ दिनों का पटना : चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के साथ ही बसंतीय नवरात्र 29 मार्च से शुरू होंगे. इस बार मां दुर्गा नौका पर सवार होकर मंदिरों में विराजमान होंगी और नवरात्र को अश्व […]
29 मार्च से शुरू होगा चैत्र नवरात्र
शुभ फलदायी है मां का अागमन और गमन
इस बार भी चैत्र नवरात्र होगा आठ दिनों का
पटना : चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के साथ ही बसंतीय नवरात्र 29 मार्च से शुरू होंगे. इस बार मां दुर्गा नौका पर सवार होकर मंदिरों में विराजमान होंगी और नवरात्र को अश्व पर सवार होकर माता की विदाई हाेगी. ज्योतिषियों के अनुसार यह दोनों स्थितियां देश के लिए शुभ फलदायी है. आगमन जहां देश में अन्नवृद्धि द्योतक है, वहीं गमन भी देश में समृद्धि का संकेत दे रहा है. इस कारण नवरात्र शुभ फलदायी कहा जा रहा है.
बुधवार को 6:32 तक कलश स्थापना का मुहूर्त : ज्याेतिषियों का कहना है कि बुधवार 29 मार्च को सुबह 6.32 बजे तक कलश स्थापना का मुहूर्त है. इसके अतिरिक्त अभिजीत मुहूर्त में भी कलश स्थापना करना श्रेष्ठ होता है. यह मुहूर्त सुबह 11.35 से 12.23 बजे तक है. इस दिन सूर्योदय से अपराह्न 1.40 बजे तक सर्वार्थसद्धि योग का भी लाभ हो रहा है, जहां प्रतिपदा तिथि क्षय नहीं हो रही है. दुर्गाष्टमी चार अप्रैल को सुबह 11.20 बजे तक और महानवमी पांच अप्रैल सुबह 10.04 बजे तक है. नवमी का हवन इस वक्त में करना श्रेष्ठ रहेगा.
इस प्रकार करें मां की पूजा:-
मां दुर्गा जी का चित्र स्थापित करें और पूर्वमुखी होकर उनकी चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं. मां दुर्गा की बांई ओर सफेद वस्त्र बिछा कर उस पर चावल के नौ कोष्ठक, नवग्रह एवं लाल वस्त्र पर गेहूं के सोलह कोष्ठ षौडशामृत के बनाएं, एक मिट्टी के कलश पर स्वास्तिक बना कर उसके गले में मौली बांध कर उसके नीचे गेहूं अथवा चावल डाल कर रखें. उसके बाद उस पर नारियल भी रखें, नारियल पर मौली भी बांधे. तेल का दीपक व शुद्ध घी का दीपक जलाएं. मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर हल्का सा गीला करके उसमें जौ के दाने डाले, उसे चौकी के बाई और कलश के पास रखे.
इन मुख्य पूजन सामग्री को कर लें इकट्ठा
चावल, सुपारी, रोली, मौली, जौ, सुगंधित पुष्प, केसर, सिंदूर, लौंग, इलायची, पान, सिंगार, सामग्री, दूध, दही, गंगाजल, शहद, शक्कर, शुद्ध घी, वस्त्र, आभूषण, बिल्व पत्र, यज्ञोपवीत, मिट्टी का कलश, दूर्वा, इत्र, चंदन, चौकी, लाल वस्त्र, धूप, दीप, नैवेद्य, अबीर, गुलाल, स्वच्छ मिट्टी, जल, ताम्र कलश आदि.
छठपूजा : 31 को पुरानी संझत, एक को लोहंडा
लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा की तैयारियां भी परवान पर है. इस बार द्वितीया तिथि का लोप होने के कारण छठ की समयावधि भी परिवर्तित हुई है. 31 मार्च को पुरानी संझत है और एक अप्रैल को लोहंडा का आयोजन होगा. दो अप्रैल को पहला अर्घ्य और तीन को पारण के साथ ही महापर्व छठ की समाप्ति होगी. इधर बाजार में छठ की छटा दिखनी शुरू हो गयी है. छठ के सामग्रियों के बिक्री की शुरुआत हो गयी है. छठ के गीतों से एक-दो दिनों में वातावरण भक्तिमय हो जायेगा.