पटना : आपदा प्रबंधन व निकायों के अनुदान राशि में वृद्धि : सुशील मोदी

पटना : डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि केंद्रीय बजट 2020-21 में 15वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर बिहार के लिए आपदा प्रबंधन और स्थानीय निकायों की अनुदान राशि में तीन गुनी तक की वृद्धि की है. 2019-20 में जहां आपदा प्रबंधन के लिए 569 करोड़ का प्रावधान किया गया था. वहीं, […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 3, 2020 6:36 AM
पटना : डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि केंद्रीय बजट 2020-21 में 15वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर बिहार के लिए आपदा प्रबंधन और स्थानीय निकायों की अनुदान राशि में तीन गुनी तक की वृद्धि की है. 2019-20 में जहां आपदा प्रबंधन के लिए 569 करोड़ का प्रावधान किया गया था.
वहीं, 2020-21 में इसे बढ़ाकर एक हजार 888 करोड़ तथा नगर निकायों की प्रावधानित राशि 818 करोड़ को बढ़कर दो हजार 416 करोड़ कर दी गयी है. पहली बार पंचायती राज को प्राप्त होने वाली पांच हजार 18 करोड़ की राशि तीनों संस्थाओं जिला पर्षद, प्रखंड समिति और ग्राम पंचायतों को मिलने जा रही है.
इसके अतिरिक्त 2020-21 के बजट में पहली बार बिहार की आंगनबाड़ी केंद्रों को केंद्र से अतिरिक्त पोषाहार के लिए मिलने वाली राशि के अलावा 664 करोड़ रुपये मिलेंगे ताकि कुपोषण को कम किया जा सके.
डिप्टी सीएम ने कहा कि इसी तरह नगर निकायों के लिए वर्ष 2019-20 में 818 करोड़ का प्रावधान था, जिसे 2020-21 में एक हजार 597 करोड़ में करीब ढाई गुना यानी दो हजार 416 करोड़ की बढ़ोतरी करने जा रही है. इनमें से पटना नगर निकाय को 408 करोड़ की राशि प्राप्त होगी, जिसकी आधी राशि वायु की गुणवत्ता के सुधार पर तथा शेष राशि पेयजल और ठोस कचरा प्रबंधन पर खर्च किये जायेंगे. राज्य के अन्य स्थानीय निकायों को दो हजार आठ करोड़ मिलेंगे.
तीन गुनी हुई है बढ़ोतरी : मोदी
उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन के लिए 2020-21 में मिलने वाली एक हजार 888 करोड़ में पहली बार केंद्र सरकार ने 80 प्रतिशत राशि आपदा का मुकाबला करने और 20 फीसदी राशि उसे रोकने पर खर्च करने का प्रावधान किया है. इसके अलावा बिहार के सूखा ग्रस्त जिलों की योजनाओं को बनाने के लिए 20 करोड़ मिलेंगे तथा अग्निशमन सेवाओं के आधुनिकीकरण के लिए केंद्र की तरफ से बनाये गये फंड का लाभ भी बिहार को होगा. पंचायती राज संस्थाओं को मिलने वाली 50 फीसदी राशि को अपनी योजना के अनुसार तीनों संस्थाएं खर्च कर पायेंगी, जबकि शेष 50 प्रतिशत राशि स्वच्छता और पेयजल से जुड़ी योजनाओं पर खर्च होंगी.

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