कच्ची गलियां और जलजमाव बनी पहचान

पटना : शहरी क्षेत्र होने के बावजूद पटना नगर निगम का वार्ड संख्या तीन अब भी 80% ग्रामीण परिवेश में है. यहां के लोग पानी के लिए चापाकल पर निर्भर हैं. कच्ची गलियों के कारण नियमित सफाई नहीं होती है. जलजमाव भी गंभीर समस्या है. नयी बसी कॉलोनी विकास बिहार में तीन माह बाद जगह-जगह […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 13, 2020 8:57 AM

पटना : शहरी क्षेत्र होने के बावजूद पटना नगर निगम का वार्ड संख्या तीन अब भी 80% ग्रामीण परिवेश में है. यहां के लोग पानी के लिए चापाकल पर निर्भर हैं. कच्ची गलियों के कारण नियमित सफाई नहीं होती है. जलजमाव भी गंभीर समस्या है. नयी बसी कॉलोनी विकास बिहार में तीन माह बाद जगह-जगह पर आज भी जलजमाव की समस्या है. ग्रामीण इलाके की तरह दीवारों पर गोइठा ठोकने का काम हो रहा है. नयी कॉलोनियों व पुराने घरों को नया बनाने वाले लोग निजी बोरिंग करा रहे हैं. पाइप से जलापूर्ति के लिए सबजपुरा देवी स्थान में 1.25 करोड़ की लागत से बोरिंग हो रही है.

इसके अलावा एक अन्य बोरिंग भी हो रही है. जगदेव पथ से बीएमपी-16 तक व रूपसपुर नहर से दक्षिण का इलाका वार्ड संख्या तीन में है. वार्ड में वोटरों की संख्या लगभग 42 हजार है. यह दो विधानसभा दीघा व दानापुर के अंतर्गत पड़ता है. इसका इलाका पाटलिपुत्र व पटना साहिब संसदीय क्षेत्र में बंटा है.
नहीं होती है नियमित साफ-सफाई, क्षेत्र को दो भागों में बांटने की हो रही है मांग
गली-नाली पर जोर
वार्ड में कच्ची गलियों के पक्कीकरण व नाला निर्माण पर जोर दिया जा रहा है. ताकि, आवागमन की सुविधा बढ़ने के साथ ही पानी की निकासी हो सके. नियमित सफाई नहीं हो रही है. इससे इलाके में जहां-तहां कचरा जमा है. डोर-टू-डोर कचरा उठाव का फायदा लोगों को नहीं मिल रहा है. लेकिन, वार्ड पार्षद के प्रयास से गलियों का पक्कीकरण हो रहा है. इसके लिए विधायकों व सांसदों से फंड का इंतजाम कर काम कराया जा रहा है. निगम से 28 करोड़ की योजनाओं का काम हो रहा है. क्षेत्र बड़ा होने के कारण इसे दो भाग में बांटने की मांग हो रही है. ताकि, लोगों को सुविधाएं मिले.
पाइप से पानी मिले, इसके लिए सबजपुरा देवी स्थान के पास बोरिंग हो रही है. कच्ची गली होने के कारण नियमित सफाई नहीं होती है.
अर्जुन सिंह
बरसात में काफी परेशानी होती है. कम बारिश में भी चलना मुश्किल होता है. ग्रामीण क्षेत्र होने से अधिकांश गलियां कच्ची हैं.
लाल बाबू
वार्ड का पहले विकास एकदम नहीं हो पाया. इस वजह से समस्याएं बरकरार हैं. इस दिशा में अब कारगर काम हो रहा है.
प्रमोद कुमार
सालों से हमलोग चापाकल से पानी पी रहे हैं. पाइप कभी बिछी हीं है. अब बोरिंग हो रही है. इसके बाद पाइप से पानी मिलेगा.
कौशल कुमार

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