अपराध के राष्ट्रीय औसत से बहुत पीछे है बिहार

पटना : एनसीआरबी की रिपाेर्ट राज्यवासियों के लिए कुछ मामलों में गुड न्यूज से कम नहीं हैं. अपना राज्य अपराध दर के राष्ट्रीय औसत से बहुत पीछे है. अपराध के मामले में राज्य का पूरे देश में 23 वां स्थान है. शराबबंदी के कारण महिलाओं के प्रति होने वाले अपराध की दर अन्य राज्यों की […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 13, 2020 8:31 AM

पटना : एनसीआरबी की रिपाेर्ट राज्यवासियों के लिए कुछ मामलों में गुड न्यूज से कम नहीं हैं. अपना राज्य अपराध दर के राष्ट्रीय औसत से बहुत पीछे है. अपराध के मामले में राज्य का पूरे देश में 23 वां स्थान है. शराबबंदी के कारण महिलाओं के प्रति होने वाले अपराध की दर अन्य राज्यों की तुलना में करीब आधी है.

एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं के शारीरिक उत्पीड़न में राज्य 31 से 36 वें स्थान पर आ गया है. पति- परिजनों द्वारा उत्पीड़न के मामले में 23 वें स्थान पर है. दंगा की घटनाओं में भी रिकाॅर्ड गिरावट आयी है. 2017 के मुकाबले 2018 में करीब आठ हजार मामले कम हो गये.
यही नहीं 2019 में यह घटनाएं और भी कम हुईं. वर्ष 2018 के मुकाबले 28 प्रतिशत कमी आयी है. फिरौती के लिए अपहरण वाली सूची में अंतिम पायदान है. सामान्य अपहरण में भी नौंवे से 15 वें तथा हत्या में भी नौंवे से 11 वें स्थान पर है. हत्या के प्रयास की घटनाओं में भी 37 फीसदी की गिरावट हुई है.
एडीजी मुख्यालय अमित कुमार और एडीजी सीआइडी विनय कुमार ने रविवार को संयुक्त रूप से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर एनसीआरबी की वर्ष 2018 रिपोर्ट का अध्ययन कर अपना पक्ष रखा. एडीजी ने बताया कि एनसीआरबी के आंकड़े जारी करने के बाद सोशल मीडिया पर टुकड़ों -टुकड़ों में विश्लेषण हो रहा है. हर राज्य की जनसंख्या में अंतर हाेता है.
अपराध में राज्य का देश भर में 23 वां स्थान
शराबबंदी का दिख रहा है असर
एडीजी विनय कुमार और अमित कुमार ने विशेष टिप्पणी करते हुए कहा कि राज्य में पूर्ण शराबबंदी के बाद मुख्य रूप से दंगा एवं महिलाओं के खिलाफ अपराध एवं पति- परिजनों द्वारा उत्पीड़न की घटनाओं में कमी अायी है. वर्ष 2015 में दंगा के कुल 13311, वर्ष 16 में 11617 , वर्ष 17 में 11698 और वर्ष 2018 में 10276 मामले दर्ज हुए. इस शीर्ष में 2015 में अपराध दर 12.9 थी. 2018 में यह दर 8.7 है.
दूसरे राज्यों की तुलना में बिहार बेहतर स्थिति में
अपराध की संख्या के आधार पर विश्लेषण करना व्यावहारिक नहीं है. प्रति लाख जनसंख्या के आधार पर अपराध दर का निर्धारण किया जाता है. अन्य राज्यों की तुलना में बिहार की स्थिति बेहतर है.
अगर वर्ष 2018 के आपराधिक मामलों के आंकड़ों की तुलना साल 2017 से की जाए, तो प्रति लाख लोगों पर अपराध दर 2017 में 223.9 थी. 2018 में यह 222.1 है. संज्ञेय अपराध की घटनाओं में बिहार का 23 वां स्थान है. संगीन अपराध के कई शीर्ष होते हैं. किसी में बढ़ोतरी तो किसी में कमी आती है.
अधिकारियों ने माना कि कैश ट्रांजिस्ट के दौरान लूट की घटनाएं बढ़ी हैं लेकिन इनको रोकने को रणनीति भी बनायी जा रही है. गैंगरेप के केस में गिरफ्तारी , सजा की दर बढ़ी है. फास्टट्रैक कोर्ट भी बढ़ाये जा रहे हैं.

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