शेल्टर होम मामला : 20 तत्कालीन DM समेत 25 IAS अफसरों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश

पटना : शेल्टर होम मामले में सीबीआइ की प्रारंभिक रिपोर्ट राज्य के मुख्य सचिव दीपक कुमार को मिलने के बाद इसमें समुचित कार्रवाई का आदेश जारी कर दिया गया है. मुख्य सचिव दीपक कुमार ने सामान्य प्रशासन विभाग को कार्रवाई का निर्देश दिया है. इसके तहत लगभग 25 आइएएस अधिकारियों को शोकॉज करने की तैयारी […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 10, 2020 8:09 AM

पटना : शेल्टर होम मामले में सीबीआइ की प्रारंभिक रिपोर्ट राज्य के मुख्य सचिव दीपक कुमार को मिलने के बाद इसमें समुचित कार्रवाई का आदेश जारी कर दिया गया है. मुख्य सचिव दीपक कुमार ने सामान्य प्रशासन विभाग को कार्रवाई का निर्देश दिया है. इसके तहत लगभग 25 आइएएस अधिकारियों को शोकॉज करने की तैयारी सामान्य प्रशासन विभाग के स्तर से शुरू हो गयी है. समीक्षा के बाद अंतिम स्तर पर मुहर लगते ही सभी संबंधित आइएएस को शोकॉज लेटर जारी कर दिया जायेगा.

इन 25 अधिकारियों में 10 जिलों के 20 तत्कालीन डीएम के भी शामिल होने की पूरी संभावना है. इनमें सबसे ज्यादा पूर्वी चंपारण के सात और पटना के दो तत्कालीन डीएम हो सकते हैं. इसके अलावा सचिव, निदेशक समेत अन्य स्तर के उच्च अधिकारियों के होने की संभावना है. शोकॉज लेटर मिलने के बाद सभी संबंधित अधिकारियों को जवाब देने के लिए 14 दिनों की मोहलत दी जायेगी.
हालांकि, सामान्य प्रशासन विभाग के स्तर से शोकॉज संबंधित आदेश जारी होने के बाद ही पूरी स्थिति स्पष्ट हो पायेगी. इसके अलावा बिहार प्रशासनिक सेवा समेत अन्य स्तर के करीब 45 पदाधिकारियों को भी सीबीआइ ने अपनी जांच में दोषी पाया है. इन पदाधिकारियों को भी शोकॉज होना तय माना जा रहा है. आइएएस अधिकारियों के साथ ही इनको भी शोकॉज किया जा सकता है.
ये हैं इन सभी अधिकारियों पर आरोप
सीबीआइ ने अपनी जांच रिपोर्ट में 25 आइएएस और करीब 45 अन्य स्तर के पदाधिकारियों को कई स्तर पर दोषी पाया है. सभी संबंधित डीएम के बारे पाया गया कि उन्होंने अपने-अपने जिले में मौजूद संबंधित सभी बालिका या बालक गृह, शॉर्ट स्टे होम समेत ऐसे अन्य होम की जांच नहीं की है, जबकि डीएम की ही इन सभी होम के जांच करने की जवाबदेही होती है. उन्होंने अपने कार्यकाल में एक बार भी किसी होम की जांच नहीं की.
कुछ डीएम ने जांच में गड़बड़ी मिलने के बाद भी संबंधित होम के संचालकों के साथ ही इनकी मॉनीटरिंग करने वाले किसी स्तर के पदाधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं की. खासकर बालिका गृह की जांच में काफी लापरवाही बरती गयी है. इसके अलावा टीस की रिपोर्ट आने के बाद भी जिला स्तर पर किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गयी. सभी होम बदस्तूर चलते रहे. वहीं, कई जिला कल्याण पदाधिकारी, जिला प्रोग्राम पदाधिकारी समेत अन्य पदाधिकारियों को भी इन होम की बदहाली के लिए बड़े स्तर पर दोषी पाया गया है.
इन पदाधिकारियों की मिलीभगत से ही इन सभी होम की बदहाली बनी रही और इनमें अराजक माहौल बना रहा. इसके अलावा समाज कल्याण विभाग के भी कई पदाधिकारियों को इसमें दोषी पाया गया है. कुछ की इनके संचालकों के साथ मिलीभगत थी, तो कुछ ने जांच रिपोर्ट दबाने या बदलने की कोशिश की थी, ताकि दोषियों को बचाया जा सके.
इन 12 जिलों के 17 शेल्टर गृहों की सीबीआइ ने की थी जांच
टीस की ऑडिट रिपोर्ट में चिह्नित 12 जिलों के 17 शेल्टर होम की जांच सीबीआइ ने की थी. इनमें मुजफ्फरपुर, गया, भागलपुर, मुंगेर, पटना, पूर्वी चंपारण, कैमूर, मधेपुरा, अररिया, मधुबनी और गया जिला शामिल हैं. इनमें पटना का शॉर्ट स्टे होम, स्पेशलाइज्ड एडप्शन एजेंसी और कौशल कुटीर शामिल हैं.
गायब चार बच्चियों में से एक को तलाश रही पुलिस
मुजफ्फरपुर. बालिका गृह कांड की जांच कर रही सीबीआइ ने अपनी स्टेटस रिपोर्ट में कहा है कि बालिका गृह की किसी बच्ची की हत्या नहीं हुई है. सभी 35 लड़कियां सुरक्षित हैं. वहीं, दूसरी तरफ बालिका गृह से गायब चार बच्चियों में से एक की पुलिस अब भी तलाश कर रही है. 2013-14 में बालिका गृह से रहस्यमय ढंग से मधुबनी जिले के फुलपरास, नयी दिल्ली के पहाड़गंज, अहियापुर व इटावा की बच्चियां गायब हो गयी थीं.
2018 में बालिका गृह में यौन उत्पीड़न का मामला प्रकाश में आने के बाद तत्कालीन एसएसपी हरप्रीत कौर के निर्देश पर जमादार योगेंद्र महतो से गायब बच्चियों का सत्यापन कराया गया. इस दौरान अहियापुर की गायब बच्ची का सत्यापन हो गया. उसकी शादी हो चुकी है और वह अपने ससुराल में थी.
साथ ही इटावा की रहनेवाली बच्ची का भी सत्यापन हो गया था. वहीं, दिल्ली के पहाड़गंज की बच्ची का सत्यापन के दौरान उसका नाम पता गलत पाये जाने से उसका कुछ पता नहीं चल पाया. मधुबनी के फुलपरास की बच्ची के बारे में भी कुछ सुराग हासिल नहीं हो सकी. इसके बाद जमादार योगेंद्र महतो के बयान पर दो अगस्त, 2018 को नगर थाने में प्राथमिकी दर्ज की गयी. इस केस का आइओ दारोगा धर्मेंद्र कुमार को बनाया गया था.

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