रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए 404 भवन चिह्नित

विजय सिंह, पटना : जिले में जल संचय, जल के नये स्रोतों को बढ़ाने, पुराने को जीवंत करने की प्रक्रिया तेज हो गयी है. ग्रामीण इलाकों में तालाब, आहर, पइन, चेक डैंप तथा रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था की जा रही है. इसी के साथ जिले के 404 सरकारी भवनों को अब तक चिह्नित किया […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 12, 2019 5:18 AM

विजय सिंह, पटना : जिले में जल संचय, जल के नये स्रोतों को बढ़ाने, पुराने को जीवंत करने की प्रक्रिया तेज हो गयी है. ग्रामीण इलाकों में तालाब, आहर, पइन, चेक डैंप तथा रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था की जा रही है. इसी के साथ जिले के 404 सरकारी भवनों को अब तक चिह्नित किया जा चुका है, जहां पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था होगी. अभी और भवनों का चयन भी किया जा रहा है. इसके अलावा शहरों में बिल्डिंग बाइलॉज का पालन कराया जायेगा.

दरअसल नियम है कि तीन हजार से पांच हजार वर्गफुट एरिया में बनने वाले भवनों का नक्शा तब ही पास होगा, जब उसमें वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था होगी. लेकिन नक्शा तो पास हो जाता है, पर वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था नहीं की जाती है. अब इसका सख्ती से पालन कराया जायेगा. नियम-कानून का उल्लंघन करने वालों पर कानूनी कार्रवाई की जायेगी.
पांच हजार वर्ग फुट एरिया में बनने वाले भवनों का नक्शा पास कराने के लिए वाटर हार्वेस्टिंग पहले से अनिवार्य की गयी है. इसका सख्ती से पालन
कराया जायेगा.
पटना के इन अंचलों में वाटर लेवल गया था नीचे
दरअसल वाटर हार्वेस्टिंग को लेकर जिला प्रशासन और नगर निगम तब गंभीर हुआ है, जब इस बार गर्मी के महीनों में पांच अंचलाें में वाटर लेवल नीचे चला गया. इसमें पटना सदर, अथमलगोला, फुलवारीशरीफ, पुनपुन, संपतचक शामिल हैं. इसको देखते हुए ग्रामीण एवं शहरी इलाकों में जल संचय को लेकर प्लानिंग की गयी है. जिला प्रशासन का कहना है कि जल संचय को लेकर जागरूकता की कमी है. इसके बारे में लोगों को बताया जायेगा.
फैक्ट फाइल
रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का निर्माण दो तरह से कराया जाता है.रूफ टॉप वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाने पर 80 हजार रुपये की लागत आती है. छोटा वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का निर्माण कराने पर 65 हजार रुपये की लागत आती है. इसके लिए सरकार की तरफ से कोई आर्थिक मदद नहीं दी जाती है.

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