बिहार में महिलाओं की भूमिका हर क्षेत्र में बढ़ी – हरिवंश

पटना : बिहार में महिलाओं का संपत्ति पर अधिकार और निर्णय लेने में उनकी भूमिका पहले से बड़ी है. अपनी सुनिर्धारित नीतियों के साथ बिहार इस फासले में कमी लाने की दिशा में प्रभावशाली ढंग से आगे बढ़ रहा है. आद्री स्थित इंटरनेशनल ग्रोथ सेंटर द्वारा महिला विकास निगम के साथ मिलकर ‘लैंगिक अंतराल में […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 8, 2019 4:53 AM

पटना : बिहार में महिलाओं का संपत्ति पर अधिकार और निर्णय लेने में उनकी भूमिका पहले से बड़ी है. अपनी सुनिर्धारित नीतियों के साथ बिहार इस फासले में कमी लाने की दिशा में प्रभावशाली ढंग से आगे बढ़ रहा है. आद्री स्थित इंटरनेशनल ग्रोथ सेंटर द्वारा महिला विकास निगम के साथ मिलकर ‘लैंगिक अंतराल में कमी : स्वास्थ्य, शिक्षा और आर्थिक अवसर’ पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने कहा कि अगर लैंगिक अंतराल में कमी के लिए लगातार सचेत प्रयास नहीं किये जाते हैं, तो अभी तक हासिल उपलब्धियां पलट भी सकती हैं. इस संबंध में समाज में जागरूकता जरूरी है. उन्होंने लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए कई सुझाव दिये.

कार्यक्रम में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा कि मातृ मृत्यु दर किसी राज्य की स्वास्थ्य देख-रेख सुविधाओं का एक अच्छा सूचक होता है.
कार्यक्रम में स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार, नयी दिल्ली भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के प्रो शिशिर देबनाथ, आइएसएस हेग के प्रोफेसर अर्जुन बेदी, पोपुलेशन काउंसिल के केजी सत्या, प्रो काजी मोनीरुल इस्लाम, यार्क विश्वविद्यालय के सुमित मजुमदार, आद्री के सदस्य सचिव और आइजीसी के बिहार लीडर डॉ शैबाल गुप्ता, बिहार सरकार के महिला विकास निगम की प्रबंध निदेशक डॉ एन विजयलक्ष्मी और आद्री के निदेशक प्रोफेसर प्रभात पी घोष मौजूद थे.
आद्री की डाॅ अश्मिता गुप्ता ने बताया कि महिलाओं को उच्च और निम्न स्तर के काम तो मिल जा रहे हैं, लेकिन उन्हें मध्यम स्तर के काम नहीं मिल रहे हैं. भारतीय प्रबंधन संस्थान कोलकाता (आइआइएमसी) के राघवेंद्र चट्टोपाध्याय ने पंचायती स्थानीय निकायों में पदस्थापित महिलाओं के बारे में अपनी बातें रखीं.
इस पैनल डिस्कशन में प्रोफेसर राममोहन ने भी भाग लिया. इसके पहले सत्र की शुरुआत में पश्चिम ऑस्ट्रेलिया विश्वविद्यालय की प्रोफेसर अनु राममोहन ने कहा कि लड़कियों की शिक्षा पर बहुत कम निवेश होता है. सरकारी स्कूलों के शैक्षिक परिणामों में गिरावट आ रही है.

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