पटना : सितंबर महीने में 39 में से सिर्फ पांच विभागों ने बचायी बिजली
बिजली बचाने में सरकारी महकमों की रुचि नहीं पटना : जल-जीवन-हरियाली मिशन के तहत दिये गये निर्देश के बाद भी सरकारी महकमों ने बिजली बचाने में रूचि नहीं दिखायी. सरकार के 39 में से मात्र पांच विभागों ने ही सितंबर, 2018 की तुलना में सितंबर, 2019 में बिजली खर्च में कटौती की है. लघु जल […]
बिजली बचाने में सरकारी महकमों की रुचि नहीं
पटना : जल-जीवन-हरियाली मिशन के तहत दिये गये निर्देश के बाद भी सरकारी महकमों ने बिजली बचाने में रूचि नहीं दिखायी. सरकार के 39 में से मात्र पांच विभागों ने ही सितंबर, 2018 की तुलना में सितंबर, 2019 में बिजली खर्च में कटौती की है. लघु जल संसाधन, उच्च शिक्षा, सूचना एवं जनसंपर्क, पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन और समाज कल्याण विभाग के राज्य के विभिन्न जिलों में स्थित कार्यालयों ने एक करोड़ चार लाख रुपये की बिजली की बचत की है.
अकेले लघु जल संसाधन विभाग ने सितंबर महीने में करीब साढ़े 99 लाख रुपये की बिजली की बचत की है. लघु जल संसाधन विभाग का बिजली बिल सितंबर, 2018 में 11 करोड़ चार लाख 71 हजार रुपये था.
यह सितंबर, 2019 में कम होकर 10 करोड़ पांच लाख 29 हजार रुपये रह गया. ऐसे में इसमें करीब नौ फीसदी की कमी हुई. उच्च शिक्षा का बिजली बिल सितंबर, 2018 में 20 लाख आठ हजार रुपये था. यह सितंबर, 2019 में कम बिजली खपत होने से कम हो गया और 16 लाख 32 हजार रुपये रह गया. इसमें करीब 18.71 फीसदी की कमी आयी है.
इन विभागों ने एक करोड़ चार लाख की बिजली बचायी
वहीं, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग का बिजली बिल सितंबर, 2018 में 40 हजार रुपये था. यह सितंबर, 2019 में घटकर करीब 36 हजार रुपये रह गया. इस तरह इसमें 9.93 फीसदी की कमी आयी. पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग का बिजली बिल सितंबर, 2018 में दो लाख 79 हजार रुपये था.
सितंबर 2019 में इसमें करीब 20.85 फीसदी की कमी आयी और यह घटकर दो लाख 21 हजार रुपये रह गया. बिजली बचत के मामले में समाज कल्याण विभाग का सितंबर, 2018 में बिजली बिल दो लाख 95 हजार रुपये था. यह सितंबर, 2019 में करीब 15.11 फीसदी घटकर करीब ढाई लाख रुपये रह गया.
क्या कहते हैं अधिकारी
इस संबंध में ऊर्जा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत सभी सरकारी विभागों को बिजली की बचत करने की सलाह दी गयी थी. इसके तहत सभी विभागों के बिजली खर्च की तुलना पिछले साल के सितंबर महीने और इस साल के सितंबर महीने से की गयी है. इसका मकसद विभागों को बिजली का बचत करने के लिए प्रोत्साहित करना है.