बंगाल और झारखंड से पटना आती है ब्राउन शुगर, स्कूल व कॉलेज में खपत सबसे ज्यादा

पटना : ब्राउन शुगर की खेप को पश्चिम बंगाल व झारखंड से पटना लाया जाता है. इसे साथ ही म्यामांर से भी गौहाटी के रास्ते पटना लाया जाता है. ब्राउन शुगर की काफी कीमत होती है, जिसके कारण थोड़ी सी मात्रा ही तस्करों को लखपति बना देती है. इसके कारण तस्करों का झुकाव ब्राउन शुगर […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 15, 2019 1:35 PM

पटना : ब्राउन शुगर की खेप को पश्चिम बंगाल व झारखंड से पटना लाया जाता है. इसे साथ ही म्यामांर से भी गौहाटी के रास्ते पटना लाया जाता है. ब्राउन शुगर की काफी कीमत होती है, जिसके कारण थोड़ी सी मात्रा ही तस्करों को लखपति बना देती है. इसके कारण तस्करों का झुकाव ब्राउन शुगर की तस्करी की ओर हुआ है. इसके साथ ही बिहार की राजधानी पटना होने के कारण तस्करों ने अपनी जड़ों को मजबूत करने का प्रयास शुरू कर दिया है.

जानकारी के अनुसार, इंटरनेशनल मार्केट में उच्च क्वालिटी के ब्राउन

शुगर के एक किलो की कीमत तीन करोड़ रुपये है. जबकि सबसे खराब क्वालिटी की कीमत भी कम से एक करोड़ रुपये है. पश्चिम बंगाल व झारखंड में अफीम की खेती काफी होती है. और, अफीम से ही ब्राउन शुगर को बनाया जाता है. जक्कनपुर पुलिस द्वारा पकड़ा गया ब्राउन शुगर भी पश्चिम बंगाल से पटना लाया गया था. पुलिस इसमें कुछ इनपुट मिले हैं और ब्राउन शुगर के मुख्य तस्करों को पकड़ने के लिए छापेमारी की जा रही है. डीआरआइ की टीम ने पिछले साल महावीर मंदिर के पास से तस्कर को पकड़ा था और काफी मात्रा में ब्राउन शुगर को बरामद किया था. यह ब्राउन शुगर भी पश्चिम बंगाल से पटना लाया गया था.

स्कूल व कॉलेज के छात्र हैं ग्राहक

ब्राउन शुगर महंगा होने के कारण यह उच्च वर्गीय लोगों का नशा है. रईस घर के बच्चे ब्राउन शुगर की चपेट में लगातार आ रहे हैं. इसके साथ ही स्कूल व कॉलेज के छात्र ब्राउन शुगर तस्करों के टारगेट पर है. सूत्रों का कहना है कि तस्कर छात्रों से पहले दोस्ती करते हैं और फिर ब्राउन शुगर के नशे का आदी बनाते हैं. जब कोई भी छात्र उस नशे का आदी हो जाता है तो उसे अपने गिरोह में शामिल कर लेते हैं और उससे भी बिक्री करवाने का धंधा शुरू कर देते हैं. मलाही पकड़ी के पास कंकड़बाग पुलिस ने ब्राउन शुगर के साथ तस्कर को पकड़ा था. उसने पुलिस के समक्ष खुलासा किया था कि उसके ग्राहक छात्र हैं. इसलिए वह मलाही पकड़ी इलाके में ही सक्रिय रहता है, ताकि उसे आसानी से छात्र मिल जाये. क्योंकि इस इलाके में कई कोचिंग संस्थान व स्कूल हैं. जिसके कारण ग्राहक खोजने में परेशानी नहीं होती है.

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