विश्व स्तनपान सप्ताह : मां का दूध नहीं पीने वाले बच्चे हो रहे बीमार

सबसे अधिक बच्चे निमोनिया व डायरिया की चपेट में पटना : विश्व स्तनपान सप्ताह के दौरान स्तनपान के प्रति लोगों को जागरूक किया जा रहा है. हालांकि जागरूकता पर लाखों खर्च के बावजूद प्रदेश में स्तनपान को लेकर स्थित गंभीर बनी हुई है. हालत यह है कि प्रदेश में 53.6% बच्चे ही छह माह तक […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 8, 2019 6:34 AM
सबसे अधिक बच्चे निमोनिया व डायरिया की चपेट में
पटना : विश्व स्तनपान सप्ताह के दौरान स्तनपान के प्रति लोगों को जागरूक किया जा रहा है. हालांकि जागरूकता पर लाखों खर्च के बावजूद प्रदेश में स्तनपान को लेकर स्थित गंभीर बनी हुई है.
हालत यह है कि प्रदेश में 53.6% बच्चे ही छह माह तक मां का दूध पी रहे हैं. बाकी को डिब्बा वाला दूध दिया जा रहा. नतीजा इन बच्चों में इम्यून पावर घटने से उनमें निमोनिया, डायरिया, आइक्यू लेवल कम होने व संक्रमण जैसी बीमारियां अधिक हो रही हैं.
40 प्रतिशत निमोनिया व तो 35 प्रतिशत डायरिया से ग्रसित : बच्चों में होने वाली बीमारी को लेकर नेशनल नियोटोलॉजी फोरम, बिहार नीति आयोग व इंडियन एकेडमिक ऑफ पेडियाट्रिक्स एसोसिएशन की ओर से सर्वे कराया गया.
प्रदेश में होने वाली कुल रोगों में अकेले स्तनपान नहीं करने वाले करीब 40% बच्चों में निमोनिया व 35% बच्चों में डायरिया की शिकायत अधिक पायी गयी. 5 साल के बच्चों में होने वाली सर्वाधिक मौत निमोनिया व डायरिया की वजह से है. मां का दूध पीने वाले बच्चों की तुलना में 7 से 8% आइक्यू लेवल भी कम आंका गया.
40% बच्चों में निमोनिया पाया गया
एनएमसीएच के शिशु रोग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अनिल कुमार
तिवारी ने बताया कि नेशनल नियोटोलॉजी फोरम व नीति आयोग की ओर से जारी किये गये आंकड़े के मुताबिक जन्म से छह माह तक मां का दूध नहीं पीने वाले करीब 40% बच्चों में निमोनिया पाया गया. पीएमसीएच व एनएमसीएच के शिशु रोग विभाग में सबसे अधिक निमोनिया, डायरिया से पीड़ित बच्चे आ रहे हैं.
इन नौ जिलों के बच्चे सबसे अधिक हो रहे बीमार : मुजफ्फरपुर, वैशाली, सीतामढ़ी, शिवहर, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, सारण, सीवान और गोपालगंज में सबसे अधिक बच्चे निमोनिया व डायरिया की चपेट में आ रहे हैं.
बच्चों को जन्म के एक घंटे में स्तनपान कराएं और जन्म के छह महीने तक सिर्फ मां का दूध ही दें. मां का पहला गाढ़ा पीला दूध निकलता है, उससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.
-डॉ एनके अग्रवाल, शिशु रोग विशेषज्ञ, आइजीआइसी
एक नजर में
– 35.1% बच्चों को जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान कराया जा रहा
– 53.9% बच्चे छह माह तक मां का दूध पीते हैं
– 1,20,000 बच्चे प्रति वर्ष पांच साल की उम्र
तक भी नहीं जी पाते हैं
– 48.3% बच्चों के नाटेपन का कारण कुपोषण है
– 33% बच्चे कुपोषित हैं

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