लालू से आज रांची में मिलेंगे डॉ रामचंद्र पूर्वे, हार के कारणों की देंगे जानकारी

पटना : राजद लोकसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त की वजह तलाश रहा है. बताया जा रहा है कि शनिवार को प्रदेश अध्यक्ष डॉ रामचंद्र पूर्वे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद से मिलेंगे. वे हार के कारणों की मुख्य जानकारी उन्हें देंगे. पार्टी हार के कारणों को इसलिए भी तलाश रही है, ताकि विधानसभा […]

By Prabhat Khabar Print Desk | June 8, 2019 3:19 AM

पटना : राजद लोकसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त की वजह तलाश रहा है. बताया जा रहा है कि शनिवार को प्रदेश अध्यक्ष डॉ रामचंद्र पूर्वे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद से मिलेंगे. वे हार के कारणों की मुख्य जानकारी उन्हें देंगे. पार्टी हार के कारणों को इसलिए भी तलाश रही है, ताकि विधानसभा चुनाव में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज करा सके. पार्टी ने हार की वजहाें की जांच के लिए वरिष्ठ नेता जगदानंद सिंह की अगुआई में तीन सदस्यीय कमेटी गठित की है.

कमेटी रिपोर्ट तैयार कर रही है. इस कमेटी में अब्दुल बारी सिद्दीकी और आलोक मेहता को भी रखा गया है. 28 मई को गठित इस तीन सदस्यीय कमेटी ने अब तक जिन कारणों को तलाशा है, उनमें एक बड़ा कारण सवर्ण आरक्षण का विरोध है. कमेटी को यह लगा है कि इसका विरोध पार्टी पर भारी पड़ा.
कमेटी की पड़ताल में यह भी सामने आया है कि सवर्ण आरक्षण के विरोध से पार्टी को अभी तो नुकसान हुआ ही है. भविष्य में भी नुकसान हो सकता है. पार्टी का मानना है कि दो बड़े नेता रघुवंश प्रसाद सिंह और जगदानंद सिंह के चुनाव क्षेत्र में भी इसका असर देखा गया. रघुवंश प्रसाद सिंह यह कह भी चुके हैं कि सवर्ण आरक्षण के विरोध से पार्टी को नुकसान हुआ है.
घटक दलों से समन्वय में कमी
लोकसभा चुनाव के पहले पार्टी नेताओं को तेजस्वी यादव में भविष्य दिख रहा था. लेिकन, चुनाव के रिजल्ट ने उनकी इस इमेज को कमजोर किया. इसके बावजूद पार्टी ने उनके नेतृत्व में आस्था जतायी है. पार्टी की समझ है कि हार के एक बड़ा कारण घटक दलों के आधार वोटरों की उदासीनता भी रही. माय समीकरण भी दरका है.
महागठबंधन के घटक दलों के आधार वोट का ट्रांसफर भी राजद प्रत्याशी के पक्ष में नहीं हुआ, जबकि राजद का आधार वोट सहयोगियों को मिला. इसके अलावा टिकट वितरण में गड़बड़ी और देरी भी हार का एक बड़ा कारण बना. निचले स्तर पर घटक दलों के कार्यकर्ताओं में समन्वय स्थापित नहीं हो सका. ऊपर से लेकर नीचे तक का चुनाव प्रबंधन एनडीए के मुकाबले कमजोर था.

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