बिहार ने गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए प्रति क्विंटल 2511 का दिया प्रस्ताव

केंद्र सरकार के कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की हुई बैठक पटना : राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2511 रुपये करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को दिया है. सोमवार को बामेती में केंद्र सरकार के कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की बैठक में यह प्रस्ताव दिया गया. इस […]

By Prabhat Khabar Print Desk | June 4, 2019 7:53 AM
केंद्र सरकार के कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की हुई बैठक
पटना : राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2511 रुपये करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को दिया है. सोमवार को बामेती में केंद्र सरकार के कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की बैठक में यह प्रस्ताव दिया गया.
इस बार पूर्वोत्तर राज्यों के साथ रबी विपणन मौसम, वर्ष 2020–21 में फसलों के मूल्य नीति निर्धारण के लिए बैठक का आयोजन पटना में किया गया था. बैठक में गेहूं के अलावा चना का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5294 रुपये, मसूर का 4762 रुपये तथा राई/सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5871 रुपये करने का प्रस्ताव दिया गया.
बैठक की अध्यक्षता करते हुए कृषि मंत्री डाॅ प्रेम कुमार ने कहा कि प्रस्तावित न्यूनतम समर्थन मूल्य का आकलन लागत खर्च पर 50 प्रतिशत कृषकों को लाभ देकर किया गया है. उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि कृषि लागत एवं मूल्य आयोग किसानों को फसलों का यह प्रस्तावित न्यूनतम समर्थन मूल्य उपलब्ध करायेगा.
प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान को मंजूरी
बैठक में अंडमान निकोबार, ओड़िशा, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, झारखणंड, बिहार आदि के लिए रबी विपणन मौसम, वर्ष 2020–21 में फसलों के मूल्य नीति निर्धारण करने के लिए बैठक आयोजित की गयी थी.
कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों को फसलों के लागत मूल्य से अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित कर पूर्वी क्षेत्र के करोड़ों लघु एवं सीमांत किसानों को सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य से लाभ प्राप्त होगा़ किसानों की उपज का लाभकारी मूल्य दिलाने के लिए नयी फसल खरीद नीति प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान को मंजूरी दे दी गयी है. वर्ष 2018–19 के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1,840 रुपये प्रति क्विंटल, जौ का 1,440 रुपये चना का 4,620 रुपये मसूर का 4,475 रूपये राई/सरसों का 4,200 रुपये तथा सूर्यमुखी का न्यूनतम समर्थन मूल्य 4,945 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित था.
खेती के प्रति जागरूकता के लिए भी बने पॉलिसी
कृषि विभाग के प्रधान सचिव सुधीर कुमार ने कहा कि आयोग को किसानों को खेती के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए भी पॉलिसी लानी चाहिए. इस अवसर पर डीके पांडेय, सलाहकार, कृषि लागत एवं मूल्य आयोग, पश्चिम बंगाल, ओड़िशा, छत्तीसगढ़ तथा झारखंड के प्रतिनिधि अपर निदेशक (शष्य) धनंजयपति त्रिपाठी भी मौजूद थे.
न्यूनतम समर्थन मूल्य सभी फसलों के लिए लाभकारी
कृषि लागत एवं मूल्य आयोग के अध्यक्ष प्रो विजय पॉल शर्मा ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य सभी फसलों के लिए लाभकारी है, लेकिन यह शिकायत आम है कि किसानों को यह नहीं मिलता है. उन्होंने दलहनी फसलों पर विशेष बल देते हुए कहा कि दलहनी फसलों का बाजार मूल्य इस वर्ष न्यूनतम समर्थन मूल्य के आसपास है.
दलहनी फसलों का आयात डेढ़-दो साल से नहीं हो रहा है. सरकार दलहनी फसलों का 16 लाख मीटरिक टन का बफर स्टॉक रखने का निर्णय लिया है. उन्होंने आग्रह किया कि राज्य सरकार मोटे अनाज को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर क्रय करें तथा निजी उद्यमी को कृषि क्षेत्र में लाने का प्रयास करे.

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