पटना : 5953 मीटर ऊंची आंगडुरा चोटी तो फतह कर ली, पर अपने ही विवि से हार गयीं मिताली, जानें

अमित कुमार पटना : हिमाचल प्रदेश की 5953 मीटर ऊंची आंगडुरा चोटी फतह कर राज्य का नाम रोशन करने वाली पटना विवि के पीजी राजनीतिशास्त्र विभाग की 21 वर्षीया छात्रा मिताली प्रसाद अपने ही विश्वविद्यालय व विभाग की अनदेखी का शिकार हो रही हैं. पर्वतारोहण कैंप की वजह से मिताली की दो इंटर्नल परीक्षाएं छूट […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 11, 2019 8:01 AM
अमित कुमार
पटना : हिमाचल प्रदेश की 5953 मीटर ऊंची आंगडुरा चोटी फतह कर राज्य का नाम रोशन करने वाली पटना विवि के पीजी राजनीतिशास्त्र विभाग की 21 वर्षीया छात्रा मिताली प्रसाद अपने ही विश्वविद्यालय व विभाग की अनदेखी का शिकार हो रही हैं. पर्वतारोहण कैंप की वजह से मिताली की दो इंटर्नल परीक्षाएं छूट गयीं.
पहली इंटर्नल परीक्षा के वक्त मिताली आंगडुरा पर्वत (5953 मीटर) को फतह करने गयी हुई थीं.वहीं दूसरी परीक्षा के वक्त वह मेथड आॅफ इंस्ट्रक्शन कोर्स के लिए उत्तराखंड में थीं. इस परीक्षा में शामिल होने के लिए वह पिछले दो महीने से विभाग का चक्कर लगा रही हैं, लेकिन उनकी कोई नहीं सुन रहा है. विभागाध्यक्ष ने तो विवि के स्टूडेंट वेलफेयर डीन द्वारा लिखे गये आवेदन को फॉरवर्ड तक करने से मना कर दिया है.
अखबारों की सुर्खियां बनी थीं
यह वही मिताली है, जो हिमाचल प्रदेश की आंगडुरा चोटी को फतह करने के बाद अखबारों की सुर्खियां बनी थीं. उनका चयन ‘अल्पाइन ट्रेनिंग सह एक्पेडिशन’ के तहत भारतीय पर्वतारोहण संस्थान (आइएमएफ) ने किया था और उन्हें अभियान पर भेजा था. उनके अलावा इस अभियान में सिर्फ मुरादाबाद के बिपिन कुमार ही कामयाब हो सके थे.
वह दुर्गम पहाड़ियों पर माइनस डिग्री तापमान को तो झेल गयीं, लेकिन विभाग की प्रताड़ना ने उसे तोड़ कर रख दिया है. पीयू में लगायी गुहार, पर नहीं निकला हल मिताली विभागाध्यक्ष से मिन्नतें करके जब थक गयीं तो वह पटना विश्वविद्यालय के स्टूडेंट्स वेलफेयर डीन प्रो एनके झा के पास पहुंचीं.
उन्होंने उन्हें आश्वासन दिया कि इंटर्नल में विभागाध्यक्ष चाहें तो परीक्षा लेकर मार्क्स भेज सकते हैं. उन्होंने उन्हें एक आवेदन विभागाध्यक्ष से फॉरवर्ड कराकर देने को कहा. इसके लिए वह 50 बार विभाग गयीं, लेकिन विभागाध्यक्ष ने समय बीत जाने का हवाला देते हुए कहा कि अगली बार समय पर इंटर्नल परीक्षा में हाजिर रहना.
उन्होंने आवेदन को फॉरवर्ड करने से भी इन्कार कर दिया. शुक्रवार को मिताली को बाहर किसी टूर पर जाना था. वह अंत तक प्रयास करती रहीं. विभाग में घंटों इंतजार किया, लेकिन विभागाध्यक्ष ने मीटिंग का हवाला देकर मिलने तक से इन्कार कर दिया.
इंटर्नल एग्जाम का डेट फिक्स होता है. अंतिम तिथि के बाद उसमें परिवर्तन नहीं किया जा सकता है. मदद करने की एक सीमा होती है, उससे आगे मदद नहीं की जा सकती. वह आगे ध्यान दें और समय पर परीक्षा में हाजिर रहें. बिहार की मानसिकता बदलने की जरूरत है. जिस समय परीक्षा हो, उस समय मौजूद रहना जरूरी है. हम समय को बदल नहीं सकते हैं.
-प्रो हरिद्वार शुक्ला, विभागाध्यक्ष, राजनीतिशास्त्र, पटना विवि

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