पटना : पूस के अंत में ही फागुन सा मौसम, बढ़ेगा पारा

पटना : राजधानी पटना के तापमान में शुक्रवार को आंशिक इजाफा हुआ है. अधिकतम तापमान 23़ 3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि न्यूनतम तापमान 9 डिग्री सेल्सियस रहा. न्यूनतम तापमान में इजाफा अगले चार दिनों तक संभव है. आइएमडी पटना के मुताबिक न्यूनतम तापमान 12 तक और अधिकतम तापमान 27 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 19, 2019 3:59 AM
पटना : राजधानी पटना के तापमान में शुक्रवार को आंशिक इजाफा हुआ है. अधिकतम तापमान 23़ 3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि न्यूनतम तापमान 9 डिग्री सेल्सियस रहा. न्यूनतम तापमान में इजाफा अगले चार दिनों तक संभव है. आइएमडी पटना के मुताबिक न्यूनतम तापमान 12 तक और अधिकतम तापमान 27 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है.
समूचे बिहार में कमोबेश यही हालात रहेंगे. पूरे राज्य का अधिकतम तापमान भी 25 डिग्री तक पहुंच सकता है. आम तौर पर इस तरह का मौसम फरवरी के उत्तरार्ध में महसूस किया जाता है.
डाॅ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ मौसम विज्ञानी डाॅ ए सत्तार ने बताया कि यह सप्ताह खेती के नजरिये से बेहद अहम है. पूर्वानुमान चिंताजनक है.
बिहार से ठंड लाने वाले सभी सिस्टम गायब
डाॅ ए सत्तार ने बताया कि पश्चिमी विक्षोभ सहित प्रदेश में सर्दी का कोई भी सिस्टम काम नहीं कर रहा है. यह क्लाइमेट चेंजिंग की दशा है. हालांकि, इस बीच बिहार के तराई क्षेत्र, उत्तर-पश्चिमी बिहार और पटना में हल्की बूंदाबांदी की संभावना है.
डाॅ सत्तार के मुताबिक इसका सबसे भयावह असर खेती पर पड़ना तय है. ऐसे ही हालात वर्ष 2009 में बने थे, जब रबी की फसलों को अच्छा-खासा नुकसान उठाना पड़ा था.
गेहूं व आलू की फसल को होगा नुकसान
विशेषज्ञों के मुताबिक गेहूं और आलू के लिए अधिकतम तापमान किसी भी कीमत पर 22 डिग्री से अधिक नहीं होना चाहिए. पिछले दिसंबर व जनवरी में अब तक बिहार का अधिकतम तापमान 22 डिग्री सेल्सियस से अधिक रहा है. यह तापमान अब लगातार बढ़ रहा है. ऐसे में फसल को नुकसान होगा. गेहूं की फसल जिस स्टेज में है, उससे उसका ग्रोथ
उछल कर अगले स्टेज में पहुंच जायेगा. इसे प्री मैच्योरिटी कहा जायेगा. बालियां कम बनेंगी. जो बनेंगी, उनमें बायोमास अर्थात हरा तत्व कम हो जायेगा. इससे दाने की चमक और उसका वजन कम जो जायेगा. उत्पादन भी घटेगा. आलू का उत्पादन भी घटेगा. कंद कम बनेंगे. आलू का पौधा बड़ा होगा, लेकिन आलू का आकार कम हो जायेगा.

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