पटना : पांच साल पूरे होने को आये एक भी शहर नहीं हुआ स्मार्ट

पटना : केंद्र की एनडीए सरकार अपना कार्यकाल पूरा करने वाली है. जितना समय में अब केंद्र सरकार अपना टर्म पूरा करेगी, उतने समय में राज्य के एक भी शहर को स्मार्ट बनाना मुश्किल लग रहा है. केंद्र द्वारा चयनित सूबे के चार स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट इतनी सुस्त पड़ी है कि नगर विकास एवं आवास […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 17, 2019 3:09 AM
पटना : केंद्र की एनडीए सरकार अपना कार्यकाल पूरा करने वाली है. जितना समय में अब केंद्र सरकार अपना टर्म पूरा करेगी, उतने समय में राज्य के एक भी शहर को स्मार्ट बनाना मुश्किल लग रहा है. केंद्र द्वारा चयनित सूबे के चार स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट इतनी सुस्त पड़ी है कि नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव ने कहा है कि इनके कार्य की प्रगति असंतोषजनक है.
पटना, मुजफ्फरपुर, मुजफ्फरपुर व बिहारशरीफ स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की गुरुवार को समीक्षा विभाग के मंत्री सुरेश शर्मा करेंगे. उन्होंने बताया कि सभी स्मार्ट सिटी योजना को गति देने का काम तकनीकी विंग का है. जिन एजेंसियों का काम अप टू मार्क नहीं पाया जायेगा, उन एजेंसियों को लेकर विभाग फिर से विचार भी करेगा कि उनको आगे का काम दिया जाये या कोई अन्य रास्ता निकाला जाये.
स्मार्ट सिटी के तहत मात्र 27 परियोजनाओं का वर्क ऑर्डर दिया गया
विभाग के प्रधान सचिव चैतन्य प्रसाद ने पिछले महीने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की समीक्षा की थी. इसमें पाया था कि अब तक चारों शहरों में मात्र 27 परियोजनाओं का वर्क ऑर्डर दिया गया है, जिसकी कुल लागत 1344.32 करोड़ है. चारों स्मार्ट शहरों में 11 परियोजनाओं का टेंडर जारी किया गया है, जिसकी लागत 254.32 करोड है. राज्य के पहले स्मार्ट सिटी का दर्जा प्राप्त भागलपुर शहर में स्मार्ट रोड बनाने की प्रक्रिया अभी टेंडर के अधीन है.
इसी तरह से पटना स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में वीरचंद पटेल पथ, मंदिरी नाला, अदालतगंज झील क्षेत्र का विकास, सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए गांधी मैदान में मेगा साइज के स्क्रीन की स्थापना, जन सेवा केंद्र की स्थापना, स्मार्ट पार्किंग से साथ स्मार्ट रोड, भूमिगत जनोपयोगी सेवाएं और स्मार्ट बस स्टॉप का निर्माण का ही टेंडर हो सका है. इसी तरह से मुजफ्फरपुर में कुल आठ प्रोजेक्ट पर अभी काम ही चल रहा है.
काॅरपोरेशन में कर्मियों की कमी
सबसे बड़ी बात है कि इन शहरों के लिए गठित काॅरपोरेशन में कर्मियों की कमी है. अभी इन पदों पर खासकर मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी की नियुक्ति राष्ट्रीय स्तर पर विज्ञापन जारी कर करने की तैयारी की जा रही है.
नगर विकास एवं आवास मंत्री सुरेश कुमार शर्मा ने बताया कि स्मार्ट सिटी योजना की समीक्षा के बाद यह बताया जा सकता है कि इसकी समय सीमा क्या हो सकती है. अब तक तो इन प्रोजेक्टों की गति धीमी है.
स्मार्ट सिटी योजना के लिए केंद्र सरकार द्वारा पांच साल तक प्रति वर्ष 100-100 करोड़ दिये जाने का प्रावधान है. पैसे रहते हुए योजनाओं को पूरा नहीं किया जा रहा है.

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