पटना एम्स : परिजन व मरीज के लिए हेल्प डेस्क

पटना : अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) पटना में इलाज कराने आ रहे मरीज के परिजनों के लिए अच्छी खबर है. क्योंकि अब पटना एम्स में मरीज के परिजनों के लिए अलग से हेल्प डेस्क बनने जा रहा है. इस नयी नीति के तहत मुस्कान के साथ अभिवादन और इलाज दोनों किया जायेगा. दिल्ली एम्स […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 14, 2018 8:43 AM
पटना : अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) पटना में इलाज कराने आ रहे मरीज के परिजनों के लिए अच्छी खबर है. क्योंकि अब पटना एम्स में मरीज के परिजनों के लिए अलग से हेल्प डेस्क बनने जा रहा है.
इस नयी नीति के तहत मुस्कान के साथ अभिवादन और इलाज दोनों किया जायेगा. दिल्ली एम्स की तर्ज पर पटना एम्स में यह सुविधा बहाल करने की योजना बनायी गयी है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पटना एम्स सहित देश के सभी एम्स में हेल्प डेस्क बनाने का आदेश जारी किया है. इसे देखते हुए यह निर्णय लिया गया है. हेल्प डेस्क पर प्रोफेशनल काउंसेलर नियुक्त किये जायेंगे. ये काउंसेलर मरीज के परिजनों की सभी शंकाओं का जवाब देंगे और उनके लिए हर समय उपलब्ध रहेंगे. एम्स के अधिकारियों के मुताबिक यह नीति पूरी तरह से तैयार कर ली गयी है. सब कुछ ठीक रहा, तो आनेवाले दो महीने के अंदर यह सुविधा मिलनी शुरू हो जायेगी. यदि डॉक्टर से उपचार कराने के बाद मरीज को किसी तरह की शंका या परेशानी है तो हेल्प डेस्क के काउंसेलर शंकाओं को दूर करेंगे.
पटना. वाहन डीलर अब बिना हेलमेट दो पहिया वाहन नहीं बेच सकेंगे. कोई व्यक्ति बिना हेलमेट के वाहन की खरीदारी नहीं कर सकता है.
किसी के पास पहले से हेलमेट है, तो उसका प्रमाण वाहन खरीदते करने के समय डीलर को दिखाना होगा. परिवहन विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने इस संबंध में सभी क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकार व सभी जिला परिवहन पदाधिकारी को यह व्यवस्था सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया है. उन्होंने कहा है कि सड़क दुर्घटना में आये दिन लोगों की मौत हो रही है. इसमें एक मुख्य कारण बिना हेलमेट दो पहिया वाहन चलाना भी है. सड़क दुर्घटना में कम-से-कम नुकसान हो, इसके लिए हेलमेट अनिवार्य किया गया है. पटना को छोड़ अन्य जिलों में हेलमेट लगाने वालों की संख्या काफी कम है.
दुपहिया वाहन चालक को हेलमेट लगा कर वाहन चलाना जरूरी है. परिवहन सचिव ने निर्देश दिया है कि जिला सड़क सुरक्षा समिति की बैठकों में अनिवार्य रूप से हेलमेट के बारे में जानकारी दी जाये. इसकी अनिवार्यता के लिए प्रचार प्रसार दीवार लेखन, सोशल मीडिया व होर्डिंग के माध्यम से किया जाये.

Next Article

Exit mobile version