बिहार के राजस्व संग्रह में दर्ज की जा रही लगातार गिरावट, जीएसटी लागू होने के बाद से टैक्स संग्रह हुआ कम

पटना : राज्य के राजस्व संग्रह में काफी बड़े स्तर पर गिरावट दर्ज की जा रही है. पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में चालू वित्तीय वर्ष में अब तक टैक्स संग्रह में 50 से 60 फीसदी की कमी आयी है. जीएसटी (गुड्स एवं सर्विस टैक्स) लागू होने के बाद से राज्य के टैक्स संग्रह में […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 30, 2018 8:37 AM
पटना : राज्य के राजस्व संग्रह में काफी बड़े स्तर पर गिरावट दर्ज की जा रही है. पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में चालू वित्तीय वर्ष में अब तक टैक्स संग्रह में 50 से 60 फीसदी की कमी आयी है.
जीएसटी (गुड्स एवं सर्विस टैक्स) लागू होने के बाद से राज्य के टैक्स संग्रह में बड़ी कटौती आंकी जा रही है. पिछले वित्तीय वर्ष 2017-18 के जुलाई महीने से ही जीएसटी लागू किया गया था. इसके बाद से ही टैक्स के संग्रह खासकर वाणिज्य कर के संग्रह में लगातार कटौती दर्ज हो रही है. हालांकि, इसके ऐवज में केंद्र सरकार की तरफ से मुआवजा दिया जा रहा है.
इस क्षतिपूर्ति को दूर करने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से लगातार मदद दी जा रही है, लेकिन यह मदद राज्य को हुए पूरे नुकसान के लगभग ही है. पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान राज्य को अपने स्रोतों से निजी टैक्स मद में 23 हजार 512 करोड़ रुपये संग्रहित हुए थे. परंतु चालू वित्तीय वर्ष में पांच महीने बीतने के बाद अब तक 2300 करोड़ रुपये ही आये हैं, जो पिछले वर्ष हुए कुल संग्रह से काफी कम है.
जबकि, इस बार पिछले वर्ष से एक हजार करोड़ रुपये कम टैक्स संग्रह करने का टारगेट रखा गया है. इस बार का लक्ष्य 31 हजार करोड़ है. पिछले वित्तीय वर्ष में केंद्र सरकार की तरफ से जीएसटी की क्षतिपूर्ति के तहत तीन हजार 41 करोड़ रुपये आये थे. मौजूदा वित्तीय वर्ष में इस मद में तीन हजार 698 करोड़ रुपये केंद्र से आने का लक्ष्य है.
इन क्षेत्रों में टैक्स संग्रह की यह स्थिति
राज्य में सबसे ज्यादा टैक्स संग्रह वाणिज्य कर विभाग के तहत ही होता है, लेकिन जीएसटी के बाद से इसकी स्थिति बेहद खराब है. इसमें टैक्स संग्रह की हालत काफी खराब बनी हुई है. पिछले वित्तीय वर्ष में निर्धारित लक्ष्य 25 हजार करोड़ में 17 हजार 402 करोड़ ही टैक्स संग्रह हो पाया था. इसमें करीब छह फीसदी की गिरावट दर्ज की गयी थी.
इसे जीएसटी का शुरुआती प्रभाव माना जा रहा था और यह उम्मीद जतायी जा रही थी कि आने वाले समय में इसमें सुधार आयेगा. इसे देखते हुए चालू वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान 23 हजार 302 करोड़ के टैक्स संग्रह का लक्ष्य रखा गया. इसमें अब तक महज एक हजार 397 करोड़ रुपये ही संग्रह हो पाये हैं, जो निर्धारित लक्ष्य से काफी कम है.
चालू वित्तीय वर्ष में पांच महीने बीतने के बाद कम से कम एक-चौथाई टैक्स संग्रह होना चाहिए था. यह करीब साढ़े पांच हजार करोड़ के आसपास होना चाहिए था, लेकिन सिर्फ इसका पांचवां हिस्सा ही जमा हो पाया है. टैक्स संग्रह में इसी तरह की स्थिति अन्य विभागों की भी है. इसमें भी काफी सुस्ती मौजूद है.
टैक्स संग्रह पर पड़ रहा है प्रभाव
जीएसटी लागू होने के बाद टैक्स का
पूरा व्याकरण बदल गया है. कई सामानों के दाम कम हुए हैं, इसका प्रभाव भी टैक्स संग्रह पर पड़ रहा है. इसके अलावा आई-जीएसटी के तहत केंद्र और राज्य के बीच टैक्स बांटवारे अभी समुचित तरीके से होना है.
इसका सही से बंटवारा होने के बाद राज्य को अतिरिक्त लाभ मिल सकता है. जीएसटी के बाद काफी संख्या में व्यापारी इसके दायरे में आ गये हैं, लेकिन कुछ व्यापारी कुछ स्तर पर गड़बड़ी कर रहे हैं. इससे भी इन्कार नहीं किया जा सकता है. कई व्यापारी गलत टैक्स इनपुट का क्लेम कर रहे हैं. इसका असर भी टैक्स संग्रह पर पड़ सकता है.
आकाश कुमार शाह, सीए, जीएसटी विशेषज्ञ
– परिवहन विभाग- दो हजार करोड़ के लक्ष्य में 254 करोड़ ही आये
– स्टांप और निबंधन- चार हजार 700 करोड़ के लक्ष्य में 549 करोड़ हुए जमा
– भूमि राजस्व- एक हजार करोड़ के लक्ष्य में 30 करोड़ हुए संग्रह
– खनिज- एक हजार 600 करोड़ के टारगेट में 106 करोड़ हुए जमा

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