परिस्थितिवश मौत को गले लगा लेते हैं शीतला प्रसाद

पटना : कभी-कभी इंसान परिस्थितियों के अनुसार खुद को ढाल लेता है. आज के जमाने में कई ऐसे लोग हैं, जो अपनी जरूरतों को पूरा करने और कठिनाइयों का सामना करते-करते कुछ गलत करने पर मजबूर हो जाते हैं. कुछ ऐसी कहानी देखने को मिली कालिदास रंगालय के मंच पर यहां शनिवार को बिहार स्ट्रीट […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 22, 2018 3:56 AM
पटना : कभी-कभी इंसान परिस्थितियों के अनुसार खुद को ढाल लेता है. आज के जमाने में कई ऐसे लोग हैं, जो अपनी जरूरतों को पूरा करने और कठिनाइयों का सामना करते-करते कुछ गलत करने पर मजबूर हो जाते हैं. कुछ ऐसी कहानी देखने को मिली कालिदास रंगालय के मंच पर यहां शनिवार को बिहार स्ट्रीट थियेटर अकादमी एफ रेपर्टवार (बिस्तार) पटना द्वारा सांझ-सबेरा नाटक का मंचन किया गया.
इस नाटक में समाज से जुड़ी कई पहलुओं को साझा किया गया. इंसान किस तरह से भ्रष्टाचार व बेईमानी के कारण मौत को गले लगा लेता है. मंच पर कलाकारों ने बखूबी अंदाज में पेश किया. नाटक के कई डायलोग्स को सुन दृश्यों को देखते हुए दर्शकों ने भरपूर तालियां बजायी. इस नाटक का निर्देशन उज्जवला गांगुली द्वारा किया गया. मौके पर कई वरीय रंगकर्मी व नाटक प्रेमियों ने देर शाम तक नाटक का लुत्फ उठाया.
सांझ-सबेरा से सुनायी मध्यवर्ग की व्यथा
नाटक की कहानी मध्यवर्गीय शीतला प्रसाद के परिवार की है, जो कि एक रूई मील कर्मचारी रहते हैं. वह किसी तरह अपने घर में खुशी-खुशी जीवन यापन करते हैं. शीतला प्रसाद अपने सिद्धांतों पर चलने वाले व्यक्ति हैं, जिसने कभी भी अपने घूसखोरी या बेईमानी को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया, लेकिन घर की स्थिति तब दयनीय हो जाती है. जब इनकी बेटी के तिलक जाने के एक रात पहले सारे रुपये गहने चोरी हो जाते हैं. इस कारण शादी टल जाती है, लेकिन यह चोरी कोई और नहीं बल्कि उनका बेटा निखिल किया रहता है.
क्योंकि वह नहीं चाहता था कि उसकी बहन की शादी दहेज लोभियों के साथ हो. यह बात शीतला प्रसाद को पता नहीं होता. ऐसे में न चाहते हुए भी उनको अपने सिद्धांत को तिलांजलि देकर घूस लेना पड़ता है, ताकि अपनी बेटी की शादी कर सके, लेकिन यह बात उनके जीवन के लिए इतना कष्टदायक हो जाता है कि वह अपनी जिंदगी को खत्म कर लेना सही समझते हैं. ऐसे में एक दिन खुद को चलती गाड़ी के हवाले ला कर मौत को गले लगा लेते हैं.

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