बिहार : बड़ी आतंकी साजिश की आशंका, आईईडी थे दोनों बरामद बम, 48 घंटे बाद डिस्पोज ऑफ किये गये

बोधगया: बड़ी आतंकी साजिश की आशंका, तीन-तीन किलो के थे दोनों बम बाेधगया : बाेधगया के महाबोधि मंदिर के गेट नंबर चार व श्रीलंका बाैद्ध मठ के बाहर गाेलंबर के पास से शुक्रवार की रात बरामद बमों को करीब 48 घंटे बाद रविवार की शाम पौने पांच बजे निरंजना नदी में डिस्पाेज अॉफ कराया गया. […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 22, 2018 8:14 AM
बोधगया: बड़ी आतंकी साजिश की आशंका, तीन-तीन किलो के थे दोनों बम
बाेधगया : बाेधगया के महाबोधि मंदिर के गेट नंबर चार व श्रीलंका बाैद्ध मठ के बाहर गाेलंबर के पास से शुक्रवार की रात बरामद बमों को करीब 48 घंटे बाद रविवार की शाम पौने पांच बजे निरंजना नदी में डिस्पाेज अॉफ कराया गया. एनएसजी की टीम ने डिस्पाेज अॉफ किया. इन बमों को निरंजना नदी में बालू के नीचे खोद कर रखा गया था. उस स्थान को घेर कर पुलिस का पहरा लगा दिया गया था.
रविवार काे दिन भर मंत्रणा के बाद शाम साढ़े तीन बजे के बाद निरंजना नदी में बालू के अंदर रखे गये बमों काे अलग-अलग टीमों ने जाकर देखा. एनएसजी की टीम भी कई बार बम निराेधक उपकरण व लिबास में गयी व आयी. आैर अंतत: पाैने पांच बजे बमों को डिस्पाेज अॉफ कराया गया. इस दौरान जबरदस्त धमाका हुआ. इसके बाद गया एसएसपी गरिमा मलिक प्रेसवालाें से मुखातिब हुईं आैर बताया कि बमों काे एनएसजी की टीम ने सुरक्षात्मक तरीके से डिस्पाेज अॉफ करा दिया है. उन्होंने बताया कि संदिग्ध लोगों से अलग-अलग एजेंसियां पूछताछ कर रही हैं. सीसीटीवी फुटेज के आधार पर काम किया जा रहा है. अनुसंधान जारी है.
बिहार : आईईडी थे दोनों बरामद बम
पटना : महाबोधि मंदिर परिसर से बरामद किये गये जिन दो संदिग्ध बैग कोफल्गु नदी के पास सुरक्षित रखा गया था, उनकी जांच शनिवार की देर शाम से ही एनएसजी और एनआईए की विशेष टीम ने शुरू कर दी थी. जांच के बाद यह पूरी तरह से स्पष्ट हो गया कि इन दोनों बैग में आईईडी (इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) बम ही थे. इन्हें एक स्टील के बर्तन में बड़े जटिल तरीके से बनाया गया था. प्रत्येक बम का वजन करीब तीन किलो था.
इससे ही यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन बमों की तीव्रता कितनी ज्यादा थी. जिन स्थानों पर इन बमों को रखा गया था, अगर ये दोनों बम फट जाते तो बड़ा नुकसान हो सकता था. महाबोधि मंदिर के आसपास जिस तरह के बम प्लांट किये गये थे, उसके मॉड्यूल और बम की प्रकृति को देखकर यह करीब साफ हो गया है कि इसके पीछे कोई बड़ी आतंकी साजिश थी. पूरी स्थिति को देखने पर यह भी पता चल रहा है कि सात जुलाई, 2013 को जो धमाके महाबोधि मंदिर परिसर में हुए थे, उनका मॉड्यूल भी लगभग इसी तरह का था.
हालांकि इन तमाम बातों की पुष्टि एनएसजी और एनआईए की अंतिम रिपोर्ट आने के बाद ही हो पायेगी. फिलहाल सभी पहलुओं की जांच चल रही है.
तमाम मशक्कत के बाद भी डिफ्यूज नहीं हो पाये बम
एनएसजी की टीम काफी मशक्कत करने के बाद भी इस बम को डिफ्यूज नहीं कर सकी. इसका मुख्य कारण था कि इसकी जटिलता और इसके तकनीकी रूप से बेहद ही उच्च स्तर का होना है.
हर कोशिश के बाद भी जब बम डिफ्यूज नहीं हो सका तो इसे नष्ट करना ही उचित समझा गया. इसके बाद इन्हें नियंत्रित तरीके से विस्फोट करके खत्म कर दिया गया. इस आईईडी की संरचना को देखकर करीब यह स्पष्ट हो गया कि इसमें किसे बड़े आतंकी संगठन का हाथ है, क्योंकि आईईडी की इस तरह की संरचना के बम सामान्य स्तर के आतंकी या उग्रवादी संगठन नहीं तैयार कर सकते हैं. इसमें बेहद योग्यता की जरूरत है.
सैंपल एकत्र कर इनकी की जा रही जांच
एनएसजी और एनआईए की टीम ने बमों का सैंपल एकत्र कर लिया है. अब इनमें इस्तेमाल किये गये रसायनों की जांच के बाद ही यह साफ होगा कि इसके पीछे कौन-सा आतंकी संगठन हो सकता है. किस तरह की साजिश थी और इसे कहां तैयार किया गया होगा.
साथ ही इस बात की भी जांच की जायेगी कि आखिर इन बमों को कब फटना था और ये फटे क्यों नहीं थे. इन्हें कब रखा गया था. इन तमाम सवालों का जवाब एनएसजी और एनआईए की रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट हो पायेगा. सैंपल की जांच करने के लिए एनएसजी के एक खास बम विशेषज्ञ को कोलकाता से बुलाया गया है.

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