निर्माण रोकने का था आदेश बन गया शॉपिंग कॉम्प्लेक्स

लापरवाही. वसुंधरा अपार्टमेंट का मामला पटना : शहर में अवैध निर्माण को लेकर शहर में कई ऐसे मामले हैं, जो अब ठंडे बस्ते में चले गये हैं. भले ही निर्माण को नगर आयुक्त कोर्ट से वर्षों पहले अवैध ठहराया गया हो, लेकिन आज तक कार्रवाई नहीं की गयी. प्रभात खबर लगातार अवैध निर्माण के खिलाफ […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 13, 2017 8:06 AM
लापरवाही. वसुंधरा अपार्टमेंट का मामला
पटना : शहर में अवैध निर्माण को लेकर शहर में कई ऐसे मामले हैं, जो अब ठंडे बस्ते में चले गये हैं. भले ही निर्माण को नगर आयुक्त कोर्ट से वर्षों पहले अवैध ठहराया गया हो, लेकिन आज तक कार्रवाई नहीं की गयी. प्रभात खबर लगातार अवैध निर्माण के खिलाफ खबरें प्रमुखता से प्रकाशित कर रहा है, ताकि नगर निगम या जिम्मेदार संस्थाओं की ओर से कार्रवाई की जाये.
बोरिंग रोड स्थित वसुंधरा अपार्टमेंट भी अवैध निर्माण व बिल्डिंग बाॅयलाज के उल्लंघन की ही दास्तां है. इसे तीन वर्ष पहले नगर आयुक्त की कोर्ट से ऊपरी फ्लोर तोड़ने का आदेश दिया गया था, लेकिन कोई असर नहीं पड़ा और आज बिल्डिंग बन कर तैयार है. उपयोग भी किया जा रहा है और मामला ट्रिब्यूनल में चल रहा है.
वसुंधरा होम्स सह सिसोदिया पैसेल (व्यावसायिक) व एंबिएंस पार्क (आवासीय) का नक्शा 2004 में पारित कराया गया था. इसके बाद फिर भवन का पुनरीक्षित नक्शा 2006 में पास करवाया गया. पुनरीक्षित नक्शे में कई अनियमितताएं थीं. इसको लेकर अपार्टमेंट पर निगरानीवाद संख्या 64बी/13 दर्ज किया गया. एक वर्ष तक निगरानी वाद का मुकदमा चला. फिर जाकर नगर आयुक्त ने ऊपरी चौथे फ्लोर को तोड़ने का अादेश दिया था.
अभियंता की मिलीभगत, रोकने के लिए आदेश
बिल्डर ने तत्कालीन कार्यपालक अभियंता की मिलीभगत से जी प्लस तीन के बदले बी प्लस जी प्लस फोर फ्लोर का नक्शा पारित करवाया गया था. इतना ही नहीं, बिल्डर ने इतने बड़े अपार्टमेंट के नक्शा पास कराने से पहले अग्निशमन विभाग से भी एनओसी नहीं लिया था.
इसके अलावा उस समय भी निर्माण को रोकने के लिए स्थानीय थाने को निर्देश दिया गया था. इसके अलावा जिला अवर निबंधन विभाग से कहा गया था कि नगर निगम के आदेश के बाद ही फ्लैट का निबंधन करें. उस समय पेसू जीएम को बिजली कनेक्शन काटने का भी निर्देश दिया था. बावजूद इसके लिए कि अपार्टमेंट सह व्यावसायिक निर्माण पर रोक नहीं लगाया जा सका. और आज के समय में बोरिंग रोड का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है.
ट्रिब्यूनल में चल रहा है मामला : नगर आयुक्त की कोर्ट से फैसले के बाद निर्माण कर्ता ने फैसले को चुनौती दी. मामले को ट्रिब्यूनल कोर्ट में लाया गया. तब से अभी तक मामला वहीं विचाराधीन है. इधर निर्माण पूरा हाे चुका है और इधर कार्रवाई चलाती रही है.

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