बिहार जो आज सोचता है, वही कल पूरा देश सोचता है: डॉ शैबाल

पटना : बाढ़, सूखा जैसी प्राकृतिक आपदाओं और जलवायु परिवर्तन की वजह से कृषि और पशुधन को होने वाले नुकसान से बचाव पर विचार के लिए मंगलवार को एक कार्यशाला आयोजित हुयी. इस दौरान आद्री के सदस्य सचिव डॉ शैबाल गुप्ता ने कहा कि तकनीकी नवाचार बहुत जरूरी है. कृषि जोखिम एटलस तैयार करने का […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 13, 2017 8:01 AM
पटना : बाढ़, सूखा जैसी प्राकृतिक आपदाओं और जलवायु परिवर्तन की वजह से कृषि और पशुधन को होने वाले नुकसान से बचाव पर विचार के लिए मंगलवार को एक कार्यशाला आयोजित हुयी. इस दौरान आद्री के सदस्य सचिव डॉ शैबाल गुप्ता ने कहा कि तकनीकी नवाचार बहुत जरूरी है.
कृषि जोखिम एटलस तैयार करने का काम पूरे देश में अपने किस्म का पहला प्रयास है. इसका मतलब यह है कि बिहार जो आज सोचता है वही कल पूरा देश सोचता है. वहीं आद्री के निदेशक प्रो प्रभात पी घोष ने कहा कि आपदा एक महत्वपूर्ण पहलू है. जलवायु परिवर्तन की स्थिति में कमी लाने और उसके लिए प्रयास करने के लिए ऐसी पहलकदमियों के संबंध में सर्वसम्मति की जरूरत है.
इस कार्यशाला का आयोजन आद्री स्थित पर्यावरण, ऊर्जा एवं जलवायु परिवर्तन विषयक केंद्र और एशियन डिजास्टर प्रीपेयर्डनेस सेंटर के साथ मिलकर कृषि विभाग ने किया. इसमें यह बताया गया कि बिहार में व्यापक जोखिम एटलस तैयार करने के लिए पायलट के तौर पर सुपौल जिले का एटलस विकसित किया जा रहा है. इसे आद्री स्थित पर्यावरण, ऊर्जा एवं जलवायु परिवर्तन विषयक केंद्र द्वारा कार्यरूप दिया जा रहा है.
बामेती के पीके मिश्र ने आपदाजनित जोखिम न्यूनीकरण रोडमैप के महत्व और कृषि क्षेत्र की असुरक्षित स्थिति का संक्षिप्त विवरण पेश किया. कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक अरविंद मिश्र ने जल प्रबंधन संबंधी मामलों में आड़े आने वाले जलवायु संबंधी बदलावों के बारे में चर्चा की.

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