आवासीय क्षेत्र को बनाया व्यावसायिक, घरों के बदले बनीं दुकानें

पटना : जिस पूरे क्षेत्र को पीआरडीए ने आवासीय भू-खंड मान कर आवंटन किया था, अब उन भू-खंडों का उपयोग व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को चलाने में किया जा रहा है. शहर के कई ऐसे क्षेत्र हैं, जिन पर नगर निगम की ओर से कार्रवाई की जानी है. आवासीय क्षेत्र में व्यावसायिक उपयोग का मामला पुराना है. […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 12, 2017 8:04 AM
पटना : जिस पूरे क्षेत्र को पीआरडीए ने आवासीय भू-खंड मान कर आवंटन किया था, अब उन भू-खंडों का उपयोग व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को चलाने में किया जा रहा है. शहर के कई ऐसे क्षेत्र हैं, जिन पर नगर निगम की ओर से कार्रवाई की जानी है. आवासीय क्षेत्र में व्यावसायिक उपयोग का मामला पुराना है.
नगर निगम को इस तरह के निर्माण व संचालन पर भी रोक लगाने के लिए हाइकोर्ट का निर्देश है. बावजूद इसके शहर के ऐसे दर्जनों क्षेत्र हैं, जहां किसी तरह का व्यावसायिक उपयोग नहीं किया जाना है. बोरिंग रोड क्षेत्र के श्रीकृष्णापुरी क्षेत्र में चल रहे एचडीएफसी बिल्डिंग को नगर निगम ने इसलिए सील कर दिया था कि पीआरडीए की भूमि का आवंटन आवासीय उपयोग के लिए किया जाना था और आवंटी का उपयोग व्यावसायिक उपयोग किया जा रहा था. भले ही नगर निगम ने दो वर्ष चले मामले में एक उदाहरण पेश किया, लेकिन इस क्षेत्र में अभी भी दर्जनों आवास है जिन का उपयोग व्यावसायिक तौर पर हो रहा है.
कोर्ट के आदेश के बाद चला था अभियान, फिर सुस्त पड़ गया मामला: हाइकोर्ट के आदेश के बाद नगर निगम ने श्रीकृष्णापुरी में नगर निगम ने अभियान चलाया था. दो घंटे की कार्रवाई पूरे इलाके में हंगामा मच गया. बोरिंग रोड चौराहा के पास एक दुकान को निगम ताला लगाया गया. फिर कार्रवाई रुक गयी. अभी हालात है कि श्रीकृष्णापुरी में बड़ी दुकानें कोचिंग, संस्थान से लेकर छोटे शाॅपिंग माॅलनुमा इमारतें खड़ी हो गयी हैं. कोर्ट के आदेश के विपरीत निगम ने इसके बाद फिर कभी ऐसा अभियान नहीं चलाया.
एचडीएफसी का मामला
एसकेपुरी स्थित चिल्ड्रेंस पार्क के सामने आवंटित भूखंड 165 बी (एचडीएफसी बैंक) को नगर निगम अपने कब्जे में ले चुका है. उक्त भूखंड पर चल रहे विजिलेंस केस की सुनवाई करते हुए नगर आयुक्त ने आदेश जारी किया था. आदेश में कहा गया था कि लीज डीड के शर्तो का उल्लंघन करते हुए व्यावसायिक बहुमंजिलीय भवन निर्माण हुआ है.
बिहार नगरपालिका अधिनियम 2007 की धारा 488 के तहत नक्शे की स्वीकृति वापस ली गयी. उक्त भूखंड पर बी प्लस जी प्लस सात बहुमंजिली अर्धनिर्मित सह निर्माणाधीन संरचना को अवैध घोषित किया गया.
निगम ने दिया नोटिस
नगर निगम ने शहर के दो अपार्टमेंटों बिल्डरों को 16 दिसंबर को होने वाली सुनवाई के में हाजिर हो कर अपना पक्ष रखना है.निगम कोर्ट की ओर से आशियाना नगर के उत्सव वाटिका के पास नव विहार कॉलोनी के श्री गुरु नारायण चंद्रिका अपार्टमेंट वादी अमिताभ वर्मा एवं सुल्तानगंज के नव घरवा स्थित अहद मेंसन अपार्टमेंट के बिल्डर जमील अख्तर को बार बार नोटिस देने के बाद भी अपना पक्ष नहीं रखने का दोषी पाया गया. बिल्डर अगर नोटिस पर हाजिर नहीं होते है तो मौजूदा साक्ष्य के आधार पर कार्रवाई की जायेगी.

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