बाल श्रमिकों की रिपोर्ट अपलोड करने में ढीले पड़े अधिकारी

पटना : बाल श्रमिकों को लेकर सरकार गंभीर है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पकड़े गये बाल श्रमिकों को मुख्यमंत्री राहत कोष से 25-25 हजार रुपये दिये जाते हैं. लेकिन इससे पहले सीएलटीएस (चालइल्ड लेबर ट्रैकिंग सिस्टम) पोर्टल पर संबंधित बाल श्रमिकों का सोशल इनवेस्टिगेशन रिपोर्ट अपलोड करने में संबंधित […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 11, 2017 8:08 AM
पटना : बाल श्रमिकों को लेकर सरकार गंभीर है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पकड़े गये बाल श्रमिकों को मुख्यमंत्री राहत कोष से 25-25 हजार रुपये दिये जाते हैं. लेकिन इससे पहले सीएलटीएस (चालइल्ड लेबर ट्रैकिंग सिस्टम) पोर्टल पर संबंधित बाल श्रमिकों का सोशल इनवेस्टिगेशन रिपोर्ट अपलोड करने में संबंधित विभाग हीला-हवाली कर रहा है. इसको लेकर सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है. एक माह का समय देते हुए सभी से जांच करते हुए रिपोर्ट अपलोड करने को कहा गया है. अगर ऐसा नहीं हुआ तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई तय है.
लंबित हैं 3400 मामले : समाज कल्याण निदेशालय के निदेशक सुनील कुमार ने बताया कि करीब 3400 मामले लंबित हैं. इसमें छानबीन करनी है. तब पोर्टल पर रिपोर्ट अपलोड करनी है. सभी स्पेस्लाइज्ड एडॉप्शन एजेंसी और सीडब्ल्यूसी (चाइल्ड वेलफेयर कमेटी) की बैठक बुलायी गयी थी.
इसमें विभिन्न बिंदुओं पर समीक्षा की गयी. सीएलटीएस पोर्टल पर रिपोर्ट अपलोड करने को लेकर स्थिति काफी खराब मिली है. अगर रिपोर्ट अपलोड हो जाती है तो संबंधित बाल श्रमिक को 25 हजार रुपये बिहार सरकार देती है. एक माह के अंदर काम पूरा नहीं हुआ तो कार्रवाई होगी.

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