जल प्रबंधन की देसी तकनीक ही ज्यादा कारगर

आधुनिक विकास व्यवस्था आपदा लाने वाली विकास की व्यवस्था : राजेंद्र सिंह पटना : पानी जलवायु परिवर्तन का मुख्य अंग है. 21वीं शताब्दी का जलवायु परिवर्तन का समाधान स्थानीय है, स्वदेशी है और भारत में यह आज भी कारगर है. ये बातें जल पुरुष राजेन्द्र सिंह ने क्लाइमेट चेंज एक्शन डायलॉग में कही. घोघरडीहा प्रखंड […]

By Prabhat Khabar Print Desk | November 14, 2017 7:42 AM
आधुनिक विकास व्यवस्था आपदा लाने वाली विकास की व्यवस्था : राजेंद्र सिंह
पटना : पानी जलवायु परिवर्तन का मुख्य अंग है. 21वीं शताब्दी का जलवायु परिवर्तन का समाधान स्थानीय है, स्वदेशी है और भारत में यह आज भी कारगर है. ये बातें जल पुरुष राजेन्द्र सिंह ने क्लाइमेट चेंज एक्शन डायलॉग में कही. घोघरडीहा प्रखंड स्वराज्य विकास संघ के बैनर तले एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट में राज्य स्तरीय कार्यशाला में उन्होंने जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से समाज को बचाने के लिए स्वदेशी जल प्रबंधन व्यवस्था को अपनाने की जरूरत बतायी.
आधुनिक विकास व्यवस्था को उन्होंने आपदा लाने वाली विकास बताते हुए कहा कि समुदाय आधारित विकास व्यवस्था से ही लोकतांत्रिक व्यवस्था जिंदा होगी. उसी से जल जैसे प्राकृतिक संसाधन का संरक्षण हो सकता है. जल प्रबंधन से ही जलवायु परिवर्तन के कारकों को संतुलित कर सकता है. प्राकृतिक संतुलन द्वारा जलवायु परिवर्तन का रोका जा सकता है. जलवायु परिवर्तन के अनुकूल करने के द्वारा ही जलवायु के प्रभाव को कम किया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि बिहार में फसल चक्र को वर्षा चक्र से जोड़ने की जरूरत है तथा साथ में कटाव और गाद के समस्या के समाधान के लिए सभी के सहयोग की जरूरत है. जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है. अतिथि के रूप में पूर्व सांसद सह पूर्व केन्द्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह ने मूल पांच तत्वों में जल को सबसे महत्वपूर्ण बताया. विकास के कारण धरती अब कम पानी को शोषित कर पाती है.
लोगों ने इसके लिए जागरूकता तथा जबाबदेही की जरूरत है. घोघरडीहा प्रखंड स्वराज्य विकास संघ मधुबनी से आये किसानों, पारंपरिक स्वाथ्य चिकित्सक, रुरल डेवलपमेंट ट्रस्ट से मो सादुल्लाह, सामाजिक चेतना केंद्र से संजीव कुमार, मंजू झा, मानव विकास संस्थान से सुनील मंडल आदि प्रतिभागियों ने अपने अपने अनुभवों को साझा किया.
प्रमुख वक्ताओं में डाॅ ए घोष, डॉ रिजवान अहमद, डॉ एसमी पूनिया, पंकज कुमार दीपक, डाॅ जिया लाल जाट अन्य ने भाग लिया. कार्यक्रम की शुरुआत में घोघरडीहा प्रखंड स्वराज्य विकास संघ के अध्यक्ष रमेश कुमार ने कार्यक्रम का उद्देश्य बताते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण समस्या को देखते हुए तुरंत सामूहिक प्रयास द्वारा स्थानीय प्रयास करने की जरूरत है.
उन्होंने यह बताया कि संस्था सुपौल जिले के बसंतपुर प्रखंड के दो पंचायतों में इस पर एक सफल प्रयास हुआ है. जिसमें कि स्थानीय महिला किसानों के द्वारा देशी बीज निर्माण व प्रयोग तथा देसी खाद के साथ ही साथ जलवायु आधारित मिश्रित खेती करके अपने आप को मॉडल के रूप में तैयार किया है.

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