शरद और अली अनवर की संसद सदस्यता मामले में वेंकैया नायडू पर टिकीं सबकी निगाहें

पटना : जदयू के बागी नेता शरद यादव और अली अनवर की ओर से राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू के सामने बारी-बारी से अपना पक्ष रखे जाने के बाद अब सबकी निगाहें उनके फैसले पर टिकी हैं. शरद यादव ने पूरे मामले को जहां एथिक्स कमेटी को भेजने की मांग करते हुए कहा है किजल्दबाजी […]

By Prabhat Khabar Print Desk | November 9, 2017 9:48 AM

पटना : जदयू के बागी नेता शरद यादव और अली अनवर की ओर से राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू के सामने बारी-बारी से अपना पक्ष रखे जाने के बाद अब सबकी निगाहें उनके फैसले पर टिकी हैं. शरद यादव ने पूरे मामले को जहां एथिक्स कमेटी को भेजने की मांग करते हुए कहा है किजल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लिया जाना चाहिए. शरद यादव की ओर से अधिवक्ता नियुक्त किये जाने पर वेंकैया नायडू ने सख्त रवैया अपनाते हुए व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित होने को कहा था. वेंकैया के रवैये को देखते हुएअब सबकी निगाहें राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू के अगले कदम पर टिकी हैं कि वह क्या फैसला लेते हैं. मालूम हो किजदयू ने पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाते हुए पार्टी के बागी नेताओं शरद यादव और अली अनवर की राज्यसभा सदस्यता समाप्त करने का ज्ञापन उपराष्ट्रपति को सौंपा है.

वेंकैया नायडू जब पार्टी अध्यक्ष थे, उससमय भी राजद की सभा में भाग लेने के आधार पर जयनारायण निषाद की राज्यसभा रद करायी थी.हालांकि, शरद यादव के समर्थक मानते हैं कि नीतीश कुमार जब पहली बार भाजपा के साथ थे, उससमय राष्ट्रपति चुनाव में वह कांग्रेस उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी को समर्थन दे चुके हैं. उसके बाद महागठबंधन में रहने के बावजूद उन्होंने राष्ट्रपति के भाजपा प्रत्याशी रामनाथ कोविंद और फिर भाजपा के साथ सरकार बनाने के बाद उप राष्ट्रपति के चुनाव में वेंकैया नायडू के खिलाफ गोपालकृष्ण गांधी को समर्थन दे चुके हैं. मालूम हो किशरद यादव पार्टी द्वारा राजद की रैली में शामिल होने के लिए मना किये जाने के बावजूद न सिर्फ शामिल हुए, बल्कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार धड़े के समानांतर सभा कर पार्टी नेताओं पर भी बरस चुके हैं. अपनी संसद सदस्यता ख़तरे में देख शरद यादव समानांतर पार्टी भी बना चुके हैं. साथ ही चुनाव आयोग के सामने असली पार्टी होने का दावा भी किया है.

दूसरी ओर, वेंकैया नायडू के समक्ष बुधवार को पेशी के दौरान शरद यादव ने लिखित बयान देते हुए कहा कि संविधान में सबको बोलने का मौलिक अधिकार है, इस अधिकार से कोई उन्हें वंचित नहीं कर सकता. साथ ही उन्होंने पार्टी विरोधी गतिविधि में शामिल होने से इनकार करते हुए संविधान की 10वीं अनुसूची का उल्लंघन करने के पार्टी के आरोपों को खारिज भी कर दिया.

वहीं, अली अनवर ने मौखिक बयान देते हुए कहा कि उन्होंने पार्टी विरोधी काम नहीं किया है. साथ ही कहा कि पार्टी की ओर से राजद की रैली में जाने पर लगी रोक की उन्हें कोई जानकारी नहीं दी गयी थी. उन्होंने जदयू के अध्यक्ष व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ही पार्टी विरोधी करार देते हुए कहा कि जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद की बैठक में बिहार में महागठबंधन बनाने की बात हुई. लेकिन, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय परिषद में लिये गये फैसले को पलटते हुए भाजपा के साथ सरकार बनाने का फैसला किया. ऐसे में नीतीश धड़ा ही पार्टी विरोधी गतिविधि में शामिल है.

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