पटना के सघन आबादी क्षेत्र में बढ़ा स्मॉग का खतरा, सुबह टहलने से बचें, करें यह उपाय

पटना : देश की राजधानी नयी दिल्ली लगातार चार दिनों से गैस चैंबर में तब्दील हो गयी है. लोगों को सांस लेने में दिक्कत होने लगी है. स्थिति यह है कि दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के स्कूल महानगर में हवा की गुणवत्ता खराब होने के कारण आज बंद कर दिये गये हैं. गाजियाबाद में […]

By Prabhat Khabar Print Desk | November 8, 2017 12:20 PM

पटना : देश की राजधानी नयी दिल्ली लगातार चार दिनों से गैस चैंबर में तब्दील हो गयी है. लोगों को सांस लेने में दिक्कत होने लगी है. स्थिति यह है कि दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के स्कूल महानगर में हवा की गुणवत्ता खराब होने के कारण आज बंद कर दिये गये हैं. गाजियाबाद में अगले दो दिनों तक प्राथमिक विद्यालय बंद रहेंगे. यह सबकुछ प्रदूषण युक्त स्मॉग की वजह से हुआ है. कुछ इसी प्रकार के स्मॉग की झलक आज बिहार की राजधानी पटना में देखने को मिली है. जानकारी के मुताबिक पटना के प्रदूषित क्षेत्र और ज्यादा वाहनों वाले क्षेत्र में यह थोड़ा ज्यादा देखा गया है, लेकिन उसका स्तर दिल्ली की तरह नहीं है. हालांकि, आंख, कान और गला रोग विशेषज्ञ डॉ. उदयशंकर सिन्हा का कहना है कि थोड़ा सा दिखने वाला यह स्मॉग आने वाले दिनों में बढ़ सकता है. इससे लोगों को आंखों में जलन और सांस लेने में तकलीफ हो सकती है.

पटना में हालांकि प्रदूषण का स्तर अभी तक उस लेबल पर नहीं गया है लेकिन चिकित्सक वैसे लोगों को सावधान रहने को कह रहे हैं जिन्हें दमा और सांस लेने वाली बीमारी है. उनका कहना है कि वे सुबह न निकले और अपने इम्यून सिस्टम को बेहतर करें. स्मॉग में प्रदूषण की मात्रा ज्यादा होती है. चिकित्सकों के मुताबिक प्रदूषित वातावरण में कार्बन मोनोआक्साइड, सल्फरडाई आक्साइड आदि जैसे जहरीले तत्वों की उपस्थिति से स्वास्थ्य को खतरा होता है. विशेषकर जिन्हें एलर्जी है या अस्थमा के पेशेंट हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बार-बार कहा है कि इन हानिकारक पदार्थों के लिए एक सीमा तय होनी चाहिए ताकि लोग इसके प्रभाव से बच सकें.

स्मॉग में वाहनों से निकले धुएं से हवा में मिलने वाले सूक्ष्म कण बहुत बड़ी समस्या होते हैं. इनकी मोटाई ज्यादा होती हैऔर अपने इतने छोटे आकार के कारण यह सांस के साथ फेफड़ों में घुस जाते हैं और बाद में हृदय को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं. पटना में स्मॉग का खतरा है, यहां की सघन आबादी इसके लिए जिम्मेदार है. सांस की तकलीफ वाले मरीजों के लिए दिक्कत हो सकती है. डॉक्टरों की मानें तो उन्होंने लोगों को मास्क पहनने की सलाह दी है. प्रदूषित वातावरण से स्वास्थ्य को गंभीर खतरा हो सकता है. इसलिए सुबह निकलने से बचना ज्यादा जरूरी है. पटना के अनिसाबाद, फुलवारी, राजीव नगर, पाटलीपुत्र स्टेशन एरिया और बाइपास इलाके में स्मॉग देखा गया है. हालांकि, अभी दिल्ली जैसी स्थिति पटना में नहीं हुई है.

गौरतलब हो कि विश्व के छठे सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में शुमार पटना में प्रदूषण का लेवल मानक से करीब पांच फीसदी अधिक है. इसका सबसे बड़ा कारण वाहनों की संख्या में इजाफा होना है. पांच साल के दौरान हर साल करीब 90 हजार वाहन बढ़े हैं. 01 अप्रैल, 2011 से 31 मार्च, 2016 के दौरान वाहनों की संख्या में 4.40 लाख का इजाफा हुआ है. 01 अप्रैल, 2011 को पटना में 2.34 लाख निबंधित वाहन थे, जो 31 मार्च, 2016 में बढ़ कर 6.74 लाख हो गये. भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक की वित्तीय वर्ष 2015-16 की रिपोर्ट के अनुसार पटना तारामंडल ने शहर की वायु गुणवत्ता को देश में अत्याधिक अस्वास्थयकर घोषित किया है. प्रति घनमीटर 60 माइक्रोग्राम की मान्य सीमा की जगह कई मौकों पर यह 280 पाये गये. सीएजी का मानना है कि राज्य परिवहन आयुक्त ने प्रदूषण जांच केंद्रों के डाटाबेस की जांच नहीं की. प्रदूषण जांच केंद्रों की मानक की माॅनीटरिंग भी नहीं हुई. डीटीओ व एमवीआइ ने भी उपकरण रहते कभी वाहनों के प्रदूषण लेवल की जांच नहीं की.

उधर, दक्षिण दिल्ली नगर निगम ने बयान जारी कर कहा, प्रदूषण से पैदा हुई भारी धुंध के कारण एसडीएमसी ने कल बुधवार को अपने सभी स्कूलों को बंद रखने का निर्णय किया है. पूर्वी दिल्ली नगर निगम की मेयर नीमा भगत ने सभी स्कूलों को बंद रखने के फैसले की पुष्टि की. दिल्ली सरकार ने घोषणा की है कि उसके स्कूलों में प्राथमिक कक्षाएं कल बंद रहेंगी और सभी स्कूलों में बाहर होने वाली गतिविधियां बंद करने के लिए कहा गया है. गाजियाबाद की जिलाधिकारी ने भी आज घोषणा की कि कल और परसों जिले के सभी प्राथमिक विद्यालय बंद रहेंगे. शहर में धुंध की मोटी परत के छाये रहने के कारण दृश्यता कम हो गयी है और उड़ान एवं रेल परिचालन प्रभावित हुआ. इस वजह से कमरों और यहां तक कि भूमिगत मेट्रो स्टेशनों में सांस लेना मुश्किल हो गया. लोगों को आंखों में जलन महसूस हुई.

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