बाढ़ में घिरे लोगों की जान बचा रहे ‘डॉक्टर्स ऑन बाइक’

राहत : 18 अगस्त से लगातार पूरे बैसा प्रखंड में सेवा उपलब्ध करा रहे हैं, प्रखंड के मुख्यालय में चारपहिया वाहन नहीं आ पा रहे पुष्यमित्र पूर्णिया : बाढ़ का कहर झेलने के बाद फिर से बस रहे पीरगाछी गांव में मिलते हैं डॉ अनवर आलम और उनके साथी अंजनी कुमार. ये दोनों बाइक पर […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 30, 2017 6:46 AM
राहत : 18 अगस्त से लगातार पूरे बैसा प्रखंड में सेवा उपलब्ध करा रहे हैं, प्रखंड के मुख्यालय में चारपहिया वाहन नहीं आ पा रहे
पुष्यमित्र
पूर्णिया : बाढ़ का कहर झेलने के बाद फिर से बस रहे पीरगाछी गांव में मिलते हैं डॉ अनवर आलम और उनके साथी अंजनी कुमार. ये दोनों बाइक पर सवार होकर हर दरवाजे पर जा रहे हैं और रोग की पहचान कर मरीज को दवा दे रहे हैं. वे बताते हैं कि वे और उनके दर्जन भर साथी 18 अगस्त से लगातार पूरे बैसा प्रखंड में इसी तरह सेवा उपलब्ध करा रहे हैं.
इस साल 12 अगस्त को आयी भीषण बाढ़ से चारों तरफ से कट कर टापू बन चुके पूर्णिया जिले के बैसा प्रखंड के लिए यह सेवा ईश्वरीय वरदान की तरह है. 17 दिनों से इस प्रखंड के मुख्यालय में चारपहिया वाहन नहीं आ पा रहे. बाढ़ में परमान नदी पर पलसा के पास बना पुल, शीशाबाड़ी के पास कनकई पर बना पुल और फकीर टोला पर बना पुल ध्वस्त हो गया है और ऐसे में प्रखंड मुख्यालय से कहीं भी सिर्फ बाइक से ही आया जा सकता है. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, बैसा के हेल्थ मैनेजर कुमार वरुण कहते हैं कि जब इलाके में बाढ़ का पानी काफी अधिक था, तब हम एसडीआरएफ के बोट से डाॅक्टरों को दूरदराज के इलाके में भेजते थे.
पानी घटने के बाद हमने डाॅक्टरों की टीम को दवाओं के साथ भेजना शुरू किया. अब तक सिर्फ चारपहिया वाहनों से चलने वाले डाॅक्टरों के लिए बाइक पर सवार होकर कच्चे-पक्के और जोखिम भरे रास्तों में चलना आसान नहीं था. मगर आपदा को देखते हुए डॉक्टर भी इसके लिए आसानी से राजी हो गये. टापू बन जाने के कारण लगातार पेट्रोल संकट झेल रहे पेट्रोल पंपों ने अपना पेट्रोल इसी ‘डॉक्टर्स ऑन बाइक’ टीम के लिए बचा कर कर रखा है. बाकी आम उपभोक्ताओं के लिए पेट्रोल उपलब्ध नहीं है. इस टीम की सक्रियता से बैसा प्रखंड की 16 पंचायतों के कई मरीजों की जान बचायी जा सकी है.
जरूरत पड़ने पर यह बाइक एंबुलेंस भी बन जाती है और रोगियों को दूरदराज के दुर्गम इलाकों से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक ले आती है. यहां रोज होने वाले प्रसव के दसियों मामलों में कई मरीज इन्ही बाइकों से अस्पताल पहुंचे हैं. इस इलाके के लोग कहते हैं, तीन बड़े पुलों के ध्वस्त होने से टापू में तब्दील हो चुके बैसा में सामान्य स्थिति कब बहाल होगी, कहना मुश्किल है.
मगर ‘डॉक्टर्स ऑन बाइक’ टीम की बदौलत कम-से-कम स्वास्थ्य सुविधाओं का संकट बहुत हद तक सामान्य हुआ है. पूर्णिया के डीएम प्रदीप कुमार झा कहते हैं कि बाढ़ की शुरुआत में ही मैं एसपी के साथ बाइक से बैसा प्रखंड गया था. चूंकि वहां जाने का कोई और रास्ता नहीं था. उसी वक़्त यह आइडिया आया कि क्यों न हम स्वास्थ्य सुविधाएं भी बाइक से उपलब्ध कराएं. सौभाग्य से यह आइडिया काफी सफल रहा है. हालांकि, यह शाॅर्ट टर्म है और स्थितियां बेहतर होते ही हम इसे बंद कर देंगे.
रोज 12 मोटरसाइकिलों
से िनकलते हैं डॉक्टर
वरुण कहते हैं कि 18 अगस्त से रोज 12
मोटरसाइकिलें प्रखंड मुख्यालय से निकलती हैं. हर बाइक पर एक डॉक्टर और एक फार्मसिस्ट या एक नर्स होते हैं. साथ में जरूरी दवाएं और डॉक्टरों के उपकरण होते हैं. वे रोज 12 अलग-अलग पंचायतों में जाकर रोगियों का इलाज करते हैं. इस अभियान में इस्तेमाल होने वाली बाइक भी अस्पताल कर्मियों और उनके परिचितों की है.

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