नीतीश ने विधान परिषद में राजद सदस्यों के आचरण की भर्त्सना की

पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजद सदस्यों के आचरण की भर्त्सना करते हुए कहा कि विधान परिषद के उपसभापति हारुण रशीद ने राजद के पांच सदस्यों को सदन से मार्शल द्वारा बाहर निकाला था. उपसभापति हारुण रशीद ने बताया कि गत 22 अगस्त से लागातर ये लोग सदन की कार्यवाही को बाधित […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 25, 2017 10:59 PM

पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजद सदस्यों के आचरण की भर्त्सना करते हुए कहा कि विधान परिषद के उपसभापति हारुण रशीद ने राजद के पांच सदस्यों को सदन से मार्शल द्वारा बाहर निकाला था. उपसभापति हारुण रशीद ने बताया कि गत 22 अगस्त से लागातर ये लोग सदन की कार्यवाही को बाधित कर रहे थे औरशुक्रवार को बहुत उत्तेजित होकर असंसदीय शब्दों का प्रयोग कर रहे थे. आग्रह करने करने पर ये लोग नहीं मान रहे थे. संसदीय कार्य मंत्री ने भी कहा कि सरकार चर्चा के लिए तैयार है, पर वे सदन की कार्यवाही को बाधित करते रहे.

मुख्यमंत्रीने कहा कि इनके खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर आचार समिति को अनुशंसा करने के लिए प्रस्ताव जदयू सदस्य नीरज कुमार द्वारा लाया जिसका भाकपा सदस्य केदारनाथ पांडेय, भाजपा के रजनीश कुमार और पूर्व सभापति अवधेश नारायण की भी सहमति थी और राजद को छोड़ कर तथा कांग्रेस जो कि पहले की वाकआउट कर गयी थी, बाकी अन्य दलों के सदस्यों के भी सहमत होने पर इस मामले को आचार समिति के सुपुर्द कर दिया है.

इस मामले को अब आचार समिति देखेगी और वह इसकी जांच करेगी तथा निर्णय लेगी. अगर मामला बनता है तो कार्रवाई होगी. बिहार विधान परिषद की आचार समिति के अध्यक्ष पूर्व महाधिवक्ता पीके शाही हैं. नीतीश ने सदन में बोलते हुए कहा कि अगर विपक्ष किसी सवाल को उठाना चाहता है तो नियम संगत ढंग से उसे उठाये और सरकार की तरफ कोई एतराज नहीं है.

उन्होंने उपसभापति से कहा कि यह आपके ऊपर निर्भर करता है कि किस रूप में किसी चीज के ऊपर वाद-विवाद के लिए मंजूरी देते हैं. हर स्थिति के लिए सरकार तैयार है. चाहे वह मसला कुछ भी हो. नीतीश ने उपसभापति से कहा, आप जानते हैं कि सदन की नियामवली में पोस्टर और बैनर लेकर बैठना वर्जित है, लेकिन यह एक सिलसिला शुरू हो गया है, यानी सदन की मर्यादा है और इसके बने नियम के विरुद्ध प्रतिदिन आचरण करना और सदन की कार्रवाई को बाधित करना.

उन्होंने कहा कि जो शब्द संसदीय है उसी का प्रयोग सदन के भीतर होना चाहिए. अपशब्द का प्रयोग वही करता है जो हताश और निराश होता है. नीतीश ने लंबे समय से चले आ रहे सृजन घोटाला को शुक्रवार को विपक्ष द्वारा उठाये जाने पर कहा कि किसको इसके बारे में मालूम था कोई बताये तो सही. आठ अगस्त को उनके संज्ञान में आया है कि सरकार के खाते से फर्जी तरीके से राशि एक स्वयं सेवी संस्था के खाते में गयी है और 9 तारीख को उसके बारे में पटना में एक कार्यक्रम के दौरान लोगों के बीच सार्वजनिक किया. उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच का जिम्मा सीबीआइ को सौंप दी गयी है और किसी को बख्शा नहीं जायेगा.

नीतीश ने कहा कि तरह-तरह के कागज को लेकर जो सफाई मांगी जा रही और उसको लेकर जो आज सवाल उठाये जा रहे हैं जिसके पास भी जो दस्तावेज हैं चाहे वह 2003, 2008 और 2013 के दस्तावेज, वह सीबीआई को सौंप दें. राजद प्रमुख लालू प्रसाद के इस मामले की जांच उच्चतम न्यायालय की निगरानी में कराये जाने मांग कीहै.

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