घरों तक पहुंच रहा मिलावटी दूध, बढ़ रहीं गंभीर बीमारियां
अधिकारियों की लापरवाही : यूरिया, डिटर्जेंट पाउडर व शैंपू से बन रहा है नकली दूध पटना : राजधानी के बाजारों में नकली व मिलावटी दूध का व्यापार बढ़ गया है. सख्त कानून के बाद भी दूध बनाने के लिए खतरनाक केमिकल का इस्तेमाल किया जा रहा है. इस कारण हर उम्र के लोग गंभीर बीमारियों […]
अधिकारियों की लापरवाही : यूरिया, डिटर्जेंट पाउडर व शैंपू से बन रहा है नकली दूध
पटना : राजधानी के बाजारों में नकली व मिलावटी दूध का व्यापार बढ़ गया है. सख्त कानून के बाद भी दूध बनाने के लिए खतरनाक केमिकल का इस्तेमाल किया जा रहा है. इस कारण हर उम्र के लोग गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं. शहरों में बच्चों का हार्मोनल ग्रोथ उम्र से अधिक हो रहा है. लोग पेट संबंधी बीमारियों की चपेट में भी आ रहे हैं. चिकित्सकों की मानें, तो युवाओं में डिप्रेशन का बहुत बड़ा कारण बीमार गाय व भैंस का दूध का सेवन करना है. ऐसे जानवरों को ऑक्सीटॉक्सिन इंजेक्शन देकर दूध निकाला जा रहा है. लेकिन, स्वास्थ्य विभाग व खाद्य सुरक्षा के अधिकारी लापरवाह बने हुए हैं. नकली यानी सिंथेटिक दूध में यूरिया, डिटर्जेंट पाउडर व फैट के लिए वनस्पति मिलायी जाती है़
नकली दूध की पहचान का यह है तरीका
हो सकती है गंभीर बीमारी
स्लाइड टेस्ट : जब स्लाइड से दूध की पहचान करेंगे, तो दूध स्लाइड पर डालते ही उसकी स्पीड कम हो जायेगी और वह जगह-जगह पर दाग छोड़ते आगे निकलेगा. लेकिन, नकली दूध रहेगा और इसमें पानी व यूरिया मिला होगा, तो वह स्लाइड पर तेजी से निकलेगा और दूध का दाग कहीं नहीं होगा.
सिंथेटिक दूध : सिंथेटिक दूध यूरिया, डिटर्जेंट पाउडर, सोडियम बाई कारबोनेट व फैट के लिये वनस्पति डाला जाता है. दूध की अगर पहचान करनी हो, तो झाग से पता चल जायेगा. क्योंकि, जब दूध को एक से दूसरे बरतन में डाला जाता है, तो झाग निकलता है, जो असली दूध से नहीं निकलता है.
खतरनाक है यह मिलावट
पटना : जीएसटी लागू होने से बीकॉम और एमकॉम के सिलेबस पर भी प्रभाव पड़ गया है. एमकॉम करने वाले स्टूडेंट्स खास कर अभी ज्यादा परेशान है. बीकॉम और एम कॉम के नये सत्र में एडमिशन लेने वाले स्टूडेंट्स कॉलेज और यूनिवर्सिटी से जानकारी जुटा रहे हैं कि क्या सिलेबस चेंज होगा? क्या जीएसटी की पढ़ाई किस प्रकार होगी. इस सभी सवालों पर कुलपति ने पर्दा डाल दिया है.
पीयू कुलपति प्रो रास बिहारी प्रसाद सिंह ने कहा है कि जीएसटी की पढ़ाई कॉलेज व विभाग में होगी. कॉलेज व विभाग को अपने स्तर से तैयारी करनी होगी., जो टीचर टैक्स पढ़ा रहे हैं वही जीएसटी भी स्टूडेंट्स को पढ़ायेंगे. कुलपति ने कहा कि सत्र शुरू हो गया है इस कारण अभी कुछ नहीं हो सकता. अगले सत्र से सिलेबस में एक पेपर जीएसटी भी जुड़ेगा. इसकी प्रक्रिया विभाग को शुरू करनी होगी. वहीं वाणिज्य महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो बीएन पांडेय ने कहा है कि बीकॉम और एमकॉम में जीएसटी की पढ़ाई होगा. इसके साथ ही जीएसटी का अध्ययन भी होगा, क्योंकि अभी बहुत सारी बातें जीएसटी में आयेगा और उसी के अनुरूप पेपर तैयार होगा. पेपर तैयार होने के बाद इसे एप्रूवल के लिए भेजा जायेगा.
ऑक्सीटॉक्सिन : डॉ राजीव रंजन के मुताबिक जो मिल्क मैन दूध निकालने के पहले गाय व भैंस में ऑक्सीटॉक्सिन का प्रयोग करते हैं. उस दूध को पीनेवालों के शरीर पर जल्द ही असर दिखने लगता है. यह लड़कियों में हार्मोनल क्षमता को बढ़ा देता है और उनकी शारीरिक बनावट में तेजी से परिवर्तन होने लगता है.
लैब टेस्टिंग : जब लैब टेस्टिंग के लिए दूध को ले जाया जाता है, तो उसकी सही जांच दो घंटे के भीतर कर लेनी चाहिए, वरना रिजल्ट सही नहीं आता है. दूध को जांच में भेजते समय ध्यान देना चाहिए कि दूध को ठंडा बरतन में लेकर जाएं, ताकि जांच के दौरान वह फटे नहीं, वरना उसकी जांच नहीं हो पायेगी.
ये बीमारियां हो सकती हैं : इस कारण से बच्चों का ग्रोथ तक कम होता है. उल्टी-दस्त भी होने लगता है. एलर्जी के साथ लिवर व किडनी तक डैमेज होने का खतरा बढ़ जाता है. डॉ सुधांशु सिंह ने कहा कि नकली दूध के कारण कई तरह की एलर्जी बच्चों में हो जाती है.
क्या है सजा
नकली दूध बेचने वालों के लिए आजीवन कारावास की सजा निर्धारित है, लेकिन जांच में देरी के कारण नकली दूध के खेल से जुड़े लोगों को पकड़ना मुश्किल हो जाता है.
दूध के सैंपल की जांच के लिए पहले मशीन व केमिकल की कमी थी. लेकिन, अब मशीन आने के बाद दूध की जांच लैब में शुरू हो गयी है. यहां पर लोग खुद भी जांच करा सकते हैं, जिसके लिए सरकार की ओर से राशि तय है. डीओ की ओर से सैंपल आने पर उसका कोई कॉस्ट नहीं लगता है.
महेंद्र प्रताप सिंह, खाद्य विशेषज्ञ, अगमकुआं
मिलावटी दूध को लेकर पूर्व में छापेमारी हुई है. पटना जंकशन स्थित दूध बाजार से कई लीटर दूध बहाया भी गया था, लेकिन जांच में नकली दूध की बात सामने नहीं आयी. पिछले साल मिल्क मैन से भी दूध के सैंपल लेकर जांच करायी गयी थी, जिसमें पानी की मात्रा अधिक पायी गयी थी.
सुदामा, डीओ, खाद्य सुरक्षा