सबसे बुजुर्ग छात्र राज कुमार वैश्य का निधन, 96 की उम्र में MA में दाखिला लेकर दर्ज कराया था लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्डस में नाम
पटना : राजनीति शास्त्र में 98 वर्ष की आयु में एमए की पढ़ाई करनेवाले 101 वर्षीय राजकुमार वैश्य का सोमवार को पटना में निधन हो गया. राजेंद्र नगर स्थित अपने निवास पर उन्होंने आखिरी सांस ली. वह अपने पुत्र एनआईटी के सेवानिवृत प्रोफेसर डॉ संतोष कुमार और पुत्रवधू पटना विश्वविद्यालय इतिहास विभाग की पूर्व अध्यक्ष डॉ भारती एस कुमार के साथ रहते थे.
पटना : राजनीति शास्त्र में 98 वर्ष की आयु में एमए की पढ़ाई करनेवाले 101 वर्षीय राजकुमार वैश्य का सोमवार को पटना में निधन हो गया. राजेंद्र नगर स्थित अपने निवास पर उन्होंने आखिरी सांस ली. वह अपने पुत्र एनआईटी के सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ संतोष कुमार और पुत्रवधू पटना विश्वविद्यालय इतिहास विभाग की पूर्व अध्यक्ष डॉ भारती एस कुमार के साथ रहते थे.
राज कुमार वैश्य के पुत्र डॉ संतोष कुमार ने बताया कि सोमवार की दोपहर करीब दो बजे उन्होंने अंतिम सांस ली. लगभग 42 वर्ष पूर्व उन्होंने कोडरमा से एक अभियंता के रूप में अवकाश ग्रहण किया था. 96 वर्ष की आयु में उन्होंने नालंदा खुला विवि में अर्थशास्त्र से एमए करने के लिए नामांकन कराया और दो वर्ष बाद उन्होंने परीक्षा दी और उतीर्ण हुए. इस उपलब्धि के लिए ‘लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्डस’ में उनका नाम दर्ज किया गया. उनकी उपलब्धि पर बधाई देने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उनके घर जाकर बधाई दी थी.
झारखंड के कोडरमा की माइका कंपनी में महाप्रबंधक थे राजकुमार वैश्यवर्तमान झारखंड के कोडरमा स्थित माइका कंपनी में कई दशक तक राजकुमार वैश्य महाप्रबंधक रहे. एमए की डिग्री लेने के लिए जब वह व्हीलचेयर पर मंच तक आये, तो तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मल्लिक, विशिष्ट अतिथि, कुलपति समेत पूरा हॉल उनके अभिनंदन में खड़ा हो गया. सबसे बुजुर्ग छात्र की उपलब्धि पर पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मल्लिक और मेघालय के राज्यपाल गंगा प्रसाद ने उन्हें अपने हाथों से डिग्री प्रदान की थी.
उत्तर प्रदेश के बरेली के थे मूलवासीराजकुमार वैश्य मूलरूप से उत्तर प्रदेश के बरेली के रहनवाले थे. साल 1938 में आगरा विश्वविद्यालय से उन्होंने अर्थशास्त्र में स्नातक किया था. उसके बाद उन्होंने कानून की पढ़ाई की. इस कारण अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर नहीं कर पाये. अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर नहीं कर पाने का मलाल उन्हें ताउम्र रहा. इसलिए उन्होंने 96 वर्ष की उम्र में अपनी इच्छा पूरी करने की ठानी और नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी में नामांकन ले लिया. स्नातकोत्तर में नामांकन लेने के बाद ‘लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में उनका नाम सबसे अधिक उम्र के छात्र के रूप में दर्ज किया गया.