बांस के बने सूप और दउरा की बिक्री में बढ़ोत्तरी
NAWADA NEWS.मुख्यालय स्थित बजरंगबली चौक पर शुक्रवार को लगने वाले साप्ताहिक हाट में लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर बांस के बने सूप और दउरा खरीदने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. छठ पर्व शनिवार को नहाय-खाय से शुरू हो रहा है.
प्रतिनिधि, रजौलीमुख्यालय स्थित बजरंगबली चौक पर शुक्रवार को लगने वाले साप्ताहिक हाट में लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर बांस के बने सूप और दउरा खरीदने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. छठ पर्व शनिवार को नहाय-खाय से शुरू हो रहा है. रविवार को खरना, सोमवार को पहली अर्घ और मंगलवार को पारन के साथ चार दिवसीय छठ पर्व का समापन होगा. छठ में घरों से घाट तक बांस के बने सूप और दउरा में पकवान और फल रखकर ले जाया जाता है. छठ व्रतियों का मानना है कि छठ पूजा में बांस के सूप और दउरा का बहुत महत्व है. ये दोनों वस्तुएं छठ पूजा की परंपरा में शामिल हैं और इनका विशेष महत्व है, क्योंकि बांस को पवित्र और शुद्ध माना जाता है.बांस के सूप में छठ व्रती पूजा के लिए आवश्यक सामग्री जैसे कि फल, ठेकुआं, आदि रखते हैं और इसे नदी या तालाब के किनारे रखते हैं. वहीं दउरा में जलता हुआ दीप छठी मैया के प्रतीक के रूप में देखा जाता है.
महिलाएं बनाती है सूप और दउरा
प्रखंड क्षेत्र की हरदिया पंचायत में दर्जनों तुरिया समाज की महिलाएं बांस के सूप और दउरा बनाने का काम बीते कई वर्षों से करती आ रही हैं. ग्रामीण कमली देवी, पचिया देवी और सुमा देवी ने बताया कि घर के अधिकांश पुरुष बाहर मजदूरी करते हैं. वहीं महिलाएं घर में बांस काटकर लाती है और बांस को कटारी से छिलकर पतला किया जाता है, जिसे बाद में मेढ़कर सूप और दउरा का रूप दिया जाता है. इससे उन्हें प्रति सूप और दउरा से 100 से लेकर 250 रुपये तक की आमदनी होती है.उन्होंने बताया कि वे काफी समय से इस काम को करते चले आ रही हैं. छठ के अलावा शादी-विवाह के मौके पर सूप और दउरा की बिक्री बढ़ जाती है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
