खुले में शौच से मुक्ति को लेकर कार्यशाला

जिले की 13 पंचायतों को ओडीएफ कराया गया स्वच्छता को लेकर जागरूकता खुले में शौच के क्रमांक में नालंदा 37 वें नंबर से 17 वें नंबर पर आ गया राजगीर : लोहिया स्वच्छता अभियान बिहार के तहत पूरे जिले को खुले में शौच मुक्त बनाने को लेकर अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर के मुख्य सभागार में मंगलवार […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 29, 2017 4:26 AM

जिले की 13 पंचायतों को ओडीएफ कराया गया

स्वच्छता को लेकर जागरूकता
खुले में शौच के क्रमांक में नालंदा 37 वें नंबर से 17 वें नंबर पर आ गया
राजगीर : लोहिया स्वच्छता अभियान बिहार के तहत पूरे जिले को खुले में शौच मुक्त बनाने को लेकर अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर के मुख्य सभागार में मंगलवार को जिला स्तरीय बैठक सह कार्यशाला का आयोजन नालंदा जिलाधिकारी डॉ. त्याग राजन एसएम की अध्यक्षता में की गयी. जिसका उद्घाटन लोहिया स्वच्छ अभियान बिहार के राज्य समन्वयक राजीव कुमार सिंह तथा जिला जल एवं स्वच्छता समिति के निदेशक संतोष कुमार श्रीवास्तव ने दीप प्रज्वलित कर किया. इस दौरान यूनिसेफ के राज्य समन्वयकों में शामिल शशिभूषण पांडेय, आशीष कुमार व इंद्रनील घोष ने खुले में शौचमुक्त माहौल बनाने के लिए मात्र शौचालय निर्माण को महत्वपूर्ण नहीं बताया.
बल्कि जो वर्षों से खुले में शौच के आदि हो चुके लोग है, उनमें इसके प्रति नजरिया बदलने व व्यवहार परिवर्तन के प्रति जिला, अनुमंडल व प्रखंड के विभागीय पदाधिकारियों सहित जीविका, आंगनबाड़ी सेविका तथा अन्य संस्थागत प्रतिनिधियों को बड़ी ही बारीकी के साथ वीडियो विश्लेषण के माध्यम से समझाया कि कैसे हम ओपन डेफिकेशन फ्री वातावरण के प्रति लोगों में ट्रिगरिंग से क्रांति का संचार कर सकते हैं. उन्होंने निर्माण के सबसे अहम तथ्यों में शामिल नकारात्मक पहलुओं से लोगों को अवगत कराना जरूरी होता है.
खुले में शौच के कारण मल नालों के माध्यम से पेयजल के स्रोतों जैसे हैंडपंप, तालाबों आदि में समा जाता है. वहीं खुले में किये गये शौच के बाद मल के अवशेष मक्खियों, मवेशियों के माध्यम से आपके भोजन में जा रहा है और वही पानी आप पी भी रहे हैं. उन्होंने खुले में शौच के कई खतरनाक दुष्प्रभाव को गिनवाते हुए कहा कि लोगों को यह भी एहसास कराना होगा कि वे खाना व पखाना को एक साथ खा रहे हैं. उन्होंने कहा कि खुले में शौच के कारण होने वाली गंदगी से डायरिया का प्रकोप व उसके चपेट में होने वाले बच्चों की मौत का दर बिहार में अधिक हो जाता है. कार्यशाला के क्रम में उन्होंने सीएलटीएस की जानकारी की जानकारी देते हुए कहा कि यह एक ट्रिगर है जो समुदाय को व्यवहार परिवर्तन में अपनी स्वच्छता की आदतों व स्थितियों का विश्लेषण, खुले में किये गये मल का स्वास्थ्य पर कितना प्रभाव आदि में मदद करता है.
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जिलाधिकारी डॉ. त्याग राजन एसएम ने कहा कि नालंदा निर्मल केंद्र की केंद्रित संज्ञा के माध्यम से इस अथ्भयान को गति देना है और इस केंद्र के तत्वावधान में हर पंचायत में बैठक करें.
उन्होंने कहा कि खुले में शौच के क्रमांक में नालंदा 37 वें नंबर से 17 वें नंबर पर आ चुका है. उन्होंने कहा कि खुले में शौच करना राष्ट्रीय शर्म है. उन्होंने कहा कि जिले के 13 पंचायत को ओडीएफ करा लिया गया है, लेकिन शेष पंचायतों को खुले में शौच मुक्त करने की चुनौती जिला प्रशासन ने सहर्ष स्वीकार कर नालंदा को अक्टूबर 2017 तक खुले में शौच मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है.
जिसे प्राप्त करने के लिए सभी वर्ग के लोगों की सहभागिता अतिआवश्यक है. इस कार्यशाला के दौरान लोहिया स्वच्छ अभियान बिहार के राज्य समन्वयक राजीव कुमार सिंह, उपविकास आयुक्त कुंदन कुमार, जिला जल एवं स्वच्छता समिति के निदेशक संतोष कुमार श्रीवास्तव, प्रशिक्षु आइएएस सज्जन कुमार, सीनियर डिप्टी कलेक्टर रविंद्र राम, राजगीर अनुमंडलाधिकारी लाल ज्योति नाथ साहदेव, जीविका जिला कार्यक्रम पदाधिकारी संतोष कुमार सहित जिले भर के सभी प्रखंड के बीडीओ, सीडीपीओ, आंगनबाड़ी सुपरवाइजर, जीविका बीपीएम व अन्य सैकड़ों की संख्या में उपस्थित थे.

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