रोको-टोको अभियान से जागरूकता

बिहारशरीफ. जिले को 02 अक्तूबर 2017 तक खुले में शौच से मुक्त बनाने के लिए गांव-गांव में तेजी से शौचालय का निर्माण कराये जा रहे हैं. जिले में 99354 शौचालय बनाने का लक्ष्य है, जिसमें से करीब 30 हजार शौचालय का निर्माण किया जा चुका है और 20520 शौचालय का निर्माण कार्य तेजी से चल […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 21, 2017 12:29 PM
बिहारशरीफ. जिले को 02 अक्तूबर 2017 तक खुले में शौच से मुक्त बनाने के लिए गांव-गांव में तेजी से शौचालय का निर्माण कराये जा रहे हैं. जिले में 99354 शौचालय बनाने का लक्ष्य है, जिसमें से करीब 30 हजार शौचालय का निर्माण किया जा चुका है और 20520 शौचालय का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है. उद्देश्य है कि निर्धारित समय तक जिले को खुले में शौच से मुक्त करा दिया जाये. शौचालय तो बन रहे हैं, मगर इसका उपयोग नहीं हो पा रहा है. ग्रामीण शौचालय का इस्तेमाल करने में आ रही परेशानी का उल्लेख करते हुए बताते हैं कि इसका मुख्य वजह शौचालय में पानी की व्यवस्था नहीं होना है.
शिवजी मांझी, हृदय पासवान आदि बताते हैं कि टोले में पानी के लिए एक ही चापाकल हैं. उससे पीने का पानी इकट्ठा करने के लिए लाइन लगाना पड़ता है. शौचालय में डालने के लिए पानी कहां से लायें. इन ग्रामीणों का कहना है कि शौचालय में शौच जाने के लिए कम से कम एक बाल्टी पानी की जरूरत है, नहीं तो वहां गंदगी फैल जाती है. शौचालय गंदा हो जाने के बाद वहां जाना मुश्किल हो जाता है. जिला प्रशासन ने शौचालय के इस्तेमाल पर जोर देने के लिए इन दिनों पूरे जिले में रोको-टोकों अभियान चलाया जा रहा है. इस अभियान के तहत अधिकारी गांवों में जाकर खुल में शौच करने वालों को रोकते हैं तथा उन्हें शौचालय का इस्तेमाल करने को प्रेरित करते हैं. इसका कुछ असर हो रहा है. ग्रामीण इस बात से खुले में शौच जाने से डरने लगे हैं कि कहीं उन्हें कोई टोक न दें.
रोको-टोको अभियान के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में अहले सुबह अधिकारी व कर्मी पहुंचते हैं और लोगों को खुले में शौच नहीं करने के लिए प्रेरित करते हैं एवं उन्हें सलाह देते हैं कि वे अपने घरों में शौचालय बनवाये एवं उसका उपयोग करें. इसके लिए सरकार उन्हें 12 हजार रूपये अनुदान के रूप में देगी. ग्रामीणों ने यह भी बताया कि शौचालय नहीं रहने से तरह-तरह की बीमारियां होती है. प्रदूषण फैलाता है तथा लोगों की प्रतिष्ठा का भी हनन होता है.
जिले का 32 पंचायत व 510 वार्ड खुले में शौच से मुक्त : जिले में अब तक आंकड़ों के अनुसार 32 पंचायत व 510 वार्ड खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं.
खुले में शौच से मुक्त होने वाली पंचायतों में नाहुब, नई पोखर, लोदीपुर, पिलखी, बरनौसा, भूई, गोरौर, मेयार, एकंगरसराय, केशोपुर, उगवां, मालती, बेलछी, ताजनीपुर, पावा, चौरिया, कतरीसराय, सूरजपुर, जैतपुर, पुरैनी, आदमपुर, बारा खुर्द, दारौरा, इतासंग, भदवा, मोहनचक, पनहर, रानीपुर, डियावां, नगरनौसा, चौसंडा व अकबरपुर पंचायतें शामिल हैं.
बिंद. खुले में शौच मुक्त हेतु स्थानीय प्रखंड के इब्राहिमपुर गांव में चौपाल का आयोजन किया गया, जिससे कि शौचालय बनाने के लिए ग्रामवासियों को प्रेरित किया जा सके. बीडीओ राकेश कुमार सिंहह से मनुष्य में तरह-तरह के रोग फैलते हैं. इतना ही नहीं आये दिन खुले में शौच करने के दौरान ही महिला छेड़खानी का शिकार होते रहा है. हमारा विकास स्वास्थ्य तथा स्वच्छता पर भी निर्भर करता है.
बैठक में उपस्थित बुद्धिजीवियों ने इस आयोजन की काफी सराहना की एवं स्वच्छता अभियान में अपनी भागीदारी का संकल्प लिया. उन्होंने बताया कि पूर्ण स्वस्थ रहने के लिए खुले में शौच मुक्ति पाना होगा. इस मौके पर प्रखंड विकास पदाधिकारी राकेश कुमार सिंह, सीडीपीओ रश्मि कुमारी, लोदीपुर पंचायत के मुखिया आशा देवी, पूर्व मुखिया धर्मेंद्र ठाकुर, वार्ड सदस्य, विकास मित्र, आंगनबाड़ी सेविका, प्रधानाध्यापक विकेश कुमार ढ़ाढ़ी एवं प्रखंड के सभी कर्मचारी मौजूद थे.
क्या कहते हैं अधिकारी
” नालंदा को निर्मल नालंदा बनाने के लिए खुले में शौच से मुक्त अभियान में सभी की सक्रिय भागीदारी निभानी चाहिए. 02 अक्टूबर 2017 तक जिले को खुले में शौच से मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है. शौचालय निर्माण करने वालों को सरकार द्वारा 12 हजार रूपये अनुदान के रूप में दिये जा रहे हैं. सभी को इसका लाभ उठाना चाहिए. लोगों में शौचालय के उपयोग करने को प्रेरित करने के लिए रोको-टोको अभियान चलाया जा रहा है. इस अभियान का सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है. ”
डॉ त्याग राजन एसएम

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