मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार के लक्षण वाले दो और बच्चे अस्पताल में भर्ती, लैब भेजा गया सैंपल

पीड़ित बच्चे की रिपोर्ट मुख्यालय भेजी गयी है. कटरा-औराई से बच्चे चमकी बुखार से पीड़ित होकरआये हैं. इन सबों का सैंपल जांच के लिए लैब भेजा गया है. जांच के बाद ही पुष्टि हो पायेगी कि एइएस है या नहीं.

By Prabhat Khabar Print Desk | May 23, 2022 12:41 PM

मुजफ्फरपुर. एसकेएमसीएच के पीआइसीयू वार्ड में चमकी बुखार के लक्षण वाले दो बच्चे को भर्ती किया गया. वहीं एइएस से पीड़ित बच्चे स्वस्थ होकर अपने घर चले गये हैं. भर्ती हुए बच्चे जिले के कटरा और औराई के बताये गये हैं. वहीं बाकी को इलाज के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया है.

इस साल 36 बच्चे एइएससे पीड़ित

उपाधीक्षक सह शिशु विभागाध्यक्ष डॉ गोपाल शंकर सहनी ने बताया कि पीड़ित बच्चे की रिपोर्ट मुख्यालय भेजी गयी है. कटरा-औराई से बच्चे चमकी बुखार से पीड़ित होकरआये हैं. इन सबों का सैंपल जांच के लिए लैब भेजा गया है. जांच के बाद ही पुष्टि हो पायेगी कि एइएस है या नहीं. अभी सबकी हालत में सुधार है. उन्होंने कहा कि अगर समय पर बच्चा अस्पताल आ जाए तो उसकी जान बच जाती है. इस साल 36 बच्चे एइएससे पीड़ित हो चुके हैं.एईएस के नोडल प्रभारी डॉ सतीश कुमार ने बताया कि बच्चों की हालत स्थिर है.

इस साल अब तक दो बच्चों की मौत

अब तक दो बच्चों की मौत हो चुकी है और तीन का एईएस का इलाज चल रहा है. बाकी 27 मरीजों को छुट्टी दे दी गई है. इसके अलावा, मुजफ्फरपुर से सबसे अधिक 20 मामले सामने आए, इसके बाद वैशाली और पूर्वी चंपारण से चार-चार, सीतामढ़ी से दो और पश्चिम चंपारण और अररिया से एक-एक मामला सामने आया. हालांकि, सीतामढ़ी और वैशाली से एक-एक मौत की खबर है. पिछले 2 साल की तुलना में इस बार मई तक केस ज्यादा हैं. उदाहरण के लिए, 2021 में 25 मई तक, केवल नौ एईएस मामले सामने आए, जिनमें कोई मौत नहीं हुई. 2020 में, मई के अंत तक चार मौतों के साथ कुल 23 एईएस मामले सामने आए.

मौसम के बदलाव के चलते होती है खतरनाक बीमारी

एक अधिकारी ने कहा कि हालांकि एईएस के मामले मुख्य रूप से मई के अंत से शुरू होते हैं, लेकिन अप्रैल में अत्यधिक गर्मी के कारण इस साल की शुरुआत में मामले सामने आ रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग के विशेष सचिव संजय कुमार सिंह ने कहा, ‘हालांकि मामले सामने आ रहे हैं, सबसे अच्छी बात यह है कि बच्चे ठीक होकर घर जा रहे हैं. हमने समय से काफी पहले तैयारी शुरू कर दी थी और नतीजा यह हुआ कि इलाज और ठीक होने की दर दोनों अच्छी है.’ उन्होंने आगे कहा कि एक गहन सूचना, शिक्षा और संचार अभियान से इस साल बेहतर परिणाम मिले हैं.

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