शहर से गांव तक जलजमाव, मच्छरों की संख्या में बढ़ोतरी, अब तक मिल चुके हैं डेंगू के चार मरीज

मुंगेर : माना जाता है कि बरसात का मौसम खत्म होते ही मच्छरों का प्रकोप बढ़ जाता है. जिसके कारण डेंगू, मलेरिया व कालाजार जैसी संक्रामक बीमारियों का प्रकोप भी बढ़ता है. हालांकि इस बार बरसात के साथ-साथ बाढ़ का पानी भी जिले के विभिन्न क्षेत्रों में फैल गया और बाढ़ का पानी घटने के […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 11, 2019 8:43 AM

मुंगेर : माना जाता है कि बरसात का मौसम खत्म होते ही मच्छरों का प्रकोप बढ़ जाता है. जिसके कारण डेंगू, मलेरिया व कालाजार जैसी संक्रामक बीमारियों का प्रकोप भी बढ़ता है. हालांकि इस बार बरसात के साथ-साथ बाढ़ का पानी भी जिले के विभिन्न क्षेत्रों में फैल गया और बाढ़ का पानी घटने के बावजूद विभिन्न इलाके में पानी जमा हुआ है.

जिसके कारण पिछले कुछ दिनों से जिले भर में मच्छरों का प्रकोप काफी बढ़ गया है. मच्छरों का शिकार होकर इस साल अब तक जिले भर में कुल चार लोग बीमार हो चुके हैं. जिसका इलाज चल रहा है.
यह अलग बात है कि हरेक मच्छर के काटने से डेंगू, मलेरिया व कालाजार नहीं होता है. किंतु उन्हीं मच्छरों के बीच डेंगू, कालाजार व मलेरिया के मच्छर भी पाये जाते हैं. ऐसे में आमजनों को सावधान रहने की जरूरत है. ताकि मलेरिया, कालाजार तथा डेंगू जैसी खतरनाक बीमारियों से बचा जा सके.
तीन साल बाद जिले में फिर से डेंगू का प्रकोप : दिल्ली, पंजाब, हरियाणा तथा राजधानी पटना सहित अन्य राज्यों में काम कर रहे परदेसे जब घर लौटते हैं, तब उन्हीं में से कुछ मलेरिया, कालाजार, डेंगू व चिकनगुनिया से संक्रमित होते हैं और उसके संक्रमण से मच्छर दूसरों में भी इस संक्रमण को फैला देते हैं. जिसके कारण यह संक्रमण धीरे-धीरे अन्य लोगों को संक्रमण का शिकार बना लेती है.
इस बार बाढ़ के बाद जिले के तारापुर, संग्रामपुर, असरगंज तथा धरहरा प्रखंड में एक-एक डेंगू के मरीज पाये जा चुके हैं. जिनमें से दो का इलाज भागलपुर में किया गया तथा दो का इलाज पटना में हो रहा है. मालूम हो कि वर्ष 2013 से 2016 तक मुंगेर में डेंगू के कुल 52 मरीज पाये गये थे. उसके बाद तीन साल तक जिले भर में डेंगू के मरीज नहीं मिले. किंतु अब तीन साल के बाद जिले में चार डेंगू के मरीज पाये गये हैं.
इधर, डेंगू वार्ड में लगा हुआ है ताला: कहने को तो सदर अस्पताल में डेंगू पीड़ित मरीजों के लिए अलग से वार्ड की व्यवस्था की गयी है. किंतु वर्तमान में यह महज हाथी का दांत साबित हो रहा है. सदर अस्पताल के महिला मेडिकल वार्ड के ठीक सामने डेंगू वार्ड बनाया गया है. किंतु इस वार्ड को मरीजों के लिए अब तक अस्पताल प्रबंधन द्वारा उसे सुसज्जित नहीं किया गया है.
नतीजतन डेंगू जो भी संभावित मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं, उसे महिला, पुरुष या शिशु वार्ड में ही शिफ्ट कर इलाज किया जाता है. ऐसे में उस मरीज से अन्य मरीजों के बीच भी डेंगू का संक्रमण फैल सकता है. इतना ही नहीं अस्पताल में भर्ती मरीजों को मच्छरों से बचाव के लिए मच्छरदानी भी उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है.
सात साल में डेंगू के मरीजों की संख्या
वर्ष डेंगू
2013 24
2014 0
2015 25
2016 3
2017 0
2018 0
2019 (अब तक) 4
कहते हैं सीएस
सिविल सर्जन डॉ पुरुषोत्तम कुमार ने बताया कि सदर अस्पताल में डेंगू वार्ड को सुसज्जित करने का निर्देश दिया गया है. साथ ही सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तथा अनुमंडलीय अस्पताल में डेंगू के संभावित मरीजों के लिए दो-दो बेड रिजर्व रखने का निर्देश दिया गया है. इसके अलावा डेंगू की जांच व दवा की पूरी व्यवस्था है.
मच्छरों से रहना होगा सावधान, वरना हो सकते हैं डेंगू, मलेरिया व कालाजार के शिकार
घर या ऑफिस के आसपास पानी जमा न होने दें, गड्ढों को मिट्टी से भर दें, रुकी हुई नालियों को साफ करें.
अगर पानी जमा होने से रोकना मुमकिन नहीं है तो उसमें पेट्रोल या केरोसिन ऑयल डालें.
रूम कूलरों, फूलदानों का सारा पानी हफ्ते में एक बार और पक्षियों को दाना-पानी देने के बर्तन को रोज पूरी तरह से खाली करें,
घर में टूटे-फूटे डिब्बे, टायर, बर्तन व बोतल न रखें. उलटा करके रखें.
डेंगू के मच्छर साफ पानी में पनपते हैं, इसलिए पानी की टंकी को अच्छी तरह बंद करके रखें.
अगर मुमकिन हो तो खिड़कियों और दरवाजों पर महीन जाली लगवाकर मच्छरों को घर में आने से रोकें.
मच्छरों को भगाने और मारने के लिए मच्छरनाशक क्रीम, स्प्रे, मैट्स व कॉइल्स का इस्तेमाल करें.
गुग्गुल के धुएं से मच्छर भगाना अच्छा देसी उपाय है.
घर के अंदर सभी जगहों में हफ्ते में एक बार मच्छरनाशक दवा का छिड़काव जरूर करें.
ऐसे कपड़े पहने, जिससे शरीर का ज्यादा-से-ज्यादा हिस्सा ढका रहे.
बच्चों को मच्छर भगाने की क्रीम लगाएं.
रात को सोते समय मच्छरदानी लगाएं.

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