अप सहरसा-जमालपुर पैसेंजर ट्रेन ने दो घंटे में तय की दस किलोमीटर की दूरी

जमालपुर : जमालपुर से मुंगेर रेल पथ की दूरी मात्र 10 किलोमीटर है. परंतु रेलवे के ऑपरेटिंग विभाग की मनमानी के कारण इस दूरी को तय करने में सोमवार को लगभग 2 घंटे का समय लगा. मामला 05522 अप सहरसा-जमालपुर स्पेशल ट्रेन का है. जानकारी के अनुसार यह ट्रेन सहरसा से चलकर अपने निर्धारित समय […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 23, 2019 8:08 AM

जमालपुर : जमालपुर से मुंगेर रेल पथ की दूरी मात्र 10 किलोमीटर है. परंतु रेलवे के ऑपरेटिंग विभाग की मनमानी के कारण इस दूरी को तय करने में सोमवार को लगभग 2 घंटे का समय लगा. मामला 05522 अप सहरसा-जमालपुर स्पेशल ट्रेन का है.

जानकारी के अनुसार यह ट्रेन सहरसा से चलकर अपने निर्धारित समय के अनुसार प्रातः 8:15 बजे जमालपुर पहुंचती है. सोमवार को भी यह ट्रेन मुंगेर रेलवे स्टेशन पर प्रातः 7:58 बजे पहुंच चुकी थी.
परंतु वहां ट्रेन को अनावश्यक रोके रखा गया. जिसके कारण यह ट्रेन अपने निर्धारित समय से लगभग 2 घंटे विलंब से चलकर प्रातः 9:53 बजे जमालपुर पहुंच सकी. इतना ही नहीं इसी ट्रेन का रैक 53615 अप जमालपुर-गया सवारी गाड़ी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है और इस ट्रेन का जमालपुर से प्रस्थान करने का निर्धारित समय प्रातः 8:30 बजे है.
परंतु सहरसा-जमालपुर स्पेशल ट्रेन के विलंब से पहुंचने के कारण जमालपुर-गया सवारी गाड़ी भी 2 घंटे से अधिक विलंब से गंतव्य के लिए रवाना हो पाई. दूसरी ओर किऊल से चलकर जमालपुर आने वाली 73422 डाउन सवारी गाड़ी अपने निर्धारित समय पूर्वाह्न 10:30 बजे के बजाय अपराह्न 12:45 बजे यहां पहुंची.
इसी ट्रेन का रैक 73430 डाउन जमालपुर-भागलपुर पैसेंजर ट्रेन बनकर भागलपुर के लिए निर्धारित समय 10:38 बजे भागलपुर के लिए प्रस्थान करती है. परंतु किऊल-जमालपुर पैसेंजर ट्रेन के विलंब से यहां पहुंचने के कारण यह ट्रेन भी जमालपुर से 12:55 बजे भागलपुर के लिए रवाना हो पाई. इस कारण यात्री लगातार परेशान रहे
ब्रह्मपुत्र मेल एलएचबी कोच से लैस
जमालपुर. डिब्रूगढ़ से चलकर दिल्ली जाने वाली 14055 अप ब्रह्मपुत्र मेल एलएचबी कोच से लैस हो चुकी है. सोमवार को यह ट्रेन अपने नए स्वरूप के साथ जमालपुर पहुंची थी.
उल्लेखनीय है कि एलएचबी कोच में जहां यात्रियों के लिए अपेक्षाकृत अधिक सीट होती है, वहीं सुरक्षात्मक दृष्टिकोण से भी भारतीय रेल ने भी इसे बेहतर माना है. इससे पहले भी एलएचबी कोच का इस्तेमाल इस रूट से चलने वाली कई अन्य ट्रेनों में आरंभ किया जा चुका है.

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