बिहार में रामचरितमानस पर बवाल के बीच, महावीर मंदिर आयोजित करेगा सेमिनार, दूर होंगी ग्रंथ से जुड़ी भ्रांतियां

रामचरितमानस पर भ्रांतियों को दूर करने के लिए पटना के महावीर मंदिर एक गोष्ठी आयोजित करने जा रहा है. इसका आयोजन 22 जनवरी को दोपहर एक बजे से शहर के विद्यापति भवन में होगा. इसमें भाग लेने के लिए मंदिर की ओर से वक्ताओं से 20 जनवरी तक प्रस्ताव मांगे गये हैं.

By Prabhat Khabar Print Desk | January 18, 2023 9:58 PM

रामचरितमानस पर भ्रांतियों को दूर करने के लिए पटना के महावीर मंदिर एक गोष्ठी आयोजित करने जा रहा है. इसका आयोजन 22 जनवरी को दोपहर एक बजे से शहर के विद्यापति भवन में होगा. इसमें भाग लेने के लिए मंदिर की ओर से वक्ताओं से 20 जनवरी तक प्रस्ताव मांगे गये हैं. गोष्ठी की शुरुआत आचार्य किशोर कुणाल के पक्ष स्थापन से होगा.

रामचरितमानस का समाज पर व्यापक प्रभाव: मंदिर

मंदिर की ओर से कहा गया है कि गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित ‘रामचरितमानस’ सामाजिक सद्भाव का प्रेरक महाकाव्य है. लोकभाषा में इसकी रचना गोस्वामी ने इसलिए की थी कि धार्मिक तथा सामाजिक स्तर पर सभी वर्गों के लोगों को एक साथ जोड़ते हुए समाज और राष्ट्र को मजबूत किया जा सके. पिछली शताब्दी में जब भारतीय मजदूरों को मॉरीशस भेजा जा रहा था, तब वे सर्वस्व के रूप में अपने साथ रामचरितमानस की प्रति लेते गये थे. इस ऐतिहासिक घटना से इसका व्यापक सामाजिक प्रभाव आंका जा सकता है.

पक्ष-विपक्ष में बोलेंगे वक्ता

महावीर मंदिर की ओर से जारी सूचना में कहा गया है कि इस सेमिनार में पक्ष व विपक्ष में विद्वानों के विचार आमंत्रित हैं, ताकि लोगों में फैलती जा रही भ्रांतियां दूर हो सकें. सोशल मीडिया व अन्य संचार माध्यमों के जरिये दोनों पक्षों की ओर से जो आधे-अधूरे वक्तव्य आ रहे हैं, वे धर्म और समाज के लिए ठीक नहीं हैं. महावीर मंदिर ने इसे दूर करने के लिए स्वस्थ परंपरा का निर्वाह करते हुए सेमिनार आयोजित करने का कदम उठाया है.

भवनाथ झा बने संयोजक, उन्हीं के पास देने होंगे प्रस्ताव

इस सेमिनार के लिए महावीर मंदिर की पत्रिका ‘धर्मायण’ के संपादक पंडित भवनाथ झा को संयोजक बनाया गया है. इस सेमिनार में पुष्ट प्रमाणों के साथ पक्ष अथवा विपक्ष में विषय केंद्रित वार्ता के लिए इच्छुक विद्वान उनके मोबाइल नंबर 9430676240 पर वाट्सएप अथवा फोन से संपर्क कर सकते हैं अथवा dharmayanhindi@gmail.com पर इमेल भेज सकते हैं. वार्ता में भाग लेने वाले विद्वानों को लिखित आलेख लाना होगा, ताकि भविष्य में उसे प्रकाशित भी किया जा सके.

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